जस्टिस यशवंत वर्मा पर गिर सकती है गाज, महाभियोग की तैयारी में सरकार
Justice Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है.
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Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा अब गंभीर मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है.
सूत्रों के अनुसार, यदि जस्टिस वर्मा स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो आगामी मानसून सत्र में संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. संसद का मानसून सत्र जुलाई के दूसरे हफ्ते से शुरू हो सकता है और उसी दौरान यह प्रस्ताव लाया जा सकता है.
क्या है मामला?
14 मार्च को दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगी थी. आग बुझाने के बाद वहां से जली हुई नकदी के बंडल बरामद हुए. इस पूरे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक समिति बनाई थी.
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इस समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में कहा गया है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों में प्रथम दृष्टया सच्चाई नजर आती है.
सुप्रीम कोर्ट की समिति में कौन-कौन?
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधवालया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु सिवरमन शामिल रहीं. इन तीनों जजों ने जस्टिस वर्मा की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं.
इस्तीफे से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की सिफारिश की थी. इसके बाद उनसे इस्तीफा मांगा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. 20 मार्च को उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया. उन्होंने 5 अप्रैल को शपथ तो ले ली, लेकिन अब तक उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं दिया गया है.
वर्मा ने जताई बेगुनाही
जस्टिस यशवंत वर्मा ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उनके पास से बरामद नकदी से उनका कोई लेना-देना नहीं है. यह मामला तब सामने आया जब उनके दिल्ली स्थित आवास में आग लग गई थी, जिसके बाद वहां से जली हुई बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी.
संसद में कैसे लाया जाएगा महाभियोग?
महाभियोग लाने के लिए संसद के किसी भी एक सदन में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है. राज्यसभा में कम से कम 50 सांसद प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते हैं.
इसके बाद यदि दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एक जांच समिति का गठन करते हैं.
विपक्ष से बातचीत की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार चाहती है कि यह प्रस्ताव सभी दलों की सहमति से लाया जाए. इसलिए विपक्षी दलों से भी बातचीत की योजना है.
हालांकि अभी तक कांग्रेस या अन्य दलों से औपचारिक बातचीत नहीं हुई है, लेकिन बताया जा रहा है कि राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जल्द ही विपक्षी नेताओं से बातचीत कर सकते है्ं.
फिलहाल, जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया है. हालांकि, उनके खिलाफ औपचारिक प्रक्रिया की शुरुआत अब तक नहीं हुई है. सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.