'हम सामंती युग में नहीं हैं कि जैसा राजा जी बोले वैसा चले', CM पुष्कर धामी के इस फैसले पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट

ललित यादव

Supreme Court on Pushkar Dhami government: सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर बनाने पर उत्तराखंड सरकार से सवाल पूछा है. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार से कहा कि जिस अफसर को पेड़ की कटाई के मामले में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से हटाया, उसे राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर क्यों बनाया गया?

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Supreme Court on Pushkar Dhami government: सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर बनाने पर उत्तराखंड सरकार से सवाल पूछा है. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सरकार से कहा कि जिस अफसर को पेड़ की कटाई के मामले में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से हटाया, उसे राजाजी टाइगर रिजर्व का डायरेक्टर क्यों बनाया गया?

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों की अवैध कटाई और निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2024 में एक जांच कमेटी के गठन का आदेश दिया था. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई, केवी विश्वनाथन और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस संबंध में कड़ा रुख अपनाया. पीठ ने कहा, "हम सामंती युग में नहीं हैं कि जैसा राजा जी बोले वैसा चले. मुख्यमंत्री को इस फैसले के पीछे कुछ तर्क देना चाहिए था."

"मुख्यमंत्री होने का मतलब कुछ भी कर सकते हैं?"

शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से मुख्यमंत्री का एफिडेविट दायर करने के लिए कहा. न्यायधीश ने सवाल उठाया कि "क्या मुख्यमंत्री होने का मतलब यह है कि वह कुछ भी कर सकते हैं?"

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कोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख

इस मामले पर वरिष्ठ वकील एमिकस क्यूरी परमेश्वर ने पीठ को जानकारी दी कि संबंधित अधिकारी पर पहले भी आरोप पत्र दायर किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनकी यह नियुक्ति सिविल सर्विसेज बोर्ड की सिफारिश पर नहीं हुई बल्कि यह एक राजनीतिक पोस्टिंग थी. इसपर जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, "संविधानिक पदों पर बैठे लोग जो चाहे नहीं कर सकते. जब जनता समर्थन में नहीं है तो उन्हें वहां तैनात नहीं किया जाना चाहिए था."

अगली सुनवाई में सरकार पेश करेगी स्पष्टीकरण

उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नाडकर्णी ने मुख्यमंत्री के फैसले का बचाव किया तो कोर्ट ने कहा कि सीएम के पास ऐसी नियुक्तियां करने का विवेकाधिकार था. सुप्रीम कोर्ट में वकील नाडकर्णी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अगली सुनवाई के दौरान खुद मामले का स्पष्टीकरण पेश करेगी. 

 

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