प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अधीर रंजन जॉइन करेंगे बीजेपी? जानिए क्यों हो रही इस बात की चर्चा

रूपक प्रियदर्शी

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Congress: 2024 के चुनाव से पहले संसद और कांग्रेस में अधीर रंजन चौधरी का जलवा हुआ करता था. कांग्रेस को विपक्ष का नेता पद नहीं मिला . राहुल गांधी कांग्रेस संसदीय दल को लीड करने को राजी नहीं थे. तब अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया था. विपक्ष के नेता वाला रोल अधीर रंजन ही निभाते थे. तब अधीर रंजन 2019 जैसे मुश्किल चुनाव में भी बंगाल से जीतकर लोकसभा सांसद बने थे. संसद के अंदर और बाहर अधीर रंजन कांग्रेस का बड़ा चेहरा और मुखर आवाज थे लेकिन 2024 के चुनाव में ममता बनर्जी ने ऐसा दांव चला कि अधीर रंजन चुनाव हार गए. 

अधीर रंजन को पद से हटाए गया

अधीर रंजन चौधरी की राजनीति में खटाखट-खटाखट खेल हो रहा है. राजनीति चौपट होने के कगार पर है. सबसे लेटेस्ट तगड़ा झटका ये कि अधीर रंजन बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहे. हटाने की खबर भी नहीं दी गई. अधीर का दावा है कि हाईकमान ने बिना बताए अध्यक्ष पद से हटा दिया. हटाने की खबर तब मिली जब पार्टी मीटिंग में इंट्रोडक्शन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कराया गया. अधीर ने दावा किया है कि उन्होंने चुनाव बाद खुद इस्तीफा भेजा था लेकिन किसी ने बताया भी नहीं कि इस्तीफा मंजूर हो गया. 

लोकसभा चुनाव हारने के बाद से अधीर रंजन ने हंगामा काटा हुआ था. राहुल गांधी के खिलाफ तो नहीं लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे. 30 जुलाई को दिया बयान आत्मघाती साबित हुआ.  खरगे ने भी अधीर को हटाने के संकेत दिए थे. कांग्रेस अध्यक्ष का अपमान कहां बर्दाश्त करने वाले थे राहुल गांधी. हो गया फुल एंड फाइनल फैसला.

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CM ममता के कारण अधीर को किया गया किनारे?

अचानक अधीर रंजन के किनारे लगने एक से ज्यादा कारण हो सकते हैं. माना जा रहा है कि अधीर की विदाई से कांग्रेस ने ममता बनर्जी को साथ आने का फ्रेश सिग्नल दिया है. बंगाल में लुप्त हो रही कांग्रेस को ममता बनर्जी का बड़ा सहारा मिल रहा था. अधीर रंजन ने ठान ली कि ममता से अलायंस नहीं होने देंगे. ममता बनर्जी की पहल पर इंडिया गठबंधन बना. कांग्रेस-तृणमूल अलायंस की गारंटी थी लेकिन अधीर रंजन ने ममता बनर्जी के खिलाफ इतनी राजनीति कर डाली कि ममता ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से किनारा कर लिया. तब कांग्रेस हाईकमान से गलती ये हुई कि ममता को जाने दिया. अधीर की लगाम कसी नहीं. 

बंगाल में कांग्रेस का ग्राफ गिरा

अधीर रंजन के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस की दुर्गति होती गई. अधीर पहली बार 2014 से 2018 और दूसरी बार 2020 से अब तक अध्यक्ष रहे. 10 सालों में कांग्रेस जीती हुई सीटें भी हारती रही. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थी. 2019 में अधीर समेत 2 सांसद चुनाव जीते लेकिन 2024 में कांग्रेस की एक ही सीट रह गई. कांग्रेस अधीर वाली सीट भी हार गई. विधानसभा चुनाव में सिमटते-सिमटते कांग्रेस जीरो पर आ गई. 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 44, 2016 में 42 विधायक जीते थे. 2021 कांग्रेस जीरो पर आ गई. बंगाल में कांग्रेस के सामने नेता, नारा, नीति सबका संकट है. 

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युसूफ से हारे चुनाव

अधीर रंजन चौधरी की लीडरशिप में कांग्रेस भले खराब करती रही हो लेकिन उन्होंने विपरीत माहौल में अपना सिक्का बरसों बरस जमाए रखा. राजीव गांधी के वक्त कांग्रेस में आए अधीर रंजन आज तक कांग्रेस में हैं. जीवन में सिर्फ 2 चुनाव हारे. 1996 में नबाग्राम से पहला चुनाव जेल में रहते हुए जीते. उनके समर्थक टेप किए गए भाषणों से प्रचार करते थे. 1999 में पहली बार बेहरामपुर से लोकसभा चुनाव जीते. बंगाल में कांग्रेस के लगातार कमजोर होने के बाद भी तब से अधीर रंजन पांच बार लोकसभा सांसद का चुनाव जीते. 2024 में राजनीति में दूसरी हार मिली. अगर ममता बनर्जी से पंगा न लिए होते तो शायद युसूफ पठान के खिलाफ ये चुनाव भी निकल जाता.

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क्या जॉइन करेंगे बीजेपी?

अधीर रंजन के पास फिलहाल बीजेपी में जाने का ही विकल्प दिख रहा है. संसद के अंदर और बाहर मोदी, अमित शाह, बीजेपी के खिलाफ अधीर रंजन जमकर हल्ला बोलते रहे. तब भी अटकलें लगती रहीं कि एक दिन अधीर बीजेपी में जाएंगे. बीजेपी के सहयोगी रामदास आठवले से अधीर रंजन के बुरे दिन देखे नहीं जा रहे. कहा कि अगर कांग्रेस में अपमान हो रहा है तो कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए. आठवले का ऑफर है कांग्रेस छोड़कर आरपीआई में आने और एनडीए में शामिल होने का.

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