बिहार चुनाव से पहले SIR की पारदर्शिता पर बंटी जनता की राय, वोट वाइब सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे

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Vote Vibe Survey: बिहार में SIR की पारदर्शिता पर वोट वाइब सर्वे में जनता बंटी- 39.9% ने कहा प्रक्रिया सही, 39.8% ने बताया अपारदर्शी और 20.4% लोगों ने कहा कुछ सटीक नहीं कह सकते.

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Bihar SIR transparency survey result
SIR प्रक्रिया पर जनता की राय: 39.9% ने बताया पारदर्शी
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बिहार में SIR की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष शुरू से ही सत्ता पक्ष पर हमला बोल रहा है. 1 अगस्त को SIR का पहला ड्राफ्ट जारी होने के बाद इसमें कई तरह के मामले सामने आए जैसे बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का दो वोटर आईडी कार्ड, मुजफ्फरपुर में एक ही मकान में 269 मतदाताओं के नाम आदि. अब वोट वाइब ने SIR पर एक सर्वे किया है जिसमें उन्होंने SIR के मुद्दे से जुड़े कई सवाल जनता से पूछे. लेकिन हम बात करेंगे सबसे अहम मुद्दे पर जो है "क्या SIR की प्रक्रिया में पारदर्शिता है या नहीं"? आइए विस्तार से जानते है लोगों की राय.

क्या SIR की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से किया गया है?

आपको बता दें कि इस सर्वे में 1000 से ज्यादा लोगों की राय ली गई है. जब लोगों से पूछा गया कि "क्या आप मानते हैं कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का कार्य उचित एवं पारदर्शी तरीके से किया गया है?" इसपर लोगों की राय बड़ी मिली-जुली रहीं.

इस सर्वे के आधार पर 39.9 फीसदी लोगों का मानना है कि SIR की प्रक्रिया उचित और पारदर्शी तरीके से हुई है. इसमें किसी भी तरह की कोई धांधली नहीं की गई है. वहीं 39.8 फीसदी लोगों का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य उचित तरीके से नहीं किया गया है. साथ ही इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है. जबकि 20.4 फीसदी लोगों का मानना है कि इसपर कहना कुछ सटीक नहीं है और उन्होंने इस पर अपनी कोई राय नहीं दी.

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क्या है SIR की प्रक्रिया?

दरअसल बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण(Special Intensive Revision- SIR) की प्रक्रिया शुरू की है. इस प्रक्रिया को चरण में बांटा गया है जिसका पहल चरण 24 जून से 26 जुलाई तक था. इस प्रक्रिया का एक मात्र ही उद्देश्य है कि बिहार में एक निष्पक्ष चुनाव हो और कोई भी योग्य मतदाता छूटे ना और ना ही अयोग्य मतदाता इस चुनाव का हिस्सा बनें.

पहले चरण के बाद 1 अगस्त को पहला ड्राफ्ट लिस्ट जारी किया था जिसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम काट दिए गए थे. हालांकि आयोग द्वारा एक महीने यानी 1 सितंबर तक दावे और आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया गया है.

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