राजस्थान: सर्दी-जुकाम के मरीजों दी जा रही थी कैंसर की दवा, AI ने किया RGHS घोटाले का पर्दाफाश, सामान्य महिला को दी बांझपन की मेडीसिन!
सरकारी डॉक्टरों ने कमीशन के लालच में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया, जहां सर्दी-जुकाम जैसे सामान्य मरीजों को कैंसर और हार्ट की दवाएं दी गईं, वहीं स्वस्थ महिलाओं को बांझपन की दवाइयां लिख दी गईं. हालांकि AI सिस्टम ने इस बड़े 'नकली इलाज' के गोरखधंधे का पर्दाफाश कर दिया है.
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राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना, राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) अब एक बड़े घोटाले के भंवर में फंसी दिख रही है. दरअसल अलवर जिले से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. जिसने मरीजों के भरोसे को पूरी तरह से तोड़ दिया है. रिपोर्ट के अनुसार यहां के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने लालच में आकर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है. आरोप है कि इस जिले के डॉक्टर्स मरीजों को आम बीमारियों के लिए भी गंभीर बीमारियों की महंगी दवाएं थमा दे रहे हैं.
यह मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब यह सामने आता है कि कई डॉक्टरों ने मरीजों को देखे बिना ही दवा पर्चियां बना दीं. कुछ मामलों में तो मरीजों को बिना बताए ही उनके नाम पर दवाएं खरीदी गईं और रिकॉर्ड में दर्ज कर ली गईं. फर्जी पर्चियां, डॉक्टरों की नकली मोहर और मेडिकल स्टोर संचालकों की मिलीभगत इस पूरे गोरखधंधे की पोल खोल रही है.
कैसे हुआ धांधली का खुलासा
दरअसल इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम की मदद से किए गए डेटा एनालिसिस से हुआ है. सिस्टम को सबसे पहले खैरथल के बीबीरानी ब्लॉक में एक महिला डॉक्टर की संदिग्ध पर्चियों पर शक हुआ, जिसके बाद जांच का दायरा जयपुर, गंगानगर और अब अलवर तक फैल गया.
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जांच में पता चला है कि यह पूरा खेल एक सुव्यवस्थित कमीशन मॉडल पर आधारित था. इस इलाकों के डॉक्टर मरीजों को गैर-जरूरी जांच लिखते थे और उन्हें दो तीन गिने चुने प्राइवेट लैब में करवाने के लिए कहते थे, जहां से उन्हें जांच का कमीशन मिलता था.
ठीक इसी तरह अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवाओं की जगह मरीजों को बाहरी मेडिकल स्टोर से महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने के लिए कहा जाता था, जिसके लिए डॉक्टरों को मेडिकल स्टोर संचालकों से कमीशन मिलता था. इस पूरे नेक्सस का खामियाजा उन गरीब और मीडिल क्लास मरीजों को उठाना पड़ा, जो सरकारी इलाज की आस में अस्पतालों का रुख करते थे.
डॉक्टरों पर गाज, सख्त कार्रवाई की तैयारी
स्वास्थ्य विभाग की जांच में इस गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद अलवर जिले के 11 डॉक्टरों और कई मेडिकल स्टोर संचालकों को नोटिस थमाए गए हैं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि राजगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सभी डॉक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है.
सामान्य महिलाओं को लिख दी बांझपन दूर करने की दवा
इन्हीं में से एक डॉक्टर ने सामान्य, स्वस्थ महिलाओं को बांझपन की दवा लिख दी, जबकि हल्के बुखार वाले मरीज की पर्ची पर कैंसर और हार्ट संबंधी दवाएं चढ़ाई गईं. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. योगेंद्र शर्मा ने बताया आजतक की एक रिपोर्ट में बताया कि RGHS योजना में लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद जांच अभियान चलाया गया और शुरुआती रिपोर्ट में ही कई चौंकाने वाले फैक्स सामने आने लगें.
दोषी पाए गए डॉक्टरों से गवर्नमेंट रेवेन्यू की वसूली उनकी सैलरी से की जाएगी. साथ ही, सभी डॉक्टर्स को अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवाइयां ही लिखने और मरीजों को बिना जरूरत जांचों से दूर रखने के निर्देश दिए गए हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी तय किया है कि अब हर सरकारी अस्पताल की पर्चियों और दवाओं की नियमित रूप से निगरानी की जाएगी. मेडिकल स्टोरों के रजिस्टर और बिलिंग प्रक्रिया की जांच के लिए ड्रग विभाग को भी एक्टिव कर दिया गया है.
अलग अलग स्तर पर जांच जारी
राज्य सरकार के स्वास्थ्य मुख्यालय से मिले निर्देशों के बाद, पूरे मामले की जांच अलग-अलग स्तर पर चल रही है. ड्रग विभाग दवाओं की दुकानों की निगरानी कर रहा है, वहीं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टरों से पूछताछ कर उनके बयान रिकॉर्ड कर रहे हैं.
जांच रिपोर्ट जल्द ही स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी और फर्जीवाड़े में संलिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. जरूरत पड़ने पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है.
यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर गंभीर सवाल उठाती है. क्या हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी खोखली हो गई है कि कुछ रुपयों के लालच में मरीजों की जान से भी खिलवाड़ किया जा सकता है? इस घोटाले की पूरी जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके और आम जनता का स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा कायम रह सके.
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