‘हिंदू राष्ट्र नहीं रामराज्य की जरूरत’, जानें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसा क्यों कहा?

पवन शर्मा

MP News: ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने देश में हिंदू राष्ट्र की मांग के सवाल पर कहा कि हिंदू राष्ट्र से हमारा कल्याण नहीं होगा, हमें रामराज्य की आवश्यकता है. धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से हो रहा मोहभंग ही हिंदू राष्ट्र के मांग की प्रमुख वजह हो सकती है. हिंदू राष्ट्र बनने से हिंदुओं की गोलबंदी […]

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Ramrajya is needed not Hindu nation, know why Shankaracharya Avimukteshwaranand said this?
Ramrajya is needed not Hindu nation, know why Shankaracharya Avimukteshwaranand said this?
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MP News: ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने देश में हिंदू राष्ट्र की मांग के सवाल पर कहा कि हिंदू राष्ट्र से हमारा कल्याण नहीं होगा, हमें रामराज्य की आवश्यकता है. धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से हो रहा मोहभंग ही हिंदू राष्ट्र के मांग की प्रमुख वजह हो सकती है. हिंदू राष्ट्र बनने से हिंदुओं की गोलबंदी होगी. शंकरचार्य दो दिवसीय दौरे पर छिंदवाड़ा आए हैं और उन्होंने यहां पर बड़ी माता मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी. हिंदूराष्ट्र की मांग पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हम लोगों के यहां राजनीति है और राजनीति में गोलबंदी मतलब गोलबंदी ही राजनीति, बीच में लाइन खींच दी जाती है.

शंकराचार्य ने कहा- “बाद में यही देखा जाता है कि यह व्यक्ति हमारे गोल में है कि नहीं, हमारी गोल में है तो बिल्कुल अच्छा है, चाहे कैसा भी हो और अगर हमारी गोल में नहीं है तो बहुत खराब है चाहे कैसा भी. यह एक व्यवहार का तरीका हम लोगों ने बना रखा है तो ऐसी परिस्थिति में जब देश में गोलबंदी ही राजनीति के रूप में ख्यात हो गई हो, राजनीति शब्द जो है वह बहुत ऊंचा है, हमारे यहां नीति शब्द बहुत ऊंचा है, धर्म के समान है और राजनीति माने राजा के द्वारा पालन की जाने वाली नीति. राजनीति शब्द का प्रयोग, जिसको महाभारत में प्रयोग किया गया, जिसको रामायण में प्रयोग किया गया है. वैसा हो तो अलग बात है, आजकल तो वह राजनीति है नहीं, आज तो गोलबंदी है, ध्रुवीकरण जिसको कहते हैं.”

हिंदुओं की गोलबंदी मतलब जो हिंदू नहीं, उसके साथ परायापन
शंकराचार्य ने आगे कहा-

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हिंदू राष्ट्र का मतलब है हिंदुओं की गोलबंदी, अब हिंदू-हिंदू के नाम पर गोलबंदी होगी, और गोलबंदी होगी तो स्वाभाविक है कि जो हिंदू नहीं होगा उसके साथ परायेपन का व्यवहार हो जाएगा समझे कि नहीं. तो हम हम इस विचार को जब करते हैं तो हमको रोमांच हो जाता है, मन सिहर उठता है, क्योंकि हम लोग इस तरह से व्यवहार नहीं करते हैं, हमारे यहां यह माना गया है कि राजा के लिए जितनी भी प्रजा है. वह सब उसके औरस पुत्र जैसी होनी चाहिए कि मेरे बच्चे हैं.

शंकराचार्य ने कहा कि हिंदू राष्ट से क्या हम उस लक्ष्य को प्रप्त कर सकेंगे जिस लक्ष्य को हमारे पूर्वजों ने हासिल किया था, जिसकी हम सदा से कामना करते हैं, शायद नहीं.

हिंदू राष्ट्र की बात आई क्यों?
शंकराचार्य कहते हैं, हिदू राष्ट्र की बात क्यों आई है, इसका मतलब यह है कि जो अभी धर्मनिरपेक्ष राज्य है उससे लोगों का मोहभंग हो रहा है. जब ऐसा हो रहा है तो हिंदू राष्ट्र की मांग कुछ लोग कर रहे हैं तो लोग आकर्षित हो रहे हैं. आकर्षित होने का मतलब मन में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र विदर्शन हो रहा है. अगर हम लोगों को अपना राज्य स्थापित करना ही है तो हमें रामराज्य की बात करनी चाहिए. रामराज्य की विशेषता यह है कोई अपना पराया नहीं होता है, वहां पर सबके साथ न्याय होता है. रामराज्य की कल्पना हम कर रहे हैं, यही तो वो देश हैं, जिसमें राम राजा थे जो पहले हो चुकी है वो अब क्यों नहीं हो सकती.

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