'अब तक 56' के असली हीरो दया नायक को रिटायरमेंट से 2 दिन पहले मिला प्रमोशन, इनसे क्यों कांपता था अंडरवर्ल्ड

News Tak Desk

दया नायक का सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर से प्रमोट करके असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) बनाया गया है. दया इस पद पर दो दिन रहने के बाद रिटायर हो जाएंगे.

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तस्वीर: इंडिया टुडे.
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कभी माया नगरी मुंबई में अंडरवर्ल्ड की तूती बोलती थी. मुंबई की सड़कों पर सरेआम कत्लेआम होता था. ये दौर था 90 के दशक का. फिर वो काला दिन भी आया जिसने मुंबई क्या पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. मुंबई पुलिस के हाथ-पांव फूल गए. मुंबई की सड़कों पर रंगदारी, सुपारी गैंग को अंडरवर्ल्ड के सरगना ऑपरेट कर रहे थे. 

उसी समय इन्हीं सड़कों पर एक समानान्तर गैंगवार भी छिड़ गया. अलग-अलग गैंग आपस में भिड़ने लगीं. आए दिन हत्याएं और खून से लाल खड़कें आम बात हो गईं. तभी मुंबई पुलिस में एक शख्स की एंट्री हुई और माया नगरी की फिजां बदलने लगी. 

अंडरवर्ल्ड में डर का माहौल हो गया. मुंबई की सड़कों में अब लूटपाट, रंगदारी और सुपरी गैंग भागती फिर रही थी. अंडरवर्ल्ड के सरगना छुपने लगे. इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा के साथ मिलकर दया नायक ने एक के बाद एक 80 एनकाउंट किए...दया नायक एनकाउंट स्पेशलिस्ट के तौर पर फेमस हो गए. 

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1995 में हुई पुलिस में एंट्री

दया कर्नाटक के एक गांव से मुंबई में पढ़ाई के लिए आए थे. पढ़ाई करने के साथ ही वे छोटे-मोटे काम भी किया करते थे, जिससे गुजारा हो सके. आखिरकार साल 1995 में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस सेवा में सलेक्ट कर लिया गया. बतौर सब इंस्पेक्टर पहली तैनाती हुई जुहू पुलिस स्टेशन में जहां उनकी मुलाकात हुई इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा से. प्रदीप शर्मा दया के काम से प्रभावित हुए और अपनी टीम में शामिल कर लिए. दोनों ने मिलकर मुंबई में अंडरवर्ल्ड का सफाया करना शुरू किया. दया का खबरिया नेटवर्क और प्लानिंग जबरदस्त थी. 

फिल्म बनी और कड़वाहट घुलने लगी

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दया की प्रसिद्धी कई पुलिस अधिकारियों को खटकने लगी. फिल्म बनी 'अब तक छप्पन'...नाना पाटेकर ने दया नायक की भूमिका निभाई. कहीं न कहीं दया को इस प्रसिद्धी ने प्रदीश शर्मा से भी दूर कर दिया. जब दया की तूती बोलने लगी थी तब उन्हें एलिजिबल नहीं होने के बावजूद बाकी अधिकारियों की तरह केबिन मिल गया. अपने ही डिपार्टमेंट में वे कईयों के दुश्मन बन गए. 

साल 2006 में बढ़ी मुश्किलें, अपनों ने छोड़ा साथ

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2006 में दया नायक के खिलाफ एक खबर मराठी अखबार में छपी. इस खबर ने उनकी दुनिया ही बदल दी. दया नायक पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे. पहले तो वे गिरफ्तारी से बचते के लिए छुपते रहे. आखिरकार उन्होंने सरेंडर किया. वे दो महीने तक जेल में रहे. तय समय में ACB चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाया और दया को जमानत मिल गई. बाद में सबूतों के आभाव में वे बरी भी हो गए. 

क्या था वो मामला जिसके लिए ACB ने कसा था शिकंजा?

दरअसल उस मराठी अखबार में खबर छपी थी- दया नायक अपने पैत्रिक गांव येनोहोले में एक हाईटेक स्कूल अपनी मां राधा नायक के नाम पर खोलने जा रहे हैं. स्कूल खुला और अमिताभ बच्चन समेत दूसरी बॉलीवुड हस्तियां उद्घाटन में शामिल हुईं. चर्चा हुई कि दया ने इस स्कूल और उद्घाटन पर करोड़ों खर्च कर दिए. सवाल उठे...एक इंस्पेक्टर के पास इतनी संपत्ति कहां से आई. 

आरोप लगे कि दया नायक ने अपने पद और धौंस का इस्तेमाल करते हुए व्यापारियों ने वसूली की है. हालांकि एंटी करप्शन ब्यूरो अपने जांच में ये साबित नहीं कर पाई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 21 से ज्यादा सालों से दया नायक की पिस्तौल से एक भी गोली नहीं निकली है. 

90 के दशक में दया नायक का जलवा

  • 1990 का दशक मुंबई पुलिस और अंडरवर्ल्ड के बीच संघर्ष का दौर था.
  • 1996 में छोटा राजन गैंग के दो गुर्गे विनोद मटकर और रफीक को ढेर कर दया सुर्खियों में आ गए.
  • 1997 मेंअंधेरी में छोटा राजन के करीबी सतीश राउत का एनकाउंटर किया.
  • 1998 तक दाऊद इब्राहिम और अन्य गैंगस्टरों के कई गुर्गों का सफाया कर अंडरवर्ल्ड में फैलाई दहशत. 

हाई-प्रोफाइल केस

  • अपने करियर में दया नायक कई हाई-प्रोफाइल केसों का हिस्सा रहे.
  • लॉरेंस बिश्नोई गैंग द्वारा अभिनेता सलमान खान के घर पर फायरिंग. 
  • एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या.
  • अभिनेता सैफ अली खान पर घुसपैठिए का हमला.
  • 2021 में अंबानी आवास सुरक्षा से जुड़ा केस (ATS टीम का हिस्सा).

अब किसने किया प्रमोशन?

मुंबई पुलिस महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग के अधीन आती है. दया नायक समेत तीन और सीनियर इंस्पेक्टर जीवन खारत, दीपक दल्वी और पांडुरंग पवार को भी प्रमोट कर एसीपी बनाया गया है.

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