Lok Sabha Election: कौन हैं प्रवीण पाठक, जिन्हें सबसे आखिर में ग्वालियर से कांग्रेस ने दिया टिकट?

एमपी तक

ग्वालियर से कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया है. आइए जानते हैं प्रवीण पाठक कौन हैं, और कांग्रेस ने उनके ऊपर ये बड़ा दांव लगाया है.

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं. एमपी को लेकर कांग्रेस ने अपने लोकसभा प्रत्याशियों की आखिरी लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट के प्रत्याशियों के नाम चौंकाने वाले हैं. कांग्रेस ने ग्वालियर, मुरैना और खंडवा में उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं, इसके साथ ही प्रदेश की सभी 29 सीटों पर मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है. ग्वालियर से कांग्रेस ने प्रवीण पाठक (Praveen Pathak) को उम्मीदवार बनाया है. आइए जानते हैं प्रवीण पाठक कौन हैं, और कांग्रेस ने उनके ऊपर ये बड़ा दांव लगाया है. 

ग्वालियर से प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया गया है. वे सुरेश पचौरी के करीबी माने जाते हैं. प्रवीण पाठक विधायक रह चुके हैं. कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर दक्षिण से अपना उम्मीदवार बनाया था, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

ग्वालियर में दमदार मुकाबला

कांग्रेस ने दमदार चेहरे को मैदान में उतारकर ग्वालियर लोकसभा सीट के मुकाबले को रोचक बना दिया है. भाजपा ने ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाह को टिकट दिया है. 3 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में प्रवीण पाठक का मुकाबला बीजेपी से हुआ था, जिसमें उन्हें बीजेपी प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था. दरअसल, प्रवीण पाठक मामूली अंतर से विधानसभा चुनाव हारे थे. उनकी पकड़ मजबूत है और वे लगातार सक्रिय बने हुए हैं, यही वजह है कि कांग्रेस ने एक बार फिर पाठक पर दांव लगाया है. देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में ये बाजी पलट पाती है या नहीं. 

ग्वालियर कैसे बना बीजेपी का गढ़?

ग्वालियर सिंधिया का गढ़ कहा जाता है. एक समय ग्वालियर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन पिछले चार चुनावों से बीजेपी लगातार इस सीट पर जीतती आ रही है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया समेत कई दिग्गज नेता ग्वालियर सीट से सांसद रहे हैं. 1984 से शुरू हुआ माधवराव सिंधिया की जीत का सिलसिला 1989 से लेकर 1991, 1996 और 1998 तक बरकरार रहा.

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साल 1999 में बीजेपी से जयभान सिंह पवैया ने चुनाव लड़ा और यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई. साल 2004 के चुनाव में कांग्रेस के रामसेवक सिंह ने यहां से जीत दर्ज की. 2007 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से इस सीट को अपने खाते में कर लिया और यशोधरा राजे सिंधिया ग्वालियर से सांसद चुनी गई. यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी जीत को बरकरार रखते हुए 2009 में भी बीजेपी का परचम लहराया, जबकि साल 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट पर जीत दर्ज की. इसी जीत के सिलसिले को विवेक नारायण शेजवलकर ने आगे बढ़ाते हुए साल 2019 के चुनाव में जीत हासिल की. इस बार भाजपा ने भारत सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है.
 

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