चंद्रबाबू नायडू ने जब किया डबल धमाल, साउथ से किया खेल, ऐसे हिलाई दिल्ली

कीर्ति राजोरा

चंद्रबाबू नायडू को स्किल डेवलपमेंट स्कैम में 52 दिन जेल में रहना पड़ा. इस गिरफ्तारी ने उन्हें विवादों में ला दिया, लेकिन उन्होंने इसे अपने राजनीतिक कौशल से भुनाया. मार्च 2024 में, उन्होंने एनडीए में वापसी की और बीजेपी, पवन कल्याण की जनसेना के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा.  

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Chandrababu Naidu: चंद्रबाबू नायडू का नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपनी रणनीतियों और सटीक फैसलों से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है. कांग्रेस से अपने सफर की शुरुआत करने वाले नायडू ने समय के साथ खुद को बदला और आज वह आंध्र प्रदेश में सत्ता का केंद्र और केंद्र में किंगमेकर की भूमिका निभा रहे हैं.  

साल 2024 का लोकसभा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव चंद्रबाबू नायडू के लिए ऐतिहासिक रहा. लोकसभा चुनाव में टीडीपी ने 25 में से 16 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि विधानसभा में 175 में से 135 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. केंद्र में बीजेपी ने 240 सीटें जीतीं लेकिन बहुमत से दूर रह गई. ऐसे में नायडू और नीतीश कुमार की पार्टियों ने मोदी सरकार को समर्थन देकर उसे मजबूती दी. यह राजनीतिक समीकरण नायडू को केंद्र में निर्णायक भूमिका में ले आया.  

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राजनीति में ससुर को चुनौती देकर बनाया मुकाम  

चंद्रबाबू नायडू का सियासी सफर जितना शानदार है, उतना ही दिलचस्प भी. उन्होंने 1978 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा. एनटी रामाराव (एनटीआर) से मुलाकात और उनकी बेटी भुवनेश्वरी से शादी के बाद नायडू टीडीपी में शामिल हुए. लेकिन 1995 में उन्होंने अपनी राजनीतिक चाल चलते हुए अपने ही ससुर एनटीआर का तख्तापलट कर दिया और टीडीपी के विधायकों के समर्थन से पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली. यह उनके राजनीतिक जीवन का सबसे साहसिक कदम था.  

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जेल से लेकर राजनीतिक वापसी तक का सफर

चंद्रबाबू नायडू को स्किल डेवलपमेंट स्कैम में 52 दिन जेल में रहना पड़ा. इस गिरफ्तारी ने उन्हें विवादों में ला दिया, लेकिन उन्होंने इसे अपने राजनीतिक कौशल से भुनाया. मार्च 2024 में, उन्होंने एनडीए में वापसी की और बीजेपी, पवन कल्याण की जनसेना के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा.  

नेशनल राजनीति में नायडू की अहमियत

1996 और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी को समर्थन देने वाले नायडू ने खुद को राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से स्थापित किया. हालांकि, 2018 में उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ लिया था, लेकिन 2024 में फिर से वापसी कर उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता को साबित किया.  

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एक साल में बदल गई किस्मत

2019 में बीजेपी से दूर रहने वाले नायडू आज मोदी सरकार के लिए अहम हैं. वक्फ संशोधन अधिनियम और आंध्र प्रदेश के लिए 15 हजार करोड़ के पैकेज जैसे मुद्दों पर उनकी भूमिका चर्चा में रही. एनडीए में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार अब उन्हें प्राथमिकता देती है.  

चंद्रबाबू नायडू की कहानी एक ऐसे नेता की है, जिसने समय के साथ खुद को ढालते हुए राजनीति के शिखर तक का सफर तय किया. उनके नेतृत्व ने न केवल आंध्र प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित किया है.

यहां देखें पूरा वीडियो

 

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