अंबेडकर की स्पीच पढ़ने की सलाह क्यों दे रहे हैं RSS प्रमुख मोहन भागवत?

देवराज गौर

ADVERTISEMENT

मोहन भागवत ने डॉ अंबेडकर की आखिरी दो स्पीच पढ़ने की सलाह दी है.
मोहन भागवत ने डॉ अंबेडकर की आखिरी दो स्पीच पढ़ने की सलाह दी है.
social share
google news

RSS News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने अपनी दशहरा स्पीच में डॉ. भीमराव अंबेडकर को पढ़ने की सलाह दी है. खासकर संविधान सभा में दी गई अंबेडकर की दो स्पीच को. क्या खास है इस स्पीच में और मोहन भागवत इसके इशारे में देश को क्या बात समझाना चाहते हैं?

अंबेडकर की दोनों स्पीच की मुख्य बातें

अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे. पहली स्पीच उन्होंने 4 नवंबर 1948 को ड्राफ्ट कॉन्सिट्यूट्यूशन को प्रेजेंट करते हुए दी थी. दूसरी स्पीच में उन्होंने संविधान तैयार करने के दर्शन पर बात की थी.

पहली स्पीच में अंबेडकर उन आपत्तियों का जवाब दे रहे हैं जहां संविधान में केंद्र सरकार को राज्यों की तुलना में मजबूत बनाया गया है. अंबेडकर फोकस कर रहे हैं कि भारत राज्यों का यूनियन तो है लेकिन यहां राज्यों को देश से अलग होने की ताकत नहीं है और ये एक तरह से राज्यों पर सेंटर की ओवरराइड पावर है. सवाल ये बनता है कि भागवत का इशारा क्या है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर मोदी सरकार पर आरोप लगाते हैं कि संविधान में दी गई संघीय व्यवस्था यानी फेडरल स्ट्रक्चर को खत्म कर राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं. क्या भागवत इशारों में कांग्रेस के इन आरोपों के संदर्भ में एक पब्लिक ओपिनियन बनाने पर जोर दे रहे हैं?

ADVERTISEMENT

हमने इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से बात की. विजय त्रिवेदी ने बताया,

मोहन भागवत ने अपने पूरे भाषण में एक तरीके से विपक्षी पार्टियों को ही संबोधित किया है. चाहे वह देश को लेकर की गई बात हो या जाति को लेकर. वो इसीलिए ये बात कह रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी कहते हैं कि संविधान में ‘फेडरल ऑफ यूनियन’ का जिक्र है. भागवत चाहते हैं कि इस पर एक पब्लिक ओपिनियन बने.

विजय त्रिवेदी कहते हैं कि

ADVERTISEMENT

“संविधान का आर्टिकल 356 राज्यों पर केंद्र को ओवरराइड करता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने ही किया है. 70 फीसदी से ज्यादा कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने ही किया. संविधान सभा में भी इस बात पर बहस हुई और अंबेडकर ने भी इसीलिए कहा क्योंकि राज्य केंद्र के मुकाबले मजबूत रहेंगे तो देश के टूटने का खतरा बना रहेगा. कानून बनाने का भी अधिकार केंद्र को दिया गया. राज्य केंद्र के लिए कानून नहीं बना सकते.”

अब बात अंबेडकर की दूसरी स्पीच की

दूसरी स्पीच में अंबेडकर देश के अंदर के मौजूद खतरों के प्रति आगाह कर रहे हैं. इसमें वो बता रहे हैं कि भारत पहले आजाद था, लोकतांत्रिक मूल्य थे. पर फिर आक्रांता आए. वो जयचंद का जिक्र कर रहे हैं, वो शिवाजी जब हिंदुओं के लिए मुगलों से लड़ रहे थे, तो उस समय खामोश रहने वाले या मुगलों की मदद करने वाले मराठे और राजपूत राजाओं का जिक्र कर रहे हैं. अंबेडकर ब्रिटिशों के सिखों पर हमले के वक्त प्रिंसिपल कमांडर गुलाब सिंह की खामोशी का जिक्र कर रहे हैं. वो 1859 की क्रांति के दौरान सिखों की खामोशी का जिक्र कर रहे हैं.

ADVERTISEMENT

अंबेडकर घरेलू खतरों में जाति और पंथ और फिर इन पर आधारित ढेरों विरोधी राजनीतिक दलों के होने से पैदा चिंताओं की बात कर रहे हैं. अंबेडकर तब भारत की आजादी और लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए रक्त बहाने वाली क्रांतियों, सविनय अवज्ञा, असहयोग के तरीकों और सत्याग्रह जैसे तरीकों को छोड़कर सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संवैधानिक तरीके अपनाने की बात कर रहे हैं.

सवाल यह है कि इस स्पीच को पढ़ने की सलाह देकर भागवत क्या कहना चाहते हैं? क्या हालिया जाति आधारित जनगणना और आरक्षण को रिवाइज करने की मांगों को इसी प्रकाश में देखने का इशारा किया जा रहा है? ऐसा इसलिए क्योंकि पीएम मोदी भी इन दिनों अक्सर कह रहे हैं कि देश के गरीबों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जाति की बात की जा रही है, हिंदुओं के हितों को पूरा करने से रोकने के लिए जातिगत जनगणना की बात की जा रही है.

इसे लेकर भी हमने विजय त्रिवेदी से उनकी राय जाननी चाही. वह कहते हैं कि,

‘जातिगत जनगणना की बात हो रही है तो उसका अधिकार भी केंद्र सरकार के पास है. जितनी बड़ी नीतियां हैं, उनका अधिकार केंद्र के पास इसीलिए है ताकि देश में बिखराव ना हो. अंबेडकर जानते थे कि अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सूरत में राज्यों और केंद्र में खिंचाव होगा. इसी बात पर भागवत जोर दे रहे हैं.’

विजय त्रिवेदी आगे कहते हैं कि, 2024 चुनावों में इसकी बात होगी, तो भागवत की बात का भी जिक्र होगा लेकिन वो असल में एक दूरगामी बात कर रहे हैं.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT