Operation Sindoor में आतंकी रऊफ अजहर की मौत पर क्यों झूमा अमेरिका, डेनियल पर्ल की क्यों होने लगी चर्चा?
रऊफ के चीथड़े उड़ने से पूरा हुआ अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के कटे सिर का बदला? रऊफ अजहर की मौत से अमेरिका के साथ ही क्यों झूमा इजरायल?
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न्यूज़ हाइलाइट्स

ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर अटैक में रऊफ के मरने की खबर है.

कुख्यात आतंकी मसूद अजहर का छोटा भाई है रऊफ.

मसूद अजहर को छुड़ाने के लिए रऊफ ने की थी कंधार विमान हाईजैक की प्लानिंग.

अमेरिकी पत्रकार डेनियन पर्ल की नृशंश हत्या में शामिल था रऊफ.
डेनियल पर्ल अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रील जर्नल के जर्नलिस्ट और South Asia bureau chief थे. पहले दिल्ली में पोस्टेड थे. 2001 में न्यूयॉर्क में हमले के बाद इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के लिए पाकिस्तान के कराची में पोस्टिंग हुई थी. डेनियल पर्ल के लिए 'कराची' जानलेवा साबित हुआ.
2002 में डेनियल पर्ल का पाकिस्तान के ही आतंकवादियों ने इजरायल जासूस होने के शक में अपहरण कर लिया. ये इल्जाम इसलिए कि पर्ल यहूदी थे और इजरायल आना-जाना रहता था. दूसरा बहाना ये कि डेनियल पर्ल ने पाकिस्तान में रिपोर्टिंग करते हुए मसूद, जैश के बहावलपुर अड्डे की पूरी कुंडली छापकर दुनिया को सच बता दिया था.
आतंकियों ने अमेरिका के सामने रखी थी ये शर्त
आतंकियों ने अमेरिका के सामने शर्त रखी कि डेनियल पर्ल जिंदा चाहिए तो हमारी मांगें पूरी करो. अमेरिका पाकिस्तान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुका. आतंकवादियों ने निहत्थे कलम के एक सिपाही के साथ जो किया उसने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया. डेनियल पर्ल का बेरहमी से सिर काटा गया था. कत्ल का वीडियो रिकॉर्ड करके पूरी दुनिया में वायरल किया गया.
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डेनियल के कत्ल का मास्टरमाइंड था रऊफ अजहर
डेनियल पर्ल के कत्ल का मास्टरमाइंड था मोहम्मद रऊफ अजहर. जैश ए मोहम्मद के कमांडर इन चीफ मसूद अजहर का छोटा भाई. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने बहावलपुर में घुसकर मसूद अजहर का आतंकी किला तबाह किया तो मोहम्मद रऊफ अजहर भी मारा गया.
मसूद के परिवार के कई लोग भारत के हमले में मारे गए. रऊफ की मौत मसूद अजहर की कमर तोड़ने जैसा है क्योंकि जैश में उसकी पोजिशन नंबर 2 की मानी जाती थी. मसूद ने अपनी पनाह में जिस छोटे भाई को खूंखार आतंकी बनाया उसी का जनाजा निकल गया.
भारत के लिए भी मोस्ट वांटेड था मसूद अजहर
मोहम्मद रउफ अजहर भारत के लिए भी मोस्ट वांटेड था. दुनिया के कई देशों को रऊफ की मौत चाहिए थी. उसका मारा जाना भारत के लिए बड़ी राहत है, लेकिन रऊफ ऐसा आतंकी नाम था जिसके मारे जाने का जश्न अमेरिका भी मना रहा है, इजरायल भी और यहूदी समुदाय भी.
इजरायल के अखबारों में रऊफ की मौत पर बड़ी कवरेज
इजरायल के अखबारों ने रऊफ की मौत पर बड़ी कवरेज की है. अमेरिका के कई डिप्लोमैट ने भी रऊफ को ठिकाने लगाने के लिए भारत सरकार को थैंक्यू बोला. डेनियल पर्ल के साथ काम कर चुके दुनिया के बड़े पत्रकार, दोस्त भी भारत के ऑपरेशन सिंदूर की दाद दे रहे हैं.
रऊफ की दरिंदगी के कई दास्तां
रऊफ अजहर ने न केवल डेनियल पर्ल के साथ दरिंदगी की, बल्कि भारत में पाकिस्तान की शह पर हुए हर बड़े हमले में शामिल रहा. 2001 के संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमला, 2019 के पुलवामा हमले से भी बहुत पहले 1999 में पहली बड़ी आतंकी प्लानिंग की थी. रऊफ ही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के कंधार हाइजैक का मेन मास्टरमाइंड था. तब उसकी उम्र सिर्फ 24 साल हुआ करती थी.
इसलिए रऊफ ने बनाया था कंधार हाईजैक का प्लान
रऊफ अजहर का बड़ा भाई मसूद अजहर दहशत फैलाते हुए कश्मीर के अनंतनाग में 1994 में पकड़ा गया था. जेल में बंद था. उसी को रिहा कराने के लिए रऊफ अजहर ने कंधार हाईजैक प्लान किया था. यात्रियों को बचाने के लिए सरकार को तीन खूंखार आतंकियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को छोड़ना पड़ा. जिस उमर शेख सईद को जेल से रिहा किया गया उसी ने रऊफ की प्लानिंग और इंस्ट्रक्शन पर डेनियल पर्ल का सिर काटने का काम किया था.
तब से न मसूद भारत के हाथ आया, न रऊफ अजहर. पाकिस्तान की सरकार, सेना और आईएसएआई ने अपनी पनाह में ले रखा था. करीब 26 साल बाद भारत ने हर आतंकी करतूत का इंतकाम पूरा किया तो 22 साल बाद डेनियल पर्ल के इंसाफ की भी लड़ाई पूरी हुई.
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