मनीष सिसोदिया की सीट बदलना AAP को पड़ेगा भारी, क्या कहता है जंगपुरा का इतिहास?
AAP के कद्दावर चेहरा मनीष सिसोदिया ने इसे अपनी सेफ सीट के तौर पर चुना है, लेकिन कांग्रेस के फरहाद सूरी और बीजेपी की चुनौती इसे रोचक बना रही है.
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Delhi Elections 2025 Jangpura Seat: उत्तर भारत में चुनावी सरगर्मी तेज है. दिल्ली की जंगपुरा विधानसभा सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है. इस सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. AAP के कद्दावर चेहरा मनीष सिसोदिया ने इसे अपनी सेफ सीट के तौर पर चुना है, लेकिन कांग्रेस के फरहाद सूरी और बीजेपी की चुनौती इसे रोचक बना रही है. आइए जानते हैं इस सीट के राजनीतिक समीकरण और सिसोदिया की राह में आने वाली चुनौतियां.
जंगपुरा: कौन-कौन हैं आमने-सामने?
इस बार जंगपुरा सीट पर तीन प्रमुख दलों के उम्मीदवार मैदान में हैं:
- AAP:मनीष सिसोदिया
- कांग्रेस: फरहाद सूरी
- बीजेपी: उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई
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पिछले तीन चुनावों में यह सीट AAP का गढ़ रही है.
- 2013: AAP के मनिंदर सिंह धीर ने 1,744 वोटों से जीत हासिल की.
- 2015: प्रवीण कुमार ने 20,450 वोटों से जीत दर्ज की.
- 2020: प्रवीण कुमार ने 16,063 वोटों से जीत पाई.
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जंगपुरा विधानसभा: जातीय और अन्य समीकरण
जंगपुरा विधानसभा 2 लाख मतदाताओं का घर है.
- 16% मुस्लिम वोटर
- 18% पंजाबी-सिख वोटर
- 16% दलित वोटर
- 22-25% ग्रामीण वोटर
- 20-24% शहरी वोटर
यह सीट शहरी और ग्रामीण मतदाताओं का मिश्रण है. हाईप्रोफाइल इलाके जैसे निजामुद्दीन ईस्ट-वेस्ट, सुंदर नगर और झुग्गी बस्तियां यहां के मतदाताओं को विविधता देती हैं.
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सिसोदिया के पक्ष और विपक्ष में कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं?
सिसोदिया के पक्ष में:
- जंगपुरा AAP का गढ़ रही है.
- झुग्गी और कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले वोटर AAP के समर्थन में हैं.
- सिसोदिया का सियासी कद.
सिसोदिया के खिलाफ:
- निगम चुनाव में AAP का प्रदर्शन कमजोर रहा.
- कांग्रेस के फरहाद सूरी जैसे मजबूत उम्मीदवार मैदान में हैं.
- मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का खतरा.
AAP को अपने गढ़ को बचाना है, कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहती है, और बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. जंगपुरा विधानसभा का नतीजा यह तय करेगा कि दिल्ली की सियासत किस ओर रुख करेगी.
इनपुट-दिनेश यादव