NDA बनाम INDIA गठबंधन...उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन पड़ेगा भारी, आंकड़ों के खेल से समझिए कैसे जीत सकता है विपक्ष! 

ललित यादव

Explainer: उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सांसद वोट डालते हैं. इस समय कुल 782 निर्वाचित सांसद हैं. इनमें लोकसभा में 543 में से 542 और राज्यसभा में 245 में से 240 सांसद हैं. जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 392 वोटों की जरूरत होगी.

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Explainer: भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज चुका है. सत्ताधारी NDA और विपक्षी INDIA गठबंधन के दोनों उम्मीदवारों ने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. 9 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर तय है. 

इस चुनाव में NDA ने सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, जबकि INDIA ब्लॉक की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या NDA आसानी से जीत हासिल करेगा या विपक्ष की ओर से कड़ी टक्कर मिलेगी? आइए आज के इस एक्सप्लेनर में समझते हैं.

किसके पास कितनी ताकत?

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सांसद वोट डालते हैं. इस समय कुल 782 निर्वाचित सांसद हैं. इनमें लोकसभा में 543 में से 542 और राज्यसभा में 245 में से 240 सांसद हैं. जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 392 वोटों की जरूरत होगी.

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आंकड़ों के हिसाब से देखें तो NDA के पास स्पष्ट बढ़त है. उनके समर्थन में करीब 427 सांसद हैं, NDA के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 134 मौजूद है. 

वहीं, विपक्षी INDIA गठबंधन के पास कुल 355 सांसदों का समर्थन है. इनमें लोकसभा में 249 और राज्यसभा में 106 सांसद हैं. 

बता दें, इस चुनाव में व्हिप लागू नहीं होता यानी पार्टियां अपने सांसदों को किसी खास उम्मीदवार को वोट देने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं. ऐसे में क्रॉस-वोटिंग की संभावना बनी रहती है, जो नतीजों को दिलचस्प बना सकती है.

कैसे हो सकता है खेला?

उपराष्ट्रपति चुनाव में खेल होने की संभावना ना के बराबरा है, क्योंकि NDA के पास बहुमत है. हालांकि अभी कुछ पार्टियों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. NDA के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 427 सांसद हैं. इसमें 10 Nominated सांसद जोड़ दिए जाएं तो NDA का आंकड़ा 437 तक पहुंचता है.  वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) के पास 355 सांसद हैं. यानी बहुमत के लिए 37 सीटें चाहिए. दोनों गठबंधनों के बीच फिलहाल 82 सांसदों का अंतर है. बहुमत के लिए 392 सांसदों की जरूरत है.

विपक्ष को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 37 अतिरिक्त सांसद चाहिए. इसके लिए विपक्ष की नजर क्षेत्रीय दलों के सांसदों पर है. यहीं पर खेल दिलचस्प हो सकता है. कुछ दल जैसे BRS, BJD, BSP और अकाली दल ने अभी तक अपना रूख साफ नहीं किया है. अगर ये सभी विपक्ष के साथ चले जाते हैं तो विपक्ष का आंकड़ा बहुमत पा सकता है. हालांकि ऐसा कुछ होने के चांस बिल्कुल नहीं है क्योंकि NDA के पास बहुमत से ज्यादा सीटें हैं.  

NDA बनाम INDIA, उम्मीदवार कौन?

कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?

NDA ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है. जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, एक अनुभवी राजनेता हैं. RSS से जुड़े राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं. वह कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. उनकी पहचान एक समर्पित भाजपा नेता के रूप में है. वह गौंडर समुदाय से आते हैं, जो तमिलनाडु का एक प्रभावशाली OBC समुदाय है. 2023 में झारखंड के राज्यपाल बनाए गए राधाकृष्णन को जुलाई 2024 में महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?

विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं. उनका न्यायिक करियर काफी लंबा रहा है. 1995 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जज बनने के बाद वह 2005 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. 2007 से 2011 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में सेवा दी. सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने 2013 में गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में भी कार्य किया.

दक्षिण भारत पर राजनीतिक दांव क्यों?

भाजपा की रणनीति

बीजेपी की उत्तर भारत में मजबूत है लेकिन तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना जैसे दक्षिण राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही है. सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा दक्षिण भारत को यह संदेश देना चाहती है कि वह वहां के नेताओं को भी शीर्ष पदों पर मौका देती है. इसके अलावा, राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से आते हैं. जो भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है. भाजपा ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है, खासकर जब विपक्ष भी इस मुद्दे को उठा रहा है.

इंडिया गठबंधन की रणनीति

इंडिया गठबंधन का दक्षिण भारत में काफी प्रभाव है. राहुल गांधी खुद केरल की वायनाड सीट से सांसद रह चुके हैं और अब वहां से प्रियंका गांधी सांसद हैं. गठबंधन में शामिल डीएमके और टीएमसी जैसी पार्टियों का भी दक्षिण में मजबूत आधार है. बी. सुदर्शन रेड्डी तेलंगाना से आते हैं, जिससे विपक्ष दक्षिण भारत में अपनी पकड़ और मजबूत करने की उम्मीद कर रहा है.

कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव

भारत के उपराष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया बहुत सरल है. इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य वोट डालते हैं, चाहे वे जनता द्वारा चुने गए हों या राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए गए हों. सबसे खास बात यह है कि इस चुनाव में राज्यों के विधायक वोट नहीं डाल सकते हैं, हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी वोट डालते हैं. 

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद भवन में होता है. इस दौरान सांसद एक खास तरह की पर्ची पर अपनी पसंद बताते हैं. वे सभी उम्मीदवारों को अपनी पसंद के क्रम में नंबर देते हैं- जैसे, सबसे पहली पसंद को '1', दूसरी पसंद को '2', और इसी तरह. चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को आधे से ज्यादा  ज्यादा वोट हासिल करने होते हैं.

अगर पहले ही राउंड में कोई उम्मीदवार आधे से ज्यादा वोट पा लेता है, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है. फिर उसके वोटों को बाकी उम्मीदवारों में, उनकी दूसरी पसंद के हिसाब से, फिर से बांटा जाता है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कोई उम्मीदवार जीत के लिए ज़रूरी वोट हासिल नहीं कर लेता. यह पूरा चुनाव गुप्त मतदान से होता है, ताकि सांसद बिना किसी दबाव के अपनी पसंद बता सकें.
 

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