हजारों की जान बचाकर खुद शहीद हुए लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, अंतिम यात्रा में मंगेतर बोली- मुझे बेबी पर गर्व
Flight Lieutenant Siddharth Yadav Story: गुजरात के जामनगर में बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे एक जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश हो गया. इस हादसे में हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले 28 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए.
ADVERTISEMENT

Flight Lieutenant Siddharth Yadav Story: गुजरात के जामनगर में बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे एक जगुआर लड़ाकू विमान क्रैश हो गया. इस हादसे में हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले 28 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए. सिद्धार्थ ने अपनी बहादुरी से न केवल अपने साथी की जान बचाई, बल्कि विमान को घनी आबादी से दूर ले जाकर एक बड़े हादसे को भी टाल दिया. इस घटना से सिद्धार्थ के परिवार समेत पूरे रेवाड़ी क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई.
सिद्धार्थ की वीरता की कहानी
सिद्धार्थ यादव 2 अप्रैल की रात एक रुटीन सॉर्टी के लिए जामनगर एयरफोर्स स्टेशन से अपने साथी मनोज कुमार सिंह के साथ उड़ान पर निकले थे. उड़ान के दौरान विमान में तकनीकी खराबी आ गई. सिद्धार्थ ने साहस दिखाते हुए सुरक्षित लैंडिंग की हर संभव कोशिश की, लेकिन जब यह साफ हो गया कि विमान क्रैश होने से बच नहीं सकता, तो उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पहले अपने साथी को सुरक्षित बाहर निकाला. इसके बाद वह विमान को आबादी वाले इलाके से दूर ले गए, जहां विमान क्रैश हो गया. इस हादसे में सिद्धार्थ शहीद हो गए, जबकि उनके साथी मनोज कुमार सिंह घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
10 दिन पहले हुई थी सगाई
सिद्धार्थ की 23 मार्च को सगाई हुई थी और 2 नवंबर को उनकी शादी तय थी. सिद्धार्थ अपने माता-पिता का इकलौते बेटा था. 31 मार्च को वह छुट्टी पूरी कर रेवाड़ी से जामनगर लौटे था. उनके पिता सुशील यादव ने बताया कि बेटे की शादी की तैयारियां चल रही थीं. रेवाड़ी के सेक्टर-18 में नया घर भी बनाया गया था, जहां शादी होने वाली थी. लेकिन 2 अप्रैल की रात आए इस दुखद समाचार ने पूरे परिवार को तोड़ दिया.
यह भी पढ़ें...
सेना में परिवार की चौथी पीढ़ी
सिद्धार्थ का परिवार पीढ़ियों से देश की सेवा करता आ रहा है. उनके परदादा बंगाल इंजीनियर्स में थे, जो ब्रिटिश शासन के अधीन कार्य करते थे. दादा पैरा मिलिट्री फोर्सेस में सेवारत रहे, जबकि पिता सुशील यादव भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और अब LIC में कार्यरत हैं. सिद्धार्थ इस परिवार की चौथी पीढ़ी थे, जो सेना में शामिल हुए. उन्होंने 2016 में NDA की परीक्षा पास की और तीन साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद फाइटर पायलट के रूप में वायुसेना जॉइन की. दो साल पहले उन्हें प्रमोशन मिला था, जिसके बाद वह फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने.
पैतृक गांव भालखी माजरा में दी अंतिम विदाई
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को आज राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. पैतृक गांव भालखी माजरा में उनके पिता सुशील यादव ने 28 साल के शहीद बेटे की चिता को मुखाग्नि दी. अंतिम विदाई के दौरान एयरफोर्स की टुकड़ी ने हथियार उल्टे और फायर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. आज सुबह ही उनकी पार्थिव देह रेवाड़ी में उनके नए घर लाई गई जिसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई.
मंगेतर भी श्मशान घाट में पहुंची
सिद्धार्थ की 10 दिन पहले ही सगाई हुई थी. अंतिम संस्कार के मौके पर उनकी मंगेतर भी श्मशान घाट में पहुंची. इस दौरान वह पार्थिव देह को देख रोती रहीं. इस दौरान वह बार-बार रोते हुए कहतीं रही कि प्लीज एक बार मुझे उसकी शक्ल दिखा दो. मंगेतर सानिया ने कहा कि मुझे सिद्धार्थ पर गर्व है. सिद्धार्थ की शादी 2 नवंबर को होनी थी. जिसके लिए घर में तैयारियां भी चल रहीं थीं.
रोते-रोते मां बोलीं- मुझे अपने बेटे पर गर्व
इस दौरान शहीद की मां सुशीला यादव और बहन खुशी भी रोती रहीं. इस मौके मां सुशीला ने कहा- मुझे अपने बेटे पर गर्व है. मैं देश की हर मां से कहना चाहती हूं कि वे अपने बेटों को देशसेवा के लिए सेना में भेजें. मुझे उसकी जननी होने पर गर्व है, वो देश के लिए डरा नहीं. मेरा पूरा परिवार सेना में था, ये जानते हुए भी मैंने उसे सेना में भेजा. मुझे उसकी शहादत पर गर्व है. रुंधे गले से कहा कि उसके नेचर का मैं नहीं बता सकती, वो कैसा था.
पिता बोले- वो बहादुर बच्चा था
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव बोले कि उनका सपना था कि बेटा चीफ ऑफ एयर स्टॉफ बनकर ही घर आए. हर एयरफोर्स अधिकारी के पिता का यही सपना होता है, उनका भी यही सपना था. सिद्धार्थ घर से गया तो शादी के बारे में ही बात हुई थी. 2 नवंबर की शादी की तारीख निश्चित हुई थी. उसी को लेकर घर में तैयारियां चल रही थी, वे इसके लिए बुकिंग कर दी थी. मेरी चार पीढ़ी सेना से रही हैं. मुझे यही बताया गया है कि वो अंतिम समय में इजेक्ट कर सकता था लेकिन पब्लिक को बचाने के लिए ऐसा नहीं किया. वो बहादुर बच्चा था, हमेशा खुद को आगे रखने की कोशिश करता था.
वायुसेना ने जांच शुरू की
भारतीय वायुसेना ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है ताकि तकनीकी खराबी के कारणों का पता लगाया जा सके. सिद्धार्थ की वीरता और बलिदान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हमारे जवान न केवल देश की रक्षा करते हैं, बल्कि अपने कर्तव्य के लिए अपनी जान भी न्योछावर करने को तैयार रहते हैं.
वीडियो देखें: