गोपाल भार्गव से अचानक मिलने क्यों पहुंचे 2 डिप्टी CM, 2 मंत्री? क्या दूर कर पाए दिग्गज की नाराजगी?
MP Politics: मध्य प्रदेश में अफसरशाही को लेकर कई विधायकों में नाराजगी है. आवाज उठा रहे विधायकों को गोपाल भार्गव का साथ मिला था. वह जब भोपाल पहुंचे तो सरकार के दोनों डिप्टी CM और दो मंत्री उनसे मिलने पहुंच गए. माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी दूर करने के लिए ये नेता मिले थे.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

गोपाल भार्गव की नाराजगी दूर करने की कोशिश, भोपाल में दो डिप्टी CM मिलने पहुंचे घर

मोहन सरकार के दो मंत्री भी मिलने पहुंचे, गोपाल भार्गव ने भी व्यक्त की थी नाराजगी
MP Political News: मध्य प्रदेश की राजनीति में अफसरशाही को लेकर विधायकों की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल बीजेपी के कई विधायक मुखर हो रहे हैं, जिन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का समर्थन मिला है. भार्गव ने बीजेपी विधायक बृज बिहारी पटेरिया के समर्थन में एक दमदार पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि विधायकों की अनसुनी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इससे सरकार और संगठन में खलबली मच गई है.
गोपाल भार्गव ने कहा- अनसुनी बर्दाश्त नहीं की जाएगी
दिग्गज बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की नाराजगी की खबरें फैलते ही भोपाल में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गईं. उनके भोपाल पहुंचने पर दोनों डिप्टी सीएम, राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा उनसे मिलने पहुंचे. उनके साथ लंबी बातचीत हुई. इस दौरान प्रदेश की राजनीति और क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, सरकार के दो मंत्री, शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह और पशुपालन मंत्री लखन पटेल भी गोपाल भार्गव के घर पहुंचे. उनके साथ राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की.
हालांकि, गोपाल भार्गव ने इस मुलाकात की तस्वीरें खुद सोशल मीडिया पर साझा कीं और लिखा कि यह एक सौहार्दपूर्ण मुलाकात थी, जहां विभिन्न सामयिक राजनीतिक विषयों पर सार्थक बातचीत हुई. इससे यह स्पष्ट होता है कि भार्गव ने बेबाकी से अपनी बात रखी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात के बाद उनकी नाराजगी कम होती है या नहीं.
विधायकों में अफसरशाही को लेकर असंतोष
गोपल भार्गव की मुखरता के बाद यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत नाराजगी का नहीं रह गया है, बल्कि बीजेपी के अन्य विधायक भी अपनी सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं. उनकी नाराजगी का मुख्य कारण है. अफसरशाही का दबदबा और विधायकों की अनदेखी. इन विधायकों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनकी सुनवाई नहीं की जा रही है, जिससे उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है. यह स्थिति अब विधायकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है.
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CM और संगठन के सामने विधायकों का दर्द
भोपाल में सोमवार को आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री और संगठन के सामने विधायकों ने अपनी बात रखी. विधायकों को सलाह दी गई कि वे सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ कुछ न बोलें, क्योंकि इससे पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है. हालांकि, अधिकांश विधायकों की नाराजगी अफसरशाही के रवैये को लेकर ही है. उनका मानना है कि अफसरशाही के बढ़ते प्रभाव के कारण विधायकों की उपेक्षा हो रही है और उनके क्षेत्रों में विकास कार्यों में बाधा आ रही है.
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क्या गोपाल भार्गव की नाराजगी दूर होगी?
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सभी की निगाहें गोपाल भार्गव पर टिकी हैं. उन्होंने अपनी नाराजगी को लेकर स्पष्ट संकेत दिए हैं, और उनकी मुलाकातों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार उनकी समस्याओं का समाधान कर पाती है या नहीं. भार्गव जैसे वरिष्ठ नेता की नाराजगी को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि इससे सरकार पर दबाव बढ़ सकता है. इसके अलावा, अन्य नाराज विधायकों का भी सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा है, जिससे पार्टी को अंदरूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
गोपाल भार्गव की नाराजगी से मची खलबली
मध्य प्रदेश की राजनीति में इस समय अफसरशाही को लेकर गहराता असंतोष एक गंभीर मुद्दा बन गया है. गोपाल भार्गव जैसे दिग्गज नेताओं की नाराजगी ने इसे और भी प्रमुख बना दिया है. अब देखना यह होगा कि सरकार इस असंतोष को कैसे संभालती है और क्या गोपाल भार्गव की नाराजगी को दूर करने में सफल होती है. इस पूरे मामले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इसका असर प्रदेश की राजनीति पर गहरा हो सकता है.