कूनो नेशनल पार्क से लंबे समय बाद आई राहत भरी खबर, 3 चीतों को लेकर ये रिपोर्ट आई सामने
kuno national park: मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क से बड़े दिनों बाद एक अच्छी खबर सामने आई है. यहां के खुले जंगल में घूम रहे 3 चीतों की गर्दन में काॅलर आइडी से संक्रमण के कारण गहरे घाव हो गए थे. लेकिन अब जांच और उपचार के बाद अब तीनो चीतों की […]
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kuno national park: मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क से बड़े दिनों बाद एक अच्छी खबर सामने आई है. यहां के खुले जंगल में घूम रहे 3 चीतों की गर्दन में काॅलर आइडी से संक्रमण के कारण गहरे घाव हो गए थे. लेकिन अब जांच और उपचार के बाद अब तीनो चीतों की सेहत ठीक बताई जा रही है. पहले चीता पवन (ओबान) को ट्रेंकुलाइज कर बोमा में रख कर इलाज शुरू किया गया, फिर चीता ब्रदर्स गौरव (एल्टन) और शौर्य (फ्रेडी) को भी काफी मशक्कत के बाद बेहोश कर बाडे़ में क्वारन्टीन कर उपचार दिया गया. अब तीनो चीतों की सेहत बेहतर है.
इसी माह में बीते 4 दिन में दो चीतों की त्वचा संक्रमण से हुई मौत के बाद अलर्ट मोड पर कूनो नेशनल पार्क का प्रबंधन आ गया था. कूनो प्रबंधन द्वारा सभी चीतों को त्वचा संक्रमण से बचाव के लिए प्रिवेंशन मेडिसन के रूप में गन से ड्रग इंजेक्शन लगाने शुरू कर दिए थे. इसी बीच खुले जंगल में मौजूद 3 चीतो में त्वचा संक्रमण होने की जानकारी मिलते ही डॉक्टरों ने कॉलर आईडी हटाकर पहले चीता पवन का इलाज शुरू किया, फिर गौरव और शौर्य को भी पवन की तरह बेहोश कर बाडे में रख कर इलाज दिया गया.
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ( प्रधान मुख्य वन संरक्षक) असीम श्रीवास्तव ने प्रेस रिलीज के माध्यम से मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कूनो पार्क में चीता गौरव और शौर्य का 19 जुलाई को कूनो में पदस्थ वन्य प्राणी चिकित्सको की टीम नामीबिया और साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों के साथ स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें दोनों चीते स्वस्थ्य पाए गए हैं. वही पूर्व में 18 जुलाई को ट्रेंकुलाइज कर बाडे़ में लाए गए चीता पवन की भी सेहत ठीक है. तीनो चीतों को फिलहाल क्वारन्टीन बाड़ों में रख कर नजर रखी जा रही है.
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लगातार हो रही मौतों के कारण उठ रहे थे सवाल
नामीबिया और साउथ अफ्रीका से लाए गए कुल 20 चीतों में से अब तक 8 की मौत हो चुकी है. लगातार हो रही चीतों की मौत के बाद सवाल खड़े होने लगे थे कि कूनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता क्या सफल नहीं हो पाएगा. कुछ चीते मेटिंग के दौरान हुए झगड़े में तो कुछ की मौत बीमारी और संक्रमण की वजह से हो गई थी. आपको बता दें कि एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने चीतों की गर्दन में कॉलर आइडी से संक्रमण की बात को नकार दिया था लेकिन उसके एक दिन बाद ही चीतों की गर्दन में जब कॉलर आइडी हटाकर जांच की गई तो उनकी गर्दन में गंभीर घाव के साथ ही कीड़े भी पड़े मिले थे.
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