वोटर टर्नआउट डेटा पर विपक्ष ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, फॉर्म 17C को लेकर भी उठ रहे सवाल, जानिए

News Tak Desk

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Voter Turnout Data: चुनाव आयोग के वोटर टर्नआउट डेटा पर मचे बवाल ने देश कि सियासत में हड़कंप मचा रखा है. विपक्ष ने चुनाव आयोग (ECI) से 'फॉर्म 17C डेटा' को ऑनलाइन प्रकाशित करने की मांग की है. दरअसल इस फॉर्म में प्रत्येक बूथ पर डाले गए कुल वोटों का विस्तृत लेखा-जोखा होता है. हालांकि इसपर चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. आइए आपको बताते है वोटर टर्नआउट डेटा को लेकर क्या है विवाद और क्या  होता है फॉर्म 17C.

चुनाव आयोग की पारदर्शिता को लेकर उठ रहे सवाल

देश में लोकतान्त्रिक सुधारों को लेकर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(ADR) ने चुनाव आयोग के डेटा पर सवाल उठायें है. इसे लेकर ADR ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. ADR ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कोर्ट से ये मांग की है कि, चुनाव आयोग फॉर्म 17C के भाग- 1 की स्कैन की हुई प्रतियां ऑनलाइन अपलोड करें. ADR का कहना है कि, इस डेटा का ऑनलाइन प्रकाशन पारदर्शिता को बढ़ाएगा और लोगों के संदेह को दूर करेगा. ADR का आरोप है कि, शुरुआती टर्नआउट आंकड़ों और अंतिम वोटर प्रतिशत में बड़ा अंतर है जिससे विपक्षी दलों ने डेटा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए है साथ ही वोटों की गिनती में हेरफेर होने की संभावना जताई है. 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि, इस बार चुनाव आयोग ने टर्नआउट डेटा जारी करने में काफी देरी की है और कई महत्वपूर्ण आंकड़े नहीं दिए है. खड़गे ने कहा कि, 2019 के मुकाबले इस बार वोटिंग प्रतिशत में 5 फीसदी से अधिक की वृद्धि संदेह पैदा करती है. विपक्ष का आरोप है कि, चुनाव आयोग की देरी और डेटा में पारदर्शिता की कमी से चुनाव प्रक्रिया पर विश्वास कम हो रहा है. 

अब जानिए आखिर फॉर्म 17C क्या होता है?

चुनाव के समय दो तरह के फॉर्म होते है- 17C और 17A. इन्हीं दोनों फॉर्म में वोटिंग का पूरा डेटा भरा जाता है. फॉर्म 17A में पोलिंग अफसर वोटर का डेटा भरता है और पोलिंग खत्म होने के बाद 17C में प्रीसाइडिंग अफसर डेटा भरता है. 17C में ही ये डेटा होता है कि, फलां बूथ में कितने वोट डाले गए. बूथ का नाम, नंबर, ईवीएम नंबर, किस ईवीएम में कितने वोट डाले गए जैसा डेटा होता है. विपक्ष इसी डेटा को जारी करने की मांग कर रहा है जिसे चुनाव आयोग देने में आनाकानी कर रहा है. 

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चुनाव आयोग ने दी ये सफाई

इन सभी आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा है कि, वह कानूनन बाध्य नहीं है कि प्रत्येक बूथ के कुल वोटों की संख्या आम जनता को दे. आयोग ने बताया कि, फॉर्म 17C की कॉपियां पोलिंग एजेंट्स को दी जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है. आयोग ने यह भी बताया कि, वोटिंग के दिन शाम 6 बजे के बाद भी लोग वोट डालते रहते है जिससे प्रारंभिक आंकड़ों में अंतर आ सकता है. आयोग ने कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि, 'वोटर टर्नआउट ऐप' पर डेटा देना स्वैच्छिक और गैर-कानूनी है. आयोग ने कहा कि इस ऐप के आंकड़े अस्थायी होते है. 
 

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के रेडियो टेलीविजन विभाग के छात्र देवशीष शेखावत ने लिखा है.

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