मनोज झा ने पढ़ी ऐसी कविता की शुरू हो गया ठाकुर vs ब्राह्मण विवाद, किसे होगा इसका नुकसान?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने प्रसिद्ध लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ क्या पढ़ी बवाल ही मच गया. उन्होंने…
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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने प्रसिद्ध लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ क्या पढ़ी बवाल ही मच गया. उन्होंने कहा था कि ये किसी जाति के लिए नहीं है. इसके बावजूद राजपूत बनाम ब्राह्मण विवाद खड़ा हो ही गया. आनंद मोहन जैसे RJD के राजपूत नेता भी विरोध में उतर आए. JDU-BJP भी विरोध कर रही है. बात INDIA अलायंस के कमजोर होने-टूटने की चर्चाओं तक पहुंच गई.
राजपूत बनाम ब्राह्मण का यह विवाद बढ़ा तो क्या होगा?
– मनोज झा के इस भाषण पर बिहार समेत दूसरे प्रदेशों से भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. राजपूत नेता विरोध में उतरे हैं, लेकिन RJD ने मनोज झा का बचाव किया है. RJD कह रही है कि यह कविता और मनोज झा का बयान किसी जाति के लिए नहीं, बल्कि सामंती मानसिकता वाले शख्स के लिए है. पर बवाल बढ़ रहा और सियासी नुकसान का खतरा भी.
राज्यसभा सांसद प्रो॰ डॉक्टर @manojkjhadu जी का विशेष सत्र के दौरान दिया गया दमदार शानदार और जानदार भाषण।https://t.co/1Qneo7Ywxd
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) September 26, 2023
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– बिहार में ब्राह्मण और राजपूत, दोनों जातियों की जनसंख्या 5-5% के करीब है. पिछले चुनावी आंकड़े बताते हैं इन जातियों के वोट का बड़ा हिस्सा बिहार में BJP और JDU को जाता रहा है. यानी फिलहाल इससे RJD का अपना विशेष नुकसान नहीं दिख रहा. हां, JDU जो INDIA अलायंस में राजद के साथ है, उसे इससे दिक्कत जरूर हो सकती है.
– ये भी चर्चा है कि राजद से पूर्व सांसद आनंद मोहन पहले से ही लालू यादव से नाराज चल रहे थे. जब से वे जेल से लौटे हैं, उन्हें पार्टी की तरफ से भाव नहीं दिया गया है. चर्चा है कि वे एनडीए के साथ जाने के विकल्प भी तलाश रहे हैं. अब उन्हें विरोध का एक मौका मिल गया है.
नीतीश कुमार के लिए मुश्किल ये हैं कि वो करें क्या?
इस विवाद में बिहार सीएम नीतीश कुमार की स्थिति थोड़ी ट्रिकी लग रही है. वे किसका समर्थन करें और किसका विरोध, दोनों ओर से उनको नुकसान दिख रहा है. वैसे इस मुद्दे पर बीजेपी और नीतीश की पार्टी JDU का स्टैन्ड लगभग एक जैसा ही है. इसको लेकर कयासबाजियों का दौर लगातार जारी है कि कहीं ये नीतीश के लिए NDA की तरफ झुकने का मौका तो नहीं?