बजट 2024: बढ़ती जनसंख्या का टेंशन दिखा! जानिए मोदी सरकार ने इसके लिए किया क्या ऐलान

रूपक प्रियदर्शी

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Budget 2024: मोदी सरकार के अंतरिम बजट में इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया. कुछ सस्ता या महंगा नहीं किया गया. चुनाव से पहले पेश हुआ अंतरिम बजंट सच में अंतरिम बजट था जिसमें किसी लोक लुभावनी योजनाएं का अनाउंसमेंट नहीं हुआ. बजट का पूरा फोकस 2047 तक विकसित भारत बनाने की सरकार की कोशिशों और टारगेट पर रहा.

वैसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित भारत वाले इस बजट में जनसंख्या वृद्धि पर कमेटी का अनाउंसमेंट कर दिया. इसके तहत सरकार देश में तेजी से हो रही जनसंख्या वृद्धि में बदलाव की चुनौतियों पर गौर करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाएगी. दरअसल 2019 में पीएम मोदी ने लाल किले से दिए अपने भाषण में भी जनसंख्या वृद्धि का जिक्र करते हुए छोटा परिवार रखने की अपील की थी. उसके बाद अब कमेटी बनाने का एलान हुआ है. कमेटी का टास्क क्या होगा, फोकस क्या होगा, कमेटी में कौन लोग होंगे? ऐसे सवालों के जवाब अभी आए नहीं हैं. हालांकि अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने ये जरूर माना कि जनसंख्या वृद्धि और डेमोग्राफिक चेंज विकसित भारत के लिए चुनौती है.

सालों से उठती रही है जनसंख्या पर कानून बनाने की मांग

जनसंख्या वृद्धि देश में राजनीतिक मुद्दा है. अरसे से मांग हो रही है कि, जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बने. वैसे सरकार ने कभी ऐसे किसी कानून को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई है लेकिन हां मुसलमानों को निशाना बनाकर सरकार के कुछ मंत्री और बीजेपी नेता रह-रहकर जनसंख्या वृद्धि का राग छेड़ते रहे है. 2019 में बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने जनसंख्या विनियमन विधेयक नाम का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया था, लेकिन उसका आगे कुछ नहीं हुआ. अतीत में देश की संसद में जनसंख्या नियंत्रण के लिए करीब 35 बिल पेश किए गए, लेकिन किसी सरकार ने ऐसे कानून के लिए पहल नहीं की. ऐसे सारे बिल ठंडे बस्ते में जाते रहे है.

इंदिरा गांधी के जमाने से चल रहा है नारा ‘हम दो-हमारे दो’

देश में सबसे पहले इंदिरा गांधी के जमाने में परिवार नियोजन के लिए सरकारी कार्यक्रम शुरू हुआ था. तभी से ये सरकारी नारे लग रहे हैं कि- हम दो, हमारे दो या बच्चे दो ही अच्छे. इंदिरा सरकार ने छोटे परिवार के लिए पहल की थी, लेकिन छोटे परिवार के लिए कानून नहीं बनाया. उनके वक्त में इमरजेंसी के समय जबरन नसबंदी को लेकर विवाद जरूर खड़ा हुआ था.

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कुल मिलाकर बात ये है कि, देश में जनसंख्या विस्फोट और बहुत सारे बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति के खिलाफ योजनाएं, नारे, कैंपेन चलते रहे लेकिन ‘टू चाडल्ड या एक्स नंबर ऑफ चाइल्ड’ के लिए देश में कोई सरकारी कानून नहीं है. किसी को कितने भी बच्चे पैदा करने है वो पैदा कर सकता है. हालांकि सरकार ने इतना जरूर किया है कि, कुछ सरकारी योजनाओं के दायरे को सीमित किया है या उनका लाभ सिर्फ 2 बच्चों को ही मिल सकता है.

2050 तक बढ़ती रहेगी भारत की जनसंख्या: संयुक्त राष्ट्र

पिछले साल भारत की जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन ने एक रिपोर्ट जारी की थी. यूएन की रिपोर्ट कहती है कि 2050 तक भारत की जनसंख्या बढ़ती रहेगी लेकिन उसके बाद जनसंख्या घटनी शुरू हो जाएगी. 2022 में जब यूएन की रिपोर्ट आई थी तब चीन की जनसंख्या 142 करोड़ 57 लाख से ज्यादा भारत की जनसंख्या 142 करोड़ 86 करोड़ थी. 2050 में भारत की जनसंख्या 166 करोड़ 80 लाख हो सकती है जबकि चीन की जनसंख्या घटकर 131 करोड़ 70 लाख रह जाएगी. 2050 तक हर पांचवां भारतीय 50 साल होगा. यूएन रिपोर्ट में इतना तक कहा गया कि पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा बुजुर्ग होंगे लेकिन बिहार, यूपी में सबसे ज्यादा युवाओं की जनसंख्या हो सकती है.

साल  भारत चीन
2022 142 करोड़ 86 करोड़ 142 करोड़ 57 लाख
2050 166 करोड़ 80 लाख 131 करोड़ 70 लाख

आने वाले सालों में देश में बढ़ेगी बुजुर्गों को संख्या

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज एंड यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की 27 सितंबर, 2023 की रिपोर्ट ‘इंडिया एजिंग’ के बारे में थी. एजिंग मतलब भारतीय जनसंख्या की उम्र के बारे में जिसमें अनुमान लगाया गया कि, 2050 तक बुजुर्गों की संख्या काफी बढ़ जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया जुलाई 2022 तक 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों की जनसंख्या भारत में 14.9 करोड़ थी. मतलब 10 परसेंट के आसपास. 2050 तक बुजुर्गों की जनसंख्या हो जाएगी 34.7 करोड़ यानी 20 परसेंट से भी ज्यादा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 में भारत में बुजुर्ग जनसंख्या 20 परसेंट हो सकती है.,

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