दिव्यांग युवक ने हौसलों से लिखी सफलता की इबारत, पैरों से लिखकर पास की पटवारी की परीक्षा

शकील खान

Dewas News: लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. इस बात को सच साबित कर दिखाया है देवास जिले के आमीन मंसूरी ने. जहां पूरे मध्य प्रदेश में सरकारी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यार्थियों में पटवारी बनने की होड़ मची थी, वहीं आमीन अंसारी ने […]

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Dewas News: लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. इस बात को सच साबित कर दिखाया है देवास जिले के आमीन मंसूरी ने. जहां पूरे मध्य प्रदेश में सरकारी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यार्थियों में पटवारी बनने की होड़ मची थी, वहीं आमीन अंसारी ने पैरों से परीक्षा देकर इस परीक्षा में सफलता पाई. इतना ही नहीं आमीन ने दिव्यांग श्रेणी की मेरिट लिस्ट में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया.

हाल ही में आए पटवारी परीक्षा परिणाम में कई अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की. इनमें एक ऐसा अभ्यर्थी भी है जिसने हाथों से नहीं, पैरों से परीक्षा दी और सफलता पाई. यह अभ्यर्थी है देवास जिले के पीपलरावां का निवासी आमीन, जो दोनों हाथों से दिव्यांग है. जानिए आमीन मंसूरी की कामयाबी की कहानी.

ऐसे पाई सफलता
देवास जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर सोनकच्छ तहसील के पीपलरावां निवासी एक गरीब परिवार में आमीन का जन्म हुआ. आमीन मंसूरी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं और वे दिव्यांग हैं. आमीन ने दिव्यांगपन को कमजोरी नहीं माना, हमेशा सपनों और हौंसलों को बड़ा ही रखा. उसने पढ़ाई को लेकर कभी हार नहीं मानी और अब पटवारी की परीक्षा को पास कर लाखों लोगों के लिए मिसाल बन गया है.
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पिता टेलर, बेटा बना पटवारी
30 वर्षीय आमीन के पिता इकबाल मंसूरी टेलरिंग का काम करते हैं. आर्थिक स्थिति भी कमजोर है. आमीन बचपन से ही पढ़ने में होशियार रहा. हाथ नहीं थे तो पैरों से लिखना सीखा और इसे अपनी ताकत बनाया. आमीन ने कम्प्यूटर भी पैरों से चलाना सीखा.आमीन ने रोज करीब 12 घंटे पढ़ाई की. वह सफलता का श्रेय पिता और परिवार को देता है. उसके चयन पर परिवार के साथ ही गांववालों ने भी खुशी जताई है.

मेरिट लिस्ट में पाया स्थान
आमीन बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार और मेहनती रहा. 2012 में कक्षा 11वीं में पढ़ाई के दौरान उसने सोलर कूकर का प्रोजेक्ट बनाया था, जो राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुआ. आमीन को इसके लिए पुरस्कृत किया गया. 12वीं तक की पढ़ाई शासकीय स्कूल से की और इंदौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद पटवारी की परीक्षा का फार्म भरा. उसने पैरों से परीक्षा दी और दिव्यांग श्रेणी की मेरिट सूची में जिले में पहला स्थान प्राप्त किया.

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