हरियाणा में कांग्रेस मजबूत तो जम्मू-कश्मीर में हो सकता है बड़ा खेल! वरिष्ठ पत्रकार ने कहा- विपक्ष की स्थिति...
Saptahik Sabha: हरियाणा में पिछले 10 साल से भाजपा की सरकार है, लेकिन इस बार की स्थिति अलग है. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने तर्क दिया कि 10 साल की सरकार के बाद एंटी-इनकम्बेंसी (सरकार-विरोधी लहर) का असर दिखने लगा है
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Saptahik Sabha: लोकसभा चुनाव के बाद देश में पहली बार हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं. ये चुनाव देश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. हरियाणा में एक चरण में और जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होंगे. अब तक जम्मू-कश्मीर में दो चरणों का मतदान हो चुका है, जबकि अंतिम चरण बाकी है. इन चुनावों के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होंगे. इन चुनाव को लेकर Tak कल्सटर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने इंडिया टुडे के कंसलटिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत की है. न्यूज तक के खास शो साप्ताहिक सभा में दोनों ने मिलकर चुनाव को लेकर खास विश्लेषण किया है.
हरियाणा में 10 साल की सरकार और एंटी-इनकम्बेंसी
हरियाणा में पिछले 10 साल से भाजपा की सरकार है, लेकिन इस बार की स्थिति अलग है. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने तर्क दिया कि 10 साल की सरकार के बाद एंटी-इनकम्बेंसी (सरकार-विरोधी लहर) का असर दिखने लगा है. यह सरकार अब कमजोर स्थिति में है. खासकर जाट समुदाय के बीच, जो पहले बंटे हुए थे. 2014 और 2019 में जाट वोट कई पार्टियों में बंट गया था, लेकिन इस बार जाट वोट एकजुट हो सकता है और इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
भाजपा की रणनीति और जाट वोट
राजदीप सरदेसाई ने कहा कि भाजपा ने हमेशा हरियाणा में जाटों के खिलाफ अन्य समुदायों को अपने पक्ष में किया है. लेकिन इस बार जाट वोट एकजुट हो रहा है, और यह कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा, दलित वोट भी कांग्रेस की तरफ खिंचता दिख रहा है. युवाओं में बेरोजगारी और नौकरी न मिलने के कारण नाराजगी है, जो जातीय समीकरणों को कमजोर कर रही है. इस तरह जाति से ऊपर उठकर युवा वोटरों की नाराजगी का असर इस चुनाव पर दिखाई दे सकता है.
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उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इस बार चुनाव प्रचार में भी ज्यादा जगह नहीं दी गई है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि पार्टी ने उनके नेतृत्व में एंटी-इनकम्बेंसी के चलते कमजोर स्थिति को समझ लिया है.
घाटी और जम्मू में चुनावी समीकरण
जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव ऐतिहासिक हैं क्योंकि वहां 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने और उसके बाद हुए बदलावों के चलते ये चुनाव और भी महत्वपूर्ण हैं. सीटों का पुनर्विभाजन और आरक्षण ने भी चुनावी समीकरण बदल दिए हैं.
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राजदीप का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में तीन तरह के चुनाव हो रहे हैं: एक घाटी (वैली) में, एक जम्मू क्षेत्र में, और एक उन सीटों पर जो आरक्षित हैं. घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का प्रभुत्व दिख रहा है, जबकि जम्मू क्षेत्र में भाजपा मजबूत स्थिति में है. लेकिन फिर भी स्पष्ट बहुमत की उम्मीद कम है, और एक त्रिशंकु विधानसभा की संभावना है.
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हरियाणा में कांग्रेस मजबूत,JK में स्थिति क्लियर नहीं
राजदीप सरदेसाई के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस को 80-90% बढ़त दिख रही है. हालांकि, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस पर सवाल अभी भी बना हुआ है, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्थिति सबसे मजबूत मानी जा रही है.
हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन सकती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में स्थिति अभी अनिश्चित है. 8 अक्टूबर को इन चुनावों के नतीजे भारतीय राजनीति की दिशा को नए संकेत दे सकते हैं, खासकर विपक्ष की स्थिति को मजबूत करने में.
यहां आप पूरी बातचीत देख और सुन सकते हैं.
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