सिंधिया परिवार की 400 करोड़ की संपत्ति बंटवारे पर कोर्ट की मोहर, जानें किसको क्या मिलेगा?

हेमंत शर्मा

ग्वालियर हाई कोर्ट ने सिंधिया परिवार को 400 करोड़ की संपत्ति विवाद को 90 दिन में आपसी समझौते से सुलझाने का आदेश दिया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआएं सालों से इस विरासत को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

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सिंधिया राजपरिवार के बंटवारे पर कोर्ट की मोहर
सिंधिया राजपरिवार के बंटवारे पर कोर्ट की मोहर
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केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों अपनी पारिवारिक वजहों से सुर्खियों में हैं. दरअसल ग्वालियर के मशहूर सिंधिया राजघराने की लगभग 400 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर पिछले 15 सालों से चल रहा विवाद अब निपटारे की ओर बढ़ रहा है.

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआएं, वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे. इस संपत्ति के बंटवारे को लेकर आमने-सामने हैं. साल 2010 में इन तीनों बुआओं ने दावा किया था कि उनके पिता की संपत्ति में उनका भी बराबरी का हक है और इसके लिए उन्होंने ज्योतिरादित्य के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर किया था.

हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

अब इस विवाद पर ग्वालियर हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने साफ कहा है कि यह मामला आपसी सहमति से सुलझाया जाए. कोर्ट ने दोनों पक्षों को 90 दिन का वक्त दिया है कि वे मिलकर समझौते का आवेदन सबऑर्डिनेट कोर्ट में जमा करें.

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इस फैसले को सिंधिया परिवार के लिए बड़ा मोड़ माना जा रहा है क्योंकि अब यह विवाद कोर्ट के बाहर सुलझ सकता है.

400 करोड़ की संपत्ति में क्या है शामिल?

इस मामले में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार इस विवादित संपत्ति में कई महल, पुराने बंगले और करोड़ों की कीमती जमीनें शामिल हैं. इसमें सिंधिया परिवार के लगभग 13 ट्रस्टों के नाम पर भी संपत्ति दर्ज है.

प्रमुख ट्रस्टों में जय विलास ट्रस्ट, कृष्णाराम ट्रस्ट, बलदेव इन्वेस्टमेंट कंपनी सिंधिया पार्टीज एंड सर्विस शामिल है. इनके अलावा इस मामले में खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी मां प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया और बहन चित्रांगदा राजे को भी पक्षकार बनाया गया है.

कुल 13 ट्रस्ट

इस राजपरिवार के संपत्ति विवाद में कुल 28 पक्षकार हैं, जिनमें से 13 ट्रस्ट और सिंधिया परिवार के कई सदस्य शामिल हैं. कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी पक्षकारों को मिल-बैठकर ये फैसला करना है कि किसको कौन सा हिस्सा मिलेगा. यानी अब यह तय होगा कि कौन सा महल किसके पास रहेगा और किसे कौन सी जमीन या ट्रस्ट की जिम्मेदारी दी जाएगी.

क्या है आगे की राह?

अगर आने वाले 90 दिनों के भीतर सिंधिया परिवार आपसी सहमति से बंटवारे का आवेदन कोर्ट में फाइल हो जाता है तो यह मामला बिना लंबी कानूनी लड़ाई के सुलझ जाएगा. इससे जहां सिंधिया परिवार को राहत मिलेगी, वहीं ग्वालियर की जनता भी देखेगी कि उनके राजा-महाराजाओं का मामला शांति से सुलझा.

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