Good News: NPS पेंशनर्स के लिए सरकार ले आई नई पेंशन योजना, 1 अप्रैल से होने जा रहा शुरू, जानें पूरी डिटेल
24 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी गई. इसके बाद इसकी चर्चा तेज हो गई. पुरानी पेंशन योजना (OPS) और नई पेंशन योजना (NPS) के फायदे को ध्यान में रखकर एक नई पेंशन व्यवस्था के रूप में UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) को लाया गया.
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पुरानी पेंशन व्यवस्था यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन व्यवस्था यानी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के बीच झूल रहे कर्मचारियों को एक नई पेंशन व्यवस्था दी जा रही है. इसे यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) नाम दिया गया है. अब ये 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है. लोगों के जेहन में सवाल ये है कि ये पेंशन सिस्टम ओपीएस और एनपीएस से कितना अलग है? ये कितना फायदेमंद है? हम Personal Finance की सीरीज में आपको तीनों पेंशन सिस्टम में एक तुलना के साथ इसकी पूरी डिटेल बता रहा है.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया. इसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई. ओपीएस केवल उन कर्मचारियों पर लागू किया गया जो 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए थे. इधर जिन कर्मचारियों को एनपीएस के साथ जाना था उन्होंने पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग की और अड़ गए. जगह-जगह आंदोलन और धरना प्रदर्शन होने लगे जो आज भी जारी हैं. कई राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने NPS से OPS में वापस जाने की घोषणा कर दी. इसी बीच लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए की तीसरी बार सरकार बनी और एक नई पेंशन व्यवस्था बनाने पर काम शुरू हो गया.
24 अगस्त 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी गई. इसके बाद इसकी चर्चा तेज हो गई. पुरानी पेंशन योजना (OPS) और नई पेंशन योजना (NPS) के फायदे को ध्यान में रखकर एक नई पेंशन व्यवस्था के रूप में UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) को लाया गया. अब ये 1 अप्रैल से लागू होने जा रही है.
UPS की खास बातें
- रिटायर होते समय पिछले 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन मिलेगा.
- ये उन कर्मचारियों को मिलेगा जिन्होंने कम से कम 25 साल की नौकरी की है.
- 25 साल से कम और 10 साल से ज्यादा नौकरी करने वालों को इसी हिसाब से पेंशन मिलेगा.
- इसमें कर्मचारियों को अपनी सैलरी से 10% देना होगा. सरकार 18.5% का योगदान करेगी.
- इसमें महंगाई बढ़ने के हिसाब से डियरनेस रिलीफ में हाइक मिलेगी.
- कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिवार को पेंशन का 60% मिलेगा.
- UPS के तहत न्यूनतम पेंशन 10,000 रुपए प्रति माह होगी.
- यानी कर्मचारी ने 10 साल की नौकरी भी पूरी कर ली है तो उसे हर महीने 10 हजार रुपए न्यूनतम पेंशन मिलेगी.
- ग्रेच्युटी के साथ-साथ एकमुश्त भुगतान रिटायरमेंट के समय किया जाएगा.
- जो कर्मचारी 25 साल की सेवा के बाद स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेंगे, उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ की उम्र से पहले भुगतान शुरू होगा.
UPS, NPS, और OPS में कौन सा सिस्टम कैसा?
खास बातें | OPS | NPS | UPS |
पेंशन | लास्ट सैलरी का 50% | मार्केट बेस्ड रिटर्न | आखिरी 12 महीने की औसत बेसिक सैलरी का 50% |
कर्मचारी को शेयर कना होगा | नहीं | बेसिक+DA का 10% | सैलरी का 10% |
सरकारी योगदान | पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करेगी. | 14% | 18.5% |
महंगाई समायोजन | DA के जरिए | नहीं | महंगाई के हिसाब से डियरनेस रिलीफ (DR) का पैसा मिलेगा और ये ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-W) पर आधारित होगा. |
पेंशनर की डेथ के बाद फैमिली पेंशन | पूरी पेंशन | नहीं | पेंशन का 60% |
न्यूनतम पेंशन | नहीं | नहीं | 10,000 रुपए महीने |
UPS का लाभ किसे मिल सकता है?
अब सवाल ये है कि यूनिफाइड पेंशन सिस्टम का लाभ कौन ले सकता है? यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 जनवरी 2004 के बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) का हिस्सा बन गए थे. ऐसे कर्मचारी यूनिफाइड पेंशन योजना का विकल्प चुन सकते हैं. ध्यान रहे कि UPS में बदलाव के बाद दोबारा इसे बदला नहीं जा सकेगा. पेंशन फंड रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) को इस योजना के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाना है.
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NPS से रिटायर हो चुके कर्मचारी को यूपीएस का लाभ मिलेगा?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का लाभ उन कर्मचारियों को भी मिलेगा जो पहले से NPS के तहत रिटायर हो चुके हैं. इसका लाभ उन सभी कर्मचारियों को मिलेगा जो 2004 से NPS के तहत रिटायर हो गए हैं या 31 मार्च 2025 तक रिटायर होंगे.
कुल मिलाकर देखा जाए तो अभी भी ओपीएस में मिलने वाले कुछ फायदे यूपीएस में नहीं है. जैसे ओपीएस में मिलने वाली पेंशन पर टैक्स नहीं लगता है. वहीं एनपीएस और यूपीएस में मिलने वाली पेंशन टैक्सेबल है. ओपीएस में कर्मचारियों को अपना कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था. यानी पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती थी. हालांकि एनपीएस के मुकाबले इसे और फायदेमंद बनाने की कोशिश की गई है.
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