सिंधिया समर्थक 7 मंत्री-विधायक हारे चुनाव? क्यों होने लगी इनके राजनीतिक भविष्य पर चर्चा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की है. बीजेपी ने बहुमत से कहीं अधिक 163 सीटों पर कब्जा जमा लिया है. जबकि कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमट कर रह गई है. बीजेपी की सुनामी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उम्मीदवारों का प्रदर्शन अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा है.
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MP Election result 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की है. बीजेपी ने बहुमत से कहीं अधिक 163 सीटों पर कब्जा जमा लिया है. जबकि कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमट कर रह गई है. बीजेपी की सुनामी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उम्मीदवारों का प्रदर्शन अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा है. उनके कई समर्थक मंत्री और विधायक चुनाव हार चुके हैं. अब इनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा इसको लेकर चर्चांए तेज हो गई हैं.
दरअसल साल 2020 में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर 22 विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे. इनमें से 6 सीटों पर इस बार सिंधिया गुट के विधायकों और नेताओं का टिकट काट दिया गया था. हालांकि, 2023 के चुनाव में राजपरिवार से जुड़े चार अन्य समर्थकों को मौका दिया गया था. कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में सिंधिया 20 समर्थकों ने चुनाव लड़ा और उनमें से 11 ही फतह हासिल कर पाए, बाकी 9 को पराजय का सामना करना पड़ा है.
सिंधिया समर्थक कौन-कौन हारा?
राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव (हारे):- सिंधिया के साथ ही बीजेपी में शामिल हुए राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को इस चुनाव में शिकस्त झेलनी पड़ी. कांग्रेस के भंवरसिंह शेखावत ने बीजेपी के प्रत्याशी राजवर्धन को 2976 वोटों से चुनाव हराया. चुनाव के पहले ही इनकी स्थिति खराब बताई जा रही थी.
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महेंद्र सिंह सिसौदिया (हारे):- गुना जिले की बमोरी सीट से सिंधिया के बेहद करीबी और पुराने साथी महेंद्र सिंह सिसौदिया अपनी सीट नहीं बचा पाए. बीजेपी सिसौदिया का टिकट काटने की तैयारी कर रखी थी, मगर सिंधिया के दबाव में दांव लगा दिया. कांग्रेस के ऋषि अग्रवाल ने सिसौदिया को 14 हजार 796 वोटों से शिकस्त देकर जीत हासिल की है.
सुरेश धाकड़ राठखेड़ा (हारे):- 2020 का उपचुनाव जीतने वाले सुरेश धाकड़ रांठखेड़ा को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के कैलाश कुशवाह ने बीजेपी प्रत्याशी सुरेश को 49 हजार 481 वोटों से हार का स्वाद चखाया. सिंधिया समर्थक धाकड़ को शिवपुरी जिले के पोहरी चुनाव क्षेत्र में प्रचार के दौरान तमाम जगह विरोध का सामना करना पड़ा था.
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अशोकनगर से जयपाल सिंह जज्जी (हारे):- कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामने वाले जजपाल सिंह जज्जी यह चुनाव नहीं जीत सके. अशोकनगर सीट से कांग्रेस के हरिबाबू राय ने बीजेपी के जज्जी को 8373 वोटों से हरा दिया. यहां जज्जी का इमोशनल कार्ड भी काम नहीं आया जबकि खुद सिंधिया यहां पर जज्जी के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे थे.
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मुरैना के अंबाह से कमलेश जाटव (हारे) :- मुरैना की अंबाह विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कमलेश जाटव भी चुनाव हार गए. कांग्रेस के देवेंद्र रामनारायण सखवार ने सिंधिया समर्थक जाटव को 22 हजार 627 वोटों से पराजित किया.
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डबरा (ग्वालियर) से इमरती देवी (हारीं):- सिंधिया की कट्टर समर्थक बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी को हराकर कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश राजे ने यह कांटे का मुकाबला 2267 वोटों से जीत लिया. इमरती देवी की यह दूसरी हार है. इससे पहले कांग्रेस के ही राजे ने 2020 के उपचुनाव में इमरती ने हराया था.
मुरैना से रघुराज सिंह कंषाना (हारे):- मुरैना सीट से रघुराज सिंह कंषाना चुनाव हार गए. कांग्रेस के दिनेश गुर्जर ने 19 हजार 871 वोटों से जीत हासिल कर इस विधानसभा पर कब्जा जमा लिया. तीसरे नंबर पर यहां बीजेपी के बागी राकेश रुस्तम सिंह रहे.
इन नेताओं के हार के बाद अब इनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चांए तेज हो गई हैं, ऐसा माना जा रहा है कि आने वाली सरकार में इन में से कुछ लोगों को पद दिया जा सकता है तो कई लोगों को निराशा भी हाथ लग सकती है.
सिंधिया समर्थक 7 नेताओं को नहीं मिला टिकट
बता दें कि नवंबर 2020 में उपचुनाव जीतने के बावजूद शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक शहरी विकास और आवास मंत्री ओपीएस भदौरिया (मेहगांव) का टिकट काट दिया गया. वहीं, उपचुनाव हारने वाले पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर पूर्व), जसवंत जाटव (करैरा), गिरिराज (दिमनी), रणवीर जाटव (गोहद), रक्षा सरोनिया (भांडेर) को भी बीजेपी ने टिकट नहीं दिया.
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