मध्य प्रदेश की सियासत में बवाल! दिग्विजय के कमलनाथ सरकार गिरने के दावे पर आ गया ज्योतिरादित्य सिंधिया का पहला रिएक्शन!
Madhya Pradesh: प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ सरकार गिरने को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने MP Tak के पॉडकास्ट में कहा था कि एक इंडस्ट्रियलिस्ट की मदद से तत्कालीन कमलनाथ सरकार बचाने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो पाए. उनके इस खुलासे के बाद से एमपी की सियासत गरमा गई है. जब इस मुद्दे को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया से सवाल किया गया लेकिन उन्होंने इसपर खुलकर कुछ नहीं बोला.
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मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है. दरअसल, एमपी तक के पॉडकास्ट में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ सरकार के गिरने को लेकर एक बड़ा दावा किया है था. दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने एक इंडस्ट्रियलिस्ट की मदद से तत्कालीन कमलनाथ सरकार बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए. अब इस पॉडकास्ट के बाद से प्रदेश में सियासी गरमा गई है. एमपी तक ने दिग्विजय सिंह के सुलह वाले दावे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया से सवाल किया तो उन्होंने इसे अतीत बताते हुए कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है.
दिग्विजय सिंह ने ऐसा क्या कहा था?
दरअसल, एमपी तक पॉडकास्ट में Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के साथ बातचीत दिग्विजय सिंह ने में बताया कि एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट से संपर्क किया था, जिनके कमलनाथ और सिंधिया दोनों के साथ अच्छे संबंध थे. दिग्विजय सिंह ने कहा, "मैं उनके पास गया और कहा कि देखिए इन दोनों की लड़ाई में हमारी सरकार गिर जाएगी. आप जरा संभालिए, क्योंकि आपके दोनों से अच्छे संबंध हैं. दिग्विजय ने आगे कहा कि उनके घर डिनर रखा गया था और मैं भी उसमें शामिल हुआ."
दिग्विजय ने आगे बताया कि "मैंