प्रमुख शक्तिपीठों में शामिल है बिहार का राज राजेश्वरी देवी मंदिर, यहां पूरी होती है हर किसी की मुरादें
मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित माता षोडशी हर व्यक्ति की मुरादें पूरी करती हैं. जिसके कारण यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता हैं. अगर आप भी यहां माता के दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो...
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आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर में रमणा रोड पर स्थित राज राजेश्वरी देवी मंदिर को बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता हैं. खास बात ये है कि इस मंदिर में जो मां आदिशक्ति की षोडशी स्वरूप की प्रतिमा विराजमान है, वो सोने की है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित माता षोडशी हर व्यक्ति की मुरादें पूरी करती हैं. जिसके कारण यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता हैं. अगर आप भी यहां माता के दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो चलिए हम आपको इस आर्टिकल के जरिए राज राजेश्वरी देवी मंदिर से जुड़ी सारी जानकारियों से रूबरू कराते हैं.
राज राजेश्वरी देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं
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इस मंदिर में विराजमान देवी का स्वरुप षोडशी यानी सोलह वर्ष की कन्या का है. प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, दस महाविद्याओं में षोडशी देवी का चौथा स्थान माना गया है. कहा जाता है कि महर्षि दुर्वासा ने भी माता के इस स्वरूप की आराधना की थी. बता दें, इनका मंत्र भी 16 अक्षरों का ही होता है. इस देवी की सोलह भुजाएं होती हैं. इस माता को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है.
आपको बता दें, इस मंदिर में किसी खास तरह का चढ़ावा या कोई कीमती सामान चढ़ाने की अनुमति किसी को नहीं है. कहा जाता है कि माता सिंदूर व दूब से पूजा करने पर खुश होती हैं. इसलिए उन्हें सिंदूर और दूब चढ़ाया जाता है.
राज राजेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास व मान्यताएं
जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर की स्थापना उमाशंकर प्रसाद उर्फ बच्चा बाबू ने 28 जून 1941 में की थी. बताया जाता है कि मंदिर निर्माण से पहले उन्हें पांच बेटियां ही थी, बेटा नहीं हो रहा था. तब उन्हें बताया गया की माता षोडशी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है, जिस कारण उन्हें माता की मंदिर को बनवाने की प्रेरणा मिली. इसके लिए उन्होंने पंडित निरसन मिश्रा से संपर्क किया. उनके निर्देशानुसार शुभ घड़ी में माता राज राजेश्वरी देवी मंदिर की स्थापना हुई. बता दें, इसके कुछ ही महीने बाद बच्चा बाबू को पुत्र की प्राप्ति हुई. इसके बाद से ही मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई.
मान्यता है कि षोडशी देवी कुमारी कन्या होने के कारण वह महीने में 4 दिन रजस्वला (पीरिएड्स) में होती हैं. ऐसे में इस दौरान कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है. बता दें, इस नियम का इतनी सख्ती से पालन होता है कि मंदिर के पुरूष पुजारी को भी इस दौरान गर्भगृह में रहने की अनुमति नहीं होती है.
कब जाएं राज राजेश्वरी देवी मंदिर?
वैसे तो ये मंदिर आम तौर पर पूरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, जिसके कारण यहां सालों भर लोगों का आना लगा रहता है. मगर नवरात्र के अवसर पर यहां लाखों की भीड़ उमड़ती है. वहीं बीच में एक ऐसा भी समय आता है, जब यहां पुरुषों के घुसने पर रोक लगा दी जाती है. आपको बता दें, उस खास समय में यहां के मुख्य पुजारी को भी गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं मिलती. क्योंकि मान्यता है कि मंदिर में स्थापित माता महीने में 4 दिन रजस्वला (पीरिएड्स) में होती हैं.
आपको बता दें, सर्दियों के मौसम (अक्टूबर से मार्च तक) में आप यहां दर्शन करने के लिए आ सकते हैं. क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम काफी सुहावना होता है.