मेरी बाइक के आगे गिरा था इंसानी शरीर का अंग..., दिल्ली ब्लास्ट के एक चश्मदीद ने सुनाई हैरान करने वाली कहानी
10 नवंबर को चांदनी चौक में हुए भीषण आतंकी धमाके में 9 लोग मारे गए लेकिन चश्मदीद मनोहर सिर्फ कुछ मिनटों के फासले से बाल- बाल बच गए.

Red Fort Blast: 10 नवंबर का सोमवार दिल्ली के चांदनी चौक इलाके के लिए एक खौफनाक रात लेकर आया. भीषण धमाके में 10 लोगों की जान चली गई, जबकि 20 से ज्यादा अभी भी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं.
धमाके का मंजर इतना ज्यादा भयानक था कि इसे देखने वाले दिल्ली के सीलमपुर निवासी 40 साल के मनोहर आज भी सदमे में हैं. गौरी शंकर मंदिर के पास हुए इस ब्लास्ट ने मनोहर की जिंदगी को महज कुछ मिनटों के फासले से पलट दिया.
लंबी लाइन बनी जीवन रक्षक ढाल
मनोहर ने बताया कि हर सोमवार की तरह उस दिन भी वो चांदनी चौक के गौरी शंकर मंदिर पहुंचे थे. लेकिन उस दिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि दर्शन के लिए लगी लंबी लाइन में उनके कदम थक गए थे. उन्होंने तब तो लाइन छोटी होने की दुआ की थी पर मनोहर कहते हैं कि अब उन्हें लगता है कि वही लंबी लाइन ने उनकी जिंदगी बचा ली.
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मनोहर का मानना है कि अगर मुझे कुछ मिनट पहले दर्शन हो गए होते तो शायद मेरा नाम भी मरने वालों की लिस्ट में होता.
शादी सीजन की भीड़
मनोहर शाम लगभग छह बजे चांदनी चौक पहुंचे थे. शादी-सीजन के वजह कल वहां जबरदस्त जाम था, गाड़ियां रेंग रही थीं. गौरी शंकर मंदिर के पास हमेशा जाने के कारण उनकी जान-पहचान एक दिव्यांग से थी जो वहां पार्किंग की 'सेटिंग' कराता था.
मनोहर ने बताया कि धमाके वाले दिन वह उसके लिए एक जींस लेकर गए थे.पहले उन्होंने सोचा कि दर्शन के बाद देंगे पर अचानक मन बदला और सोचा 'पहले ही दे देता हूं, दर्शन के बाद सीधे घर निकलूंगा.'
वह अब मानते हैं कि उस जींस को पहले देना शायद भगवान का कोई संकेत था, क्योंकि यह फैसला ही मौत और जिंदगी के बीच का फासला बन गया. ब्लास्ट के बाद से वह उस दिव्यांग को लेकर भी चिंता में हैं, जिसकी कोई खबर नहीं मिली है.
दहशत और मानव मांस का लोथड़ा
धमाके की याद आते ही मनोहर की आवाज़ कांपने लगती है. उन्होंने बताया,''मंदिर में दर्शन करके जैसे ही मैं सीढ़ियों से नीचे उतरा, एक कान फाड़ देने वाली आवाज आई और चारों तरफ धुआं भर गया.''
धुएं में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, बस चीखें और बदहवास दौड़ते लोग. धुआं छंटने पर उनकी नजर अपनी बाइक पर पड़ी. गौरी शंकर मंदिर के बाहर खड़ी उनकी बाइक के टायर के ठीक बगल में इंसानी मांस का एक लोथड़ा पड़ा था. इस मंजर ने उनके शरीर का सारा खून सुखा दिया.
अफरा-तफरी का माहौल
मनोहर बताते हैं कि गौरी शंकर मंदिर के अंदर तक धुआं घुस गया था. आस-पास लोग चिल्ला रहे थे कि "जैन मंदिर के झूमर और सारे शीशे चकनाचूर हो गए हैं." कुछ ही देर में पुलिसवाले भी दौड़ते हुए आए और "बम फटा है... बम फटा है" कहते हुए घटनास्थल की ओर भागे.
मनोहर ने कहा कि वो इतना डर गए थे कि कांपते पैरों से बाइक उठाई और जैसे-तैसे वहां से निकले. जामा मस्जिद के पास पहुंचे तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सायरन बजाती हुई आ रही थीं. लोगों ने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि लाल किले के सामने ब्लास्ट हुआ है.
टीवी पर देखा सच
काँपते हाथों से बाइक संभालते हुए मनोहर जब घर पहुंचे. उस वक्त तक उन्हें पता नहीं था कि ये कोई हमला है या कोई हादसा. घर पहुंचते ही उन्होंने टीवी ऑन किया और स्क्रीन पर वही जगह, वही सड़क और नीचे चलती पट्टी ने उन्हें झकझोर दिया.
पूरी रात उनकी आंखें खुली रहीं. उन्हें बार-बार यही ख्याल आता रहा कि अगर किस्मत ने उन्हें पांच मिनट का यह फासला न दिया होता तो शायद वह भी उन 9 लोगों में शामिल होते. किस्मत ने उन्हें मौत को कुछ इंच की दूरी से लौटाकर एक नई जिंदगी दी है.
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