Delhi car Blast: कौन है पुलवामा का डॉक्टर उमर मोहम्मद? लाल किला के पास धमाके से क्या है कनेक्शन?
delhi car blast update: दिल्ली में लाल किला के पास कार धमाके में आई-20 कार में सवार संदिग्ध शख्स को डॉ. उमर मोहम्मद बताया जा रहा है. जानिए कौन है उमर मोहम्मद और फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल, अल फलाह यूनिवर्सिटी, यूपी कनेक्शन, पुलवामा कनेक्शन और गुजरात का क्या है कनेक्शन?

दिल्ली कार धमाके में पार्किंग से निकलकर रेड लाइट पर आने वाली आई-20 कार में कौन था. ये कार किसकी थी. कार में कौन सा विस्फोटक था. इनमें से कई सवालों के जवाब आने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो कार में अकेला डॉ. उमर मोहम्मद था जो फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से कनेक्टेड है. हालांकि इस बात को जानने के लिए उमर की मां और दो भाइयों को हिरासत में लेकर डीएनए टेस्ट किया गया है. कार में मिली डेड बॉडी से यदि इसका मिलान हो जाता है तो ये तय हो जाएगा कि उसमें उमर खालिद ही था. सवाल ये है कि ये उमर खालिद कौन है और उसका इस पूरे मामले, फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल, अल-फलाह यूनिवर्सिटी से क्या कनेक्शन था?
मोहम्मद उमर फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के रूप में कार्यरत था. उमर अनंतनाग स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के पूर्व सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर अदिल अहमद राठेर का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है. आदिल को पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. आदिल से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर अधिकारियों ने सोमवार को फरीदाबाद में छापेमारी की. सवाल ये है कि पुलिस उमर मोहम्मद की तलाश में थी?

