त्रिपुरा का निवास लगाकर CISF में भर्ती हो गए UP के अभ्यर्थी, खुलासा हुआ तो हैरान रह गए अधिकारी
CISF Case MP: मध्य प्रदेश के खरगोन में केंद्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ट्रेनिंग के लिए यूपी के युवाओं ने लगाए फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र. जवानों को ट्रेंनिग से किया टर्मिनेट. बड़वाह थाने पर 6 युवाओं के खिलाफ जीरो पर दर्ज की एफआईआर.
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CISF Case in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बड़वाह में केंद्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ट्रेनिंग कैंप से बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां पर फर्जी तरीके से भर्ती होकर यूपी से आए छह युवाओं की पोल खुल गई है. अब सीआईएसएफ ने उनके खिलाफ टर्मिनेशन की कार्रवाई शुरू कर दी है. स्थानीय पुलिस थाने में सीआईएसएफ ने केस दर्ज कराया है. यूपी के युवाओं ने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाकर केंद्रीय पैरा मिलिट्री फोर्स में नौकरी भी हासिल कर ली. इसके बाद जब जवानों के बारे में खुलासा हुआ तो अधिकारी हैरान रह गए.
अब जवानों को नौकरी से टर्मिनेट करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. बड़वाह थाने पर 6 युवाओं के खिलाफ जीरो पर एफआईआर दर्ज की गई है. सीआईएसएफ में प्रशिक्षणार्थियों को बतौर आरक्षक नियुक्त कर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि (प्राेवेशन पीरियड) में रखा जाता है. खरगोन जिला मुख्यालय से 80 किमी बड़वाह केंद्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) बड़वाह के ट्रेनिंग कैंप में आए जवानों के निवासी प्रमाण पत्र जांच में फर्जी निकल रहे हैं. अब तक छह मामले सामने आए हैं. मामले का खुलासा होने पर प्रशिक्षण लेने आए जवानों को नौकरी से टर्मिनेट किया जा रहा है.
ऐसे आए पकड़ में
बड़वाह पुलिस ने अब तक इस तरह के सीआईएसएफ से मिले छह प्रकरणों में मामला दर्ज कर संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाई कर उनके स्थानीय पुलिस थाने को भी भेज चुकी हैं. विभाग द्वारा कुछ समय पहले भर्ती निकाली गई थी. इसमें आवेदकों को नियुक्ति पत्र जारी किया गया था. इस पत्र के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थी को आरक्षक का पदभार ग्रहण करने और प्रशिक्षण के लिए क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र बड़वाह रिपोर्ट करना था. यहां प्रशिक्षणार्थी को बतौर आरक्षक नियुक्त कर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि में रखा गया. इसके बाद जब इनके दस्तावेजों की जांच की गई तो उसमें कुछ के निवासी प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए.
तहसीलदार ने जारी ही नहीं किये प्रमाण पत्र
जवानों ने आवेदन के दौरान मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाया. सीआईएसएफ द्वारा वहां के संबंधित अधिकारियों को जांच के लिए लिखा. जब वहां जांच की गई तो प्रथम दृष्टया प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. जब जांच रिपोर्ट सीआईएसएफ को मिली तो उनके द्वारा ऐसे लोगों के विरुद्ध पुलिस को कार्रवाई के लिए आवेदन लिखा गया. इसके बाद पुलिस ने इनके विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है. जांच में पता चला तहसीलदार ने जारी ही नहीं किया है.
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जांच के बाद सेवा समाप्त की कार्रवाई
प्रशिक्षणार्थी आरक्षक अनिल यादव त्रिपुरा राज्य के जिला वेस्ट त्रिपुरा के सीधिया आश्रम गांव के निवासी है. इनके निवास प्रमाण पत्र की जांच में जिलाधिकारी और कलेक्टर कार्यालय पश्चिम त्रिपुरा ने प्रमाणित कर बताया कि प्रशिक्षणार्थी के संबंध में मूल निवास प्रमाण पत्र की जांच तहसीलदार सदर ओर जिरानिया, पश्चिम त्रिपुरा से कराई गई. ये पाया गया कि अनिल यादव के संबंध में मूल निवास प्रमाण पत्र तहसीलदार सदर ओर जिरानिया पश्चिम त्रिपुरा द्वारा जारी नहीं किया गया है. रिपोर्ट के बाद सीआईएसएफ द्वारा उपरोक्त प्रशिक्षणार्थी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर सेवा समाप्त कर दी गई है.
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CISF 30 जनवरी से अब तक 6 FIR दर्ज कराई
सीआईएसएफ ने थाना प्रभारी को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई के लिए लिखा. इसके बाद थाना प्रभारी द्वारा जीरो कायमी कर संबंधितों के थाना क्षेत्र को भेज दिया. 30 जनवरी से अब तक छह के खिलाफ दर्ज प्रकरण दर्ज हुए हैं. मामले सीआईएसएफ के पास आने लगे तो उन्होंने पुलिस की शरण ली. 30 जनवरी को बावड़ी रोड़ बलिया निवासी सुधीर कुमार पिता अवधेश पाठक, अंशुल कुमार पिता जोगेंद्र सिंह निवासी अशोक नगर थाना जसरथपुरा एटा उत्तरप्रदेश के विरुद्ध शिकायत मिली थी. इसके बाद 11 फरवरी को बिहार राज्य के सूरज कुमार पिता सुधांशु प्रसाद ग्राम नंदनामा थाना रामगढ़ जिला लखिसराय एवं बिहार के गोपाल पिता अभय नंदन सिंह निवासी ग्राम नंदनामा जिला लखिसराय के विरुद्ध पुलिस को शिकायत मिली.
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वहीं 13 फरवरी को गाजीपुर जिले के निवासी अनिल यादव पिता अंबिका यादव एवं उत्तर प्रदेश के ओरेया जिले के ग्राम कोठी निवासी पंकज कुमार पिता सुरेंद्रसिंह लौधी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया.
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हमारे पास छह मामले आए: पुलिस
थाना इंचार्ज प्रीतम सिंह ठाकुर का कहना है सीआईएसफ में भर्ती के लिए ऐड निकला हुआ था उसे ऐड को देखकर देश भर के नौजवानों ने आवेदन किया था. एक लोगों ने नॉर्थ ईस्ट की तरफ से आवेदन किया था और रहने वाले में उत्तर प्रदेश के हैं. उनके जब मूल निवासी प्रमाण पत्र वेरीफाई के लिए भेजे गए तो वे रिकॉर्ड में नहीं पाए गए. किस तरह से सीआईएसएफ ने पाया कि यह मूल निवासी प्रमाण पत्र कूट रचित है। प्रथम राष्ट्रीय फर्जी प्रमाण पत्र नजर आने पर उनके विरुद्ध धारा 420, 68-68 की एफआईआर जीरो पर करके सबंधित थानों को भेजा गया है. अब तक हमारे पास इस तरह के छह मामले आए हैं.
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