Rajasthan: मौत के सामने भी नहीं हारी मुस्कान, 27 साल की पीहू की कहानी, जो सबको जीने का सबक दे गई

नरेश बिश्नोई

Pihu Story Jalore: राजस्थान की 27 वर्षीय पीहू ने हड्डियों के कैंसर से लड़ते हुए भी अपनी मुस्कान नहीं छोड़ी. आईसीयू में उन्होंने अपना आखिरी जन्मदिन केक काटकर मनाया. जाते-जाते भी उन्होंने परिवार को हिम्मत दी और मुस्कुराते हुए विदा ली. उनकी कहानी यह सिखाती है कि मुश्किल हालात में भी जिंदगी को खुशी से जीना चाहिए.

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Pihu Story Jalore
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Pihu Story Jalore: जिंदगी की सबसे कठिन परीक्षा में भी मुस्कान को अपनी ताकत बना लेना, यह कोई साधारण बात नहीं है. 27 साल की प्रियंका (पीहू) ने यही कर दिखाया. हड्डियों के कैंसर से जूझते हुए भी उसने मुस्कान को अपनी ताकत बनाया और आखिरी पलों में भी हार नहीं मानी. उदयपुर के अस्पताल के ICU में उसने अपने आखिरी जन्मदिन को इस तरह मनाया कि हर कोई उसकी हिम्मत और जिंदादिली का कायल हो गया. अब उनकी मौत एक यादगार विदाई में बदल गई.

जिंदादिली पीहू की कहानी

जालोर के पचानवा गांव की रहने वाली पीहू की कहानी हर किसी को भावुक कर देती है, लेकिन साथ ही हिम्मत भी देती है. अस्पताल के ICU में जब परिवार के लोग और डॉक्टर उनकी गिरती तबीयत देखकर उदास थे, तब पीहू ने एक अद्भुत इच्छा जाहिर की. उन्होंने अपने पिता से कहा, "पापा, एक केक ले आइए. मैं अपने आखिरी पलों को रोते हुए नहीं बल्कि मुस्कुराते हुए बिताना चाहती हूं."

यह सुनकर सभी की आंखें नम हो गईं. लेकिन पीहू की ख्वाहिश पूरी हुई. 25 अगस्त की शाम ICU का गंभीर माहौल एक पल के लिए बदल गया. परिवार के सदस्यों और अस्पताल के स्टाफ की मौजूदगी में पीहू ने अपना आखिरी जन्मदिन मनाया. केक पर "पीहू-लकी" लिखा था. मुस्कुराते हुए उन्होंने सबको केक खिलाया और कहा, "मैं रोते हुए नहीं, हंसते हुए विदा लेना चाहती हूं." यह पल हमेशा के लिए उनकी यादों में बस गया.

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दर्द को मुस्कान से छुपाया

पीहू ने बचपन से ही अपने जिद्दी स्वभाव और प्यार से सबका दिल जीता था. चार भाई-बहनों में वह सबसे प्यारी थीं. पढ़ाई में भी वह बहुत होशियार थीं. उन्होंने बीबीए किया और सीए इंटर की परीक्षा भी पास कर ली थी. जनवरी 2023 में उनकी शादी रानीवाड़ा के बिल्डर लक्ष्यराज सिंह से हुई. शादी के बाद उनकी जिंदगी में खुशियां ही खुशियां थीं लेकिन कुछ ही महीनों में उनके पैरों में तेज दर्द शुरू हो गया.

शुरुआत में इसे मामूली दर्द समझा गया लेकिन लगातार बढ़ता गया. फरवरी 2023 में मुंबई में हुई जांच में पता चला कि उन्हें हड्डियों का कैंसर है. इसके बाद परिवार ने इलाज की हर संभव कोशिश की. मार्च 2023 से अगस्त 2024 के बीच उनकी तीन सर्जरी हुईं लेकिन बीमारी शरीर में तेजी से फैलती गई. डॉक्टरों ने भी परिवार को बता दिया कि अब ज्यादा समय नहीं बचा है.

अंतिम समय तक देती रहीं हिम्मत

डॉक्टरों की बात सुनने के बाद भी पीहू ने हार नहीं मानी. वह हमेशा कहती थीं कि वह ठीक होकर घर लौटेंगी. उनके पति लक्ष्यराज बताते हैं, "वह आखिरी सांस तक यही कहती रहीं कि मुझे कमजोर मत समझना, मैं आखिरी दम तक लड़ूंगी." 2 सितंबर को जब उनकी तबीयत अचानक खराब हुई तो उन्होंने अपने भाई जयपाल को खाना खाने भेज दिया और कहा, "मैं कहीं नहीं जा रही." कुछ ही देर बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन उनके चेहरे पर वही मुस्कान थी, जो हमेशा उनकी पहचान रहेगी.

पीहू की इस कहानी ने उदयपुर के डॉक्टरों को भी भावुक कर दिया. वे कहते हैं कि उन्होंने कई कैंसर मरीज देखे हैं, लेकिन पीहू जैसी हिम्मत किसी में नहीं देखी. उन्होंने खुद दर्द सहते हुए भी दूसरों को मुस्कुराने और जीने का हौसला दिया.

आज जालोर के लोग पीहू को हिम्मत और मुस्कान की मिसाल के तौर पर याद करते हैं. उनकी कहानी यह सिखाती है कि जीवन कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे हर हाल में खुशी और हिम्मत के साथ जीना चाहिए.

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