गिरफ्तारियों के बाद हड़बड़ी में धमाका?
माना जा रहा है कि उसने अपने दो साथियों के साथ मिलकर इस हमले की योजना बनाई थी. सोमवार को फरीदाबाद में हुई गिरफ्तारियों के बाद हड़बड़ी में यह हमला किया गया. अपने साथियों के साथ मिलकर उमर ने कार में एक डेटोनेटर रखा और आतंकी वारदात को अंजाम दिया. जांचकर्ताओं ने पुष्टि की है कि शाम के व्यस्त समय में हुए इस उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया है. विस्फोट का समय तब चुना गया जब ये इलाका लोगों से भरा रहता है.
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CCTV फुटेज में मास्क वाला शख्स चला रहा था कार
सुनहरी मस्जिद के पास कार पार्किंग से जब कार निकली तब एक ही शख्स उसमें दिखाई दिया जो काले रंग का मास्क पहना हुआ है. शुरुआत में चालक का चेहरा साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन जैसे ही कार आगे बढ़ती है, एक नकाबपोश व्यक्ति गाड़ी चलाते हुए दिखाई देता है. पुलिस घटनास्थल से बरामद कार में मिले शव का DNA टेस्ट कराएगी, ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि कार में सवार शख्स डॉ. उमर मोहम्मद ही है या कोई और है.
इंडिया टुडे ने पहले ही बताया था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और फरीदाबाद पुलिस एक डॉक्टर की तलाश थी. माना जा रहा है कि ये शख्स कोई और नहीं बल्कि उमर मोहम्मद ही है. ये कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है.
डॉ. उमर मोहम्मद के घर पहुंची पुलिस
इधर पुलवामा के रहने वाले उमर मोहम्मद के घर पहुंची. यहां उसकी मां और दो भाई को हिरासत में ले लिया. उसकी भाभी ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं था इन सबके बारे में. वे फरीदाबाद में करीब 3 सालों से नौकरी कर रहा था. परिवार को लगता था कि उनके गुरबत के दिनों को दूर करेगा. इधर डॉ. उमर की मां का डीएनए परीक्षण किया गया. विस्फोट स्थल पर उमर की मौत की पुष्टि के लिए इसका मिलान किया जाएगा.
हरियाणा नंबर की कार उमर तक कैसे पहुंची?
दरअसल कार के नंबर के आधार पर जब जानकारी निकाली गई तो पता चला कि ये कार सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड है. हालांकि जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि सलमान ने ये कार मार्च 2025 में देवेंद्र को कार बेची. 29 अक्टूबर को देवेंद्र से आमिर नाम के एक व्यक्ति को यह कार सौंप दी. आमिर के बाद ये कार डॉ. उमर मोहम्मद तक पहुंची. तारिक नाम के एक व्यक्ति को भी कार के आदान-प्रदान की भूमका में संदिग्ध माना जा रहा है. फिलहाल पुलिस ने तारिक को सोमवार की रात पुलवामा के संबूरा से हिरासत में लिया है. आमिर को भी हिरासत में ले लिया गया है. पुलिस इन दोनों से पूछताछ कर रही है.
फरीदाबाद माड्यूल से उमर का कनेक्शन
माना जा रहा है कि उमर मोहम्मद का फरीदाबाद मॉड्यूल से कनेक्शन है. सूत्र ये भी बताते हैं कि फरीदाबाद में विस्फोटक का जखीरा पकड़े जाने के बाद उमर घबरा गया और पकड़े जाने के डर से तुरंत इस घटना को अंजाम दे दिया. ध्यान देने वाली बात है कि पुलिस को एक फरीदाबाद में आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को एक डॉ. की तलाश थी. माना जा रहा है कि ये वही डॉक्टर शकील है जो फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी और आतंकियों का कनेक्शन
19 अक्टूबर को श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर लगाए गए थे. पता चला इसे अनंतनाग के एक अस्पताल में सीनियर डॉक्टर आदिल मोहम्मद ने लगाए हैं. सीसीटीवी फुटेज से इसकी शिनाख्त हुई. पुलिस ने ढूंढना शुरू किया. सर्विलांस की मदद से पुलिस यूपी के सहारनपुर पहुंची जहां आदिल को 6 नवंबर को पकड़ा. अनंतनाग में उसके लॉकर से हथियार मिले. इससे पूछताछ के बाद फरीदाबाद के डॉक्टर मुजम्मिल शकील का कनेक्शन सामने आया.
फरीदाबाद और जम्मू-कश्मीर की पुलिस टीम ने मुजम्मिल शकील को पकड़ा. ये फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था. ये कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है. इसने धौज इलाके में किराए पर एक कमरा लिया था. यहां से 360 किलो विस्फोटक, 20 टाइमर, असॉल्ट रायफल के साथ दूसरे सामग्री मिली. इसकी की निशानदेही पर फरीदाबाद के एक गांव से 2560 किलो से ज्यादा विस्फोटक बरामद हुआ.
लखनऊ की डॉ. शाहीन भी पकड़ी गई
इधर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद पुलिस की मदद से आतंकी डॉ. मुजम्मिल की दोस्त शाहीन को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था. शाहीन लखनऊ की रहने वाली है. शाहीन की स्विफ्ट कार में क्रिंकोब असॉल्ट राइफल बरामद की है. पुलिस को इस एसॉल्ट राइफल की तीन मैगजीन भी मिली है. शहीन भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाती है. इधर मामले में एक और अपडेट आया है. लखनऊ के मड़ियांव इलाके में IIM रोड के मुतक्कीपुर में लखनऊ के इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टर परवेज अंसारी के घर पर कश्मीर पुलिस और यूपी एटीएस ने छापेमारी की है. परवेज फिलहाल फरार है.

इससे पहले गुजरात में भी पकड़े गए डॉक्टर
गुजरात एटीएस ने अहमदाबाद से ISKP मॉड्यूल के तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 2 वेस्टर्न यूपी और एक हैदराबाद का रहने वाला है. हैदराबाद के डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद ने चीन से MBBS किया है. दूसरा आरोपी मोहम्मद सोहेल लखीमपुर खीरी जिले के सिंघाही थाना क्षेत्र के झाला गांव का रहने वाला है. तीसरा सुलेमान शेख है. जांच में पता चला कि सुलेमान शेख और सुहेल ने राजस्थान के हनुमानगढ़ से हथियार जुटाए और उन्हें गांधीनगर के एक कब्रिस्तान में छिपाया. ये गुजरात में किसी को हथियारों की डिलीवरी देने गए थे. वहीं डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद को एक टोल प्लाजा के पास से गिरफ्तार किया गया. इसके पास से हथियार और एक खतरनाक रसायन रायजिन पकड़ा गया है. इन लोगों ने अहमदाबाद, लखनऊ और दिल्ली की रेकी की थी.

