सिरमौर की इस खूबसूरत लड़की की ऐसी क्या मजबूरी थी, जो दो युवकों से एक साथ ही करनी पड़ी शादी?

न्यूज तक

Himachal Pradesh Brothers Marry Same Woman: सिरमौर जिले में एक युवती ने दो सगे भाइयों विवाह किया है. इस शादी ने हाटी समुदाय की बहुपति परंपरा को एक बार फिर से चर्चाओं में ला दिया है.

ADVERTISEMENT

Two brothers marry same bride in Himachal Pradesh
 हिमाचल प्रदेश की सुनिता ने दो सगे भाइयों से की शादी
social share
google news

Himachal Pradesh Brothers Marry Same Woman: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हुई एक अनोखी शादी इन दिनों खूब चर्चाओं में है. दरअसल, यहां कुनहाट गांव की सुनीता चौहान ने प्रदीप नेगी और कपिल नेगी नाम के दो भाइयों से एक ही मंडप में शादी की है. ये शादी पूरे परिवार की सहमति और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ धूमधाम से की गई.

सुनीता की दो भाइयों के साथ हुई इस शादी ने प्राचीन काल में होने वाली बहुपतित्व प्रथा (पॉलीएंड्री) को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. बताया जाता है कि ये प्रथा इस क्षेत्र में लगभग विलुप्त होने की कगार पर थी. लेकिन इस शादी के बाद से एक बार फिर इसको लेकर बात की जा रही है.

कौन हैं दोनों भाई प्रदीप और कपिल नेगी

सुनीता ने जिन दो भाइयों से शादी की है वे काफी पढ़े-लिखे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये दोनों भाई किसान परिवार से आते हैं. बचपन से ही कपिल और प्रदीप मिलजुलकर खेती-बाड़ी और अन्य कामों में एक-दूसरे का हाथ बंटाते रहे हैं. इनमें से बड़े भाई प्रदीप नेगी जल शक्ति विभाग में कार्यरत हैं.

यह भी पढ़ें...

वहीं, छोटे भाई कपिल नेगी विदेश में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कार्यरत हैं. इस शादी को लेकर प्रदीप और कपिल नेगी ने बताया कि उन्होंने मिलकर ये निर्णय लिया कि वे जीवन भर साथ रहने के साथ-साथ एक ही जीवनसंगिनी से विवाह करेंगे. वहीं, उनके इस फैसले को दुल्हन सुनीता चौहान ने भी अपनी सहमति जताई थी.

इस वजह से लड़की ने दो भाइयों से की शादी

दुल्हन के लिबास में खूबसूरत दिखने वाली सुनीता ने ये शादी किसी मजबूरी या दबाव में नहीं की है, वह तो बल्कि इस शादी से बेहद खुश है. उसकी रजामंदी के साथ ही इसमें उसके परिवार का भी पूरा समर्थन मिला. दरअसल, कहा जाता है कि ये सिरमौर जिले की एक सदियों पुरानी प्रथा है. इस प्रथा के पीछे महाभारत कालीन पांडव संस्कृति का प्रभाव बताया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पांडवों का अज्ञातवास सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र, उत्तराखंड के जौनसार बावर और शिमला जिले के जुब्बल क्षेत्र में भी रहा था.

कौरव और पांडवों को मानते हैं अपना वंशज

वर्तमान में इन क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासी शाटी और पाशी समुदाय खुद को कौरव और पांडव वंशज मानते हैं. कहा जाता है कि इन क्षेत्रों में पांडवों के रहने के कई प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं. हाटी और जौनसारी जनजाति के प्रमुख आराध्य देव देहरादून जिले के हनोल स्थित महासू देवता हैं. मान्यता है कि इस मंदिर की मूल स्थापना पांडवों ने की थी.

शादी में ज्यादातर सगे भाई होते हैं शामिल

हाटी समुदाय को तीन साल पहले अनुसूचित जनजाति घोषित किया जा चुका है. जानकारी के अनुसार, इस जनजाति में सदियों से बहुपतित्व प्रथा प्रचलित थी. इस प्रथा को जोड़ीदारा या उजला पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. इसमें ज्यादातर सगे भाई ही शामिल होते हैं. हालांकि, महिलाओं में बढ़ती साक्षरता और क्षेत्र में समुदायों के आर्थिक उत्थान के कारण अब ऐसे मामले कम सामने आते हैं.

परंपरा के पीछे बताई जाती हैं ये वजहें

गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस तरह की शादियां पहले गुप्त तरीके से की जाती थीं, जिन्हें समाज द्वारा स्वीकार भी किया जाता था. हालांकि, ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते थे. इस परंपरा के पीछे सबसे अहम वजह पैतृक जमीन का बंटवारा रोकना माना जाता है. बताया जाता है कि यह परंपरा हजारों साल पहले एक परिवार की खेती वाली जमीन को और ज्यादा बंटवारे से बचाने के लिए शुरू की गई थी.

वहीं, दूसरा कारण संयुक्त परिवार में भाईचारे और आपसी समझ को बढ़ावा देना था. तीसरा कारण सुरक्षा की भावना थी. वहीं, एक कारण ये भी बताया जाता है कि कोई भी महिला विधवा न रहे और परिवार में एकता बनी रहे.

ये भी पढ़ें: यहां किराए पर मिलती हैं 'दादियां', इमोश्नल सपोर्ट से लेकर खाना बनाने तक करती है मदद

    follow on google news
    follow on whatsapp