MP News: ये है रावण का गांव! लंकेश बाबा के जयकारे के बिना नहीं होता कुछ काम
MP News: आज के दिन पूरी दुनिया जहां रावण दहन कर बुराई का संहार करती है, वहीं देश में ऐसी कुछ जगहें हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है. इन जगहों पर रावण दहन नहीं किया जाता है. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में मोजूद है रावन गांव, यहां के लोग रावण को भगवान की […]
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MP News: आज के दिन पूरी दुनिया जहां रावण दहन कर बुराई का संहार करती है, वहीं देश में ऐसी कुछ जगहें हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है. इन जगहों पर रावण दहन नहीं किया जाता है. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में मोजूद है रावन गांव, यहां के लोग रावण को भगवान की तरह न सिर्फ पूजते हैं, बल्कि दशहरे के दिन रावण दहन के बजाय लोग रावन की पूजा-अर्चना करते हैं.
विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर रावन गांव जहां के लोग रावण की पूजन करते हैं, इसके अलावा पूरे गांव के लोग अपने आप को रावन बाबा का बंशज मानते हैं. इस गांव में रावण की अन्य देवताओं के साथ पूजा की जाती है. इतना ही नहीं, इन लोगों के लिए रावण इतने पूजनीय हैं कि ये लोग कोई भी शुभ काम करने से पहले रावण की मूर्ति के सामने दंडवत प्रणाम कर शुरुआत करते हैं
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जय लंकेश लिखे बिना नहीं होता कोई काम
इस गांव में लोग दशहरा तो मनाते हैं, लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता है. बल्कि बड़े ही धूमधाम के साथ पूजा अर्चना और भंडारा किया जाता है. यहां रावण को रावन बाबा के नाम से जाना जाता है. हमारे पूरे गांव के ईष्ट, कुलदेवता हैं. रावण बाबा को हम सब गांव वासी मानते हैं. निरंतर और कहीं भूल चूक हो जाती है, तो हमें उसका परिणाम भोगना पड़ता है. इसलिए हम भूल चूक करते ही नहीं हैं. जय लंकेश हमारी गाड़ियों पर लिखा मिलेगा, जय लंकेश नहीं लिखेंगे तो हमारा वाहन नहीं चलेगा. ट्रैक्टर-ट्रॉली, जीप, मोटरसाइकिल सब वाहनों पर जय लंकेश लिखा मिलेगा. जब ही हमारा वाहन चलता है.

क्या है मंदिर बनने के पीछे का रहस्य?
रावन बाबा मंदिर के पुजारी पंडित नरेश तिवारी ने बताया कि सामने रावन बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में तीन किमी दूरी पर एक बूधे की पहाड़ी है. ऐसी मान्यता है कि इस पहाड़ी पर प्राचीन काल में बुद्ध नामक एक राक्षस रहा करता था. जो रावण से युद्ध करने की इच्छा रखता था. जब वह युद्ध करने लंका पहुंचता तो वहां लंका की चकाचौंध देख मोहित हो जाता और उसका क्रोध भी शांत हो जाता था.
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एक दिन रावण ने उसे राक्षस से पूछा तुम दरबार में आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो, तब बुद्ध राक्षस ने बताया महाराज ( रावण) मैं हर बार आपसे युद्ध की इच्छा लेकर आता हूं, लेकिन यहां आपको देखकर मेरा क्रोध शांत हो जाता है. तब रावण ने कहा कि तुम कहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना. तब से यह प्रतिमा बनी हुई है. लोगों ने उसे प्रतिमा की महिमा को देखते हुए वहां रावण बाबा का मंदिर बना दिया. लोगों की इस तरह आस्था जुड़ी है, कि गांव में जब भी कोई वाहन खरीदना है तो उसे पर रावण बाबा का नाम जरूर लिखवाता है.
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