65 साल में 400 से ज्यादा हादसे, काफी पहले ही रिटायर हो जाने वाला मिग-21 आखिरकार अब ले रहा विदाई, आगे वायु सेना का ये है प्लान
1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21, कई ऐतिहासिक लड़ाइयों और ऑपरेशनों का हिस्सा रहा है. साल 1965 और 1971 की जंग हो, कारगिल युद्ध या फिर 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक.
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भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना और एक वक्त पर सबसे भरोसेमंद माना जाने वाला फाइटर जेट मिग-21 (MiG-21) अब हमेशा के लिए आसमान को अलविदा कहने जा रहा है. 9 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस पर इसकी विदाई के लिए एक खास कार्यक्रम आयोजित होगा, जहां 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) इस ऐतिहासिक विमान को आखिरी सलामी देंगे.
1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21, कई ऐतिहासिक लड़ाइयों और ऑपरेशनों का हिस्सा रहा है. साल 1965 और 1971 की जंग हो, कारगिल युद्ध या फिर 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक. लेकिन इसकी लंबी सेवा के दौरान एक और पहचान इससे जुड़ गई और वह है बार-बार होने वाले हादसे.
65 साल, 400 से ज्यादा हादसे, 200 से ज्यादा मौतें
मिग-21 को भले ही 'फ्लाइंग बुलेट' कहा जाता था, लेकिन समय के साथ इसने एक और खतरनाक उपनाम हासिल कर लिया है और वह है 'फ्लाइंग कॉफिन'. वजह साफ थी लगातार हो रही दुर्घटनाएं. 1960 के दशक से अब तक मिग-21 के 500 से ज्यादा क्रैश हो चुके हैं, जिनमें 200 से ज्यादा पायलटों और दर्जनों आम नागरिकों की जान भी जा चुकी है.
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पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के अनुसार, सिर्फ 1963 से 2012 के बीच 482 मिग-21 हादसों का शिकार हुए. इसके बाद भी हादसे जारी रहे.
हाल के कुछ बड़े हादसे
पिछले कुछ सालों में भी मिग-21 से जुड़े कई दुखद हादसे सामने आए:
- 28 जुलाई 2022: राजस्थान के बाड़मेर में ट्रेनिंग फ्लाइट के दौरान क्रैश, दोनों पायलट शहीद.
- 24 दिसंबर 2021: जैसलमेर में मिग-21 गिरने से विंग कमांडर हर्षित सक्सेना शहीद हो गए थे.
- 12 मई 2021: पंजाब के मोगा में हादसा, स्क्वाड्रन लीडर अभिषेक चौधरी की मौत.
- 17 मार्च 2021: ग्वालियर एयरबेस से उड़ान के बाद क्रैश, ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की जान गई.
- 5 जनवरी 2021: सूरतगढ़ में मिग-21 गिरा, पायलट बाल-बाल बचे.
आखिर क्यों होता रहा मिग-21 क्रैश?
मिग-21 एक पुराना रूसी डिजाइन है, जिसे 1950-60 के दशक में तैयार किया गया था. इसमें इस्तेमाल होने वाली पुरानी तकनीक, सिंगल इंजन सिस्टम, और लिमिटेड सेफ्टी फीचर्स समय के साथ इसकी कमजोरियां बनती चली गईं.
कैग (CAG) की रिपोर्ट में बताया गया था कि इसके इंजन, एयरफ्रेम और कंट्रोल सिस्टम में कई तकनीकी कमियां हैं, जो इसकी उड़ान को जोखिम भरा बना देती हैं.
रिटायरमेंट में देरी क्यों हुई?
हालांकि मिग-21 को 1990 के दशक में ही रिटायर किया जाना था, लेकिन भारत में नए फाइटर जेट्स की खरीद और निर्माण में देरी के चलते इसे कई बार अपग्रेड करके सेवा में बनाए रखा गया. स्वदेशी तेजस विमान के आने में देरी, राफेल सौदे से जुड़े विवाद और सीमित स्क्वाड्रन संख्या के चलते वायुसेना को मजबूरी में इस बूढ़े योद्धा को उड़ाते रहना पड़ा.
फिर भी निभाया देश के लिए फर्ज
मिग-21 भले ही हादसों की वजह से बदनाम हुआ, लेकिन इससे जुड़े वीरता के किस्से भी कम नहीं हैं.
1971 की जंग में इसने पाकिस्तान के कई विमान गिराए और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. साल 2019 में बालाकोट के बाद विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से उड़ान भरते हुए पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया. ये मिसाल है कि पुरानी तकनीक भी सही हाथों में कमाल कर सकती है.
अब तेजस लेगा कमान
मिग-21 की विदाई के बाद अब उसकी जगह लेने जा रहा है भारत का खुद का बनाया हुआ लड़ाकू विमान तेजस Mk1A. हालांकि तेजस का प्रोडक्शन धीमी रफ्तार से हो रहा है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनेगा. कभी भारत के पास 850 से ज्यादा मिग-21 थे, जिनमें से 600 देश में ही बने थे. अब यह आंकड़ा शून्य की ओर बढ़ रहा है.
एक युग का अंत
मिग-21 की रिटायरमेंट सिर्फ एक फाइटर जेट की विदाई नहीं है, बल्कि हजारों कहानियों, शौर्य और बलिदान की भी विदाई है. 65 साल तक भारत के आसमान की रक्षा करने वाले इस विमान को सलाम – जिसने अपनी खामियों के बावजूद, भारत की हिफाजत में कोई कसर नहीं छोड़ी.
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