मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण विवाद कैसे शुरू हुआ? CM मोहन यादव ने बीच का रास्ता निकालने के लिए बुलाई सर्वदलीय मीटिंग 

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OBC reservation Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में 27% OBC आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. पिछले 6 वर्षों से लंबित इस मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल में सर्वदलीय बैठक बुलाई है.

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OBC reservation  Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में 27% OBC आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. पिछले 6 वर्षों से लंबित इस मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल में सर्वदलीय बैठक बुलाई है. सीएम हाउस में सुबह 11 बजे शुरू हुई इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए हैं. जो राज्य की राजनीति में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.

बैठक में कौन-कौन हुए शामिल?

मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में हुई इस बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार मौजूद रहे. इनके साथ ही समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव और अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए.

ओबीसी वर्ग से जुड़े प्रमुख चेहरों में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया, मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, मंत्री कृष्णा गौर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी बैठक में शामिल हुए. इन सभी नेताओं की मौजूदगी से यह साफ है कि सरकार इस मुद्दे पर एक व्यापक सहमति बनाने का प्रयास कर रही है.

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आरक्षण का विवाद क्यों और कैसे शुरू हुआ?

यह पूरा विवाद साल 2019 में शुरू हुआ, जब तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया था. इस फैसले के बाद कई संगठनों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी, क्योंकि उनका तर्क था कि इससे कुल आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो जाएगी. जो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है.

इसके बाद, साल 2020 में जबलपुर हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रियाओं में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने पर रोक लगा दी. तब से यह मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है, जिससे सरकारी भर्तियों और एकेडमिक एडमिशन में अनिश्चितता बनी हुई है.

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