जयपुर: रामगढ़ बांध के हालात बदतर, ऑफिस में रखी कुर्सियों को बंदरों ने किया चकनाचूर
Jaipur: जयपुर ग्रामीण में स्थित रामगढ़ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था, लेकिन अब समय के साथ साथ तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. जो बांध कभी राजस्थान की राजधानी की लाइफ लाइन कहा जाता था लेकिन अब इस बांध की हालात बदतर हो चुके हैं. लगभग 120 साल पुराने इस बांध का निर्माण […]
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Jaipur: जयपुर ग्रामीण में स्थित रामगढ़ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था, लेकिन अब समय के साथ साथ तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. जो बांध कभी राजस्थान की राजधानी की लाइफ लाइन कहा जाता था लेकिन अब इस बांध की हालात बदतर हो चुके हैं. लगभग 120 साल पुराने इस बांध का निर्माण जयपुर के महाराजा ने करवाया था ताकि जयपुर की जनता को पानी मिल सके, लेकिन अब रामगढ़ बांध खंडर सा हो गया है. .
जमवा रामगढ़ बांध 1903 में बनकर तैयार हुआ. जयपुर के महाराज माधोसिंह ने लगभग 120 साल पहले इस बांध का निर्माण करवाया था. इस बांध को इसलिए बनवाया गया था कि जयपुर की जनता पानी पी सके. इस बांध से जयपुर में पानी की सप्लाई 1931 में शुरू हुई थी. यहां के ग्रामीण बताते है कि रामगढ़ बांध में चार नदियों का पानी आया करता था, जिसमें रोड़ा, बाणगंगा, ताला और माधोवेनी नदी से पानी आता था. जिसमें से सबसे ज्यादा पानी बाणगंगा से आया करता था.
1903 में निर्माण के बाद में पहली बार रामगढ़ बांध 21 साल बाद ओवरफ्लो हुआ. अंतिम बार रामगढ़ बांध 1981 में आई बाढ़ के बाद में पूरा भरा था. इसके बाद लगातार जमवारामगढ़ में पानी की आवक लगातार कम होती गई लेकिन सरकारी महकमा सिर्फ और सिर्फ कागज से और अपने परेशानी का सबक खुद ही बनता गया. धीरे-धीरे जमवारामगढ़ बांध के पानी के रास्ते पर अवरोध बनते गए या फिर कहें धीरे-धीरे जमवारामगढ़ बांध के पानी का रास्ता रोक दिया गया,
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रामगढ़ बांध पर अवैध निर्माण का काम चल रहा है. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं की गई. आकंड़ें बताते है कि 1 हजार से ज्यादा अवैध निर्माण रामगढ़ बांध के क्षेत्र में हो चुके हैं लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते यह कारोबार फल रहा है. वहीं बांध के ऑफिस में रखी मंहगी कुर्सियों को बंदरों ने चकनाचूर कर दिया है.
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