क्या है रायजिन
यह वो पदार्थ है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ''केमिकल वैपन'' की सबसे घातक श्रेणी में आता है. प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि सैयद ने अपने रासायनिक ज्ञान का दुरुपयोग करते हुए रिसिन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इसे अरंडी के बीज (Castor Beans) से निकाला जाता है बेहद जहरीला प्रोटीन है. इसका केवल 1.78 मिलीग्राम एक व्यक्ति की मौत के लिए पर्याप्त होता है. यह सांस, इंजेक्शन या निगलने के जरिए शरीर में जाने पर 48 से 72 घंटे में घातक असर दिखाता है. इसका कोई एंटीडोट या इलाज अब तक नहीं है. अंतरराष्ट्रीय संस्था OPCW (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) के अनुसार यह पदार्थ गर्मी और पानी के संपर्क में आने पर कमजोर पड़ जाता है, इसलिए बड़े पैमाने पर फैलाना कठिन होता है.
अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में रायजिन का इस्तेमाल
- 2013: अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को रिसिन मिले पत्र भेजे गए थे.
- 2020: तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी रायजिन युक्त लिफाफा भेजा गया, जिसे मेल सॉर्टिंग के दौरान पकड़ लिया गया.
दिल्ली ब्लास्ट में अब तक 6 लोग हिरासत में
दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों ने अब तक जम्मू-कश्मीर से कुल 6 लोगों को हिरासत में लिया है. पुलिस ने पुलवामा के संबूरा इलाके से तीन संदिग्ध आमिर राशिद मीर, उमर राशिद मीर और तारिक मलिक को गिरफ्तार किया. वहीं डॉक्टर उमर नबी के परिजन - जाहूर, आशिक और शमीमा बानो को भी हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है.
पुलिस का एक्शन
पुलिस को शक है कि फरीदाबाद में मुज्जमिल को स्थानीय स्लीपर सेल ने मदद पहुंचाई थी. इसी मदद के जरिए वो बड़ी मात्रा में विस्फोटक जुटा पाया था. फिलहाल पुलिस मुज्जमिल के सहयोगियों की तलाश में जुट गई है.
एक और डॉक्टर गिरफ्तार, कनेक्शन-अल फलाह यूनिवर्सिटी
ताजा घटनाक्रम के तहत पुलवामा से एक और डॉक्टर को हिरासत में लिया गया है. ये डॉ. उमर का दोस्त बताया जा रहा है. डॉ. सज्जाद अहमद माला को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत में लिया है. इसका दो दिन पहले ही निकाह हुआ है. डॉ. सज्जाद ने बत्रा मेडिकल कॉलेज जम्मू से एमबीबीएस किया है. हाल ही में उसने अल-फलाह में सीनियर रेजिडेंट के रूप में काम करना शुरू किया था.

सबसे अहम वो 3 घंटे
लाल किले के पास पार्किंग में करीब 3 घंटे तक आई-20 कार खड़ी थी. सवाल ये है कि यदि उस कार में उमर मोहम्मद था तो वो 3 घंटे तक वहां क्या कर रहा था? किससे मिल रहा था. या फिर इलाके की रेकी करने के बाद पीक ऑवर का इंतजार किया. आखिर दोपहर 3 बजकर 19 मिनट पर वो गाड़ी पार्किंग में पहुंच गई और 6 बजकर 22 पर बाहर आई...इन 3 घंटों में क्या-क्या हुआ? दिल्ली की हाईली सिक्योरिटी वाले इलाके में 3 घंटे तक रुकने का रिस्क क्यों लिया? क्या कोई स्लीपर सेल या लॉजिस्टिक सपोर्ट का इंतजार था?
इनपुट: अरविंद ओझा/हिमांशु मिश्रा
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