चीतों की मौत पर SC की चिंता, सरकार से पूछा- राजस्थान शिफ्ट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे?
Cheetah Project MP: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानि 22 जुलाई को देश में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (KNP) में स्थानांतरित किए गए चीतों की लगातार मौत पर चिंता जाहिर की है. साथ ही सरकार से पूछा है कि उन्हें राजस्थान में स्थानांतरित करने के लिए क्या कदम उठाए […]
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Cheetah Project MP: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानि 22 जुलाई को देश में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (KNP) में स्थानांतरित किए गए चीतों की लगातार मौत पर चिंता जाहिर की है. साथ ही सरकार से पूछा है कि उन्हें राजस्थान में स्थानांतरित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी. बता दें कि इससे पहले भी देश की शीर्ष कोर्ट ने चीतों की मौत पर चिंता जाहिर की थी और उन्हें राजस्थान शिफ्ट करने को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे.
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा, “पिछले सप्ताह दो और चीतों की मौत हुईं. यह प्रतिष्ठा का मुद्दा क्यों बन रहा है? कृपया कुछ सकारात्मक कदम उठाएं. साथ ही उन सभी को फैलाने के बजाय एक ही स्थान पर क्यों रखा गया?”
सरकार की ओर से पेश एएसजी ने पीठ से कहा, ”सरकार के तौर पर हम इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.” लेकिन इस पर बेंच ने कहा, “एक साल से भी कम समय में होने वाली 40 फीसदी मौतें अच्छी तस्वीर नहीं पेश करतीं. 20 चीतों में से 8 की मौत हो चुकी है.”
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भाटी ने तब पीठ से कहा, “यह अपेक्षित तर्ज पर था. स्थानांतरण पर 50% मौतें सामान्य बात हैं.” इस पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “तो मुद्दा क्या है, वे हमारी जलवायु के अनुकूल नहीं हैं? किडनी या श्वसन संबंधी समस्याएं?”
कोर्ट ने मांगा जवाब, अगली सुनवाई एक अगस्त को
एएसजी ने पीठ को अवगत कराया कि संक्रमण के कारण मौतें हो रही हैं. उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि प्रत्येक मौत का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है. अदालत ने अब केंद्र से उन्हें राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करने सहित अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और सुनवाई 1 अगस्त के लिए तय की है.
यह मामला पहली बार तब सामने आया था जब शीर्ष अदालत केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अनुरोध किया गया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के लिए 2020 में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति से सलाह लेना अब अनिवार्य नहीं होना चाहिए.
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