राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के बाद क्या बदलेगा बिहार का चुनावी माहौल? जानें क्या रहा इस यात्रा का निचोड़
राहुल गांधी के नेतृत्व में INDIA गठबंधन की ‘वोट अधिकार यात्रा’ पटना में एक विशाल रैली के साथ संपन्न हुई. अंतिम दिन पटना की सड़कों पर उमड़ी भीड़ ने माहौल गरमा दिया. जानें क्या रहा राहुल गांधी की इस यात्रा का निचोड़?
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बिहार में इंडिया पॉलिटिकल फ्रंट की 'वोट अधिकार यात्रा' संपन्न हो गई है. 1300 किलोमीटर की यह यात्रा पटना में एक विशाल रैली के साथ समाप्त हुई. इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, और एम.के. स्टालिन जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए. हालांकि, इस पूरी यात्रा का केंद्र बिंदु राहुल गांधी रहे. माना जा रहा है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी को उत्तर भारत के एक बड़े नेता के रूप में स्थापित कर दिया है.
क्या कांग्रेस का संगठन हुआ मजबूत?
इस यात्रा के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इससे कांग्रेस संगठन में नई जान आ गई है? पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 70 विधानसभा सीटों पर अपने उमीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 19 पर ही जीत हासिल कर पाई थी. इस बार सीट शेयरिंग को लेकर क्या रणनीति बनेगी अब ये देखना दिलचस्प होगा. फिलहाल चुनाव में अभी समय है लेकिन इस यात्रा ने इंडिया गठबंधन के लिए एक मजबूत माहौल बना दिया है.
युवा और महिलाओं का बढ़ा समर्थन
इस यात्रा को युवाओं के अलावा महिलाओं का भी साथ मिला. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल ही में 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने की जो लिस्ट सामने आई थी, उसे लेकर दावा किया जा रहा था कि उसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं के नाम अधिक काटे गए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी और महागठबंधन की ओर महिलाओं का रुझान बढ़ा है. इसके अलावा कांग्रेस ने दलित समुदाय के राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित वोटों में भी सेंध लगाने की कोशिश की है. राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान एक्सट्रीम बैकवर्ड क्लास (EBC) पर भी खास ध्यान दिया जो बिहार की कुल आबादी का 36% हिस्सा है.
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चुनावी समीकरण में बदलाव की संभावना
बिहार की राजनीति में माना जाता है कि सवर्ण जाति का वोट बीजेपी को मिलता रहा है. लेकिन कुछ हिस्सा ये कांग्रेस के पास भी आता रहा है. इस बार प्रशांत किशोर भी सवर्ण जाति के चुनाव मैदान में है. ऐसे में माना जा रहा है कि उनके चुनावी मैदान में आने से सवर्ण वोटों में बिखराव हो सकता है, जिसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा. वहीं, मुस्लिम वोट बैंक इस बार बंटता हुआ नजर नहीं आ रहा है, जिससे कांग्रेस और आरजेडी को फायदा मिल सकता है.
बराबरी पर आया इंडिया गठबंधन
इस यात्रा से पहले इंडिया गठबंधन एनडीए से थोड़ा पीछे था. लेकिन अब इस यात्रा ने गति पकड़ ली है और यह एनडीए के बराबर आ गया है. इस यात्रा के प्रभाव को देखते हुए ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कई लोकलुभावन घोषणाएं करनी पड़ीं, जैसे मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए 35% आरक्षण और आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय बढ़ाना. इन कदमों से यह साफ होता है कि इस यात्रा ने सत्ताधारी गठबंधन पर दबाव बनाया है. अगर यह यात्रा सुप्रीम कोर्ट के जरिए चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट के मुद्दे पर दबाव बनाने में कामयाब होती है तो यह इंडिया पॉलिटिकल फ्रंट के लिए एक बड़ी जीत होगी.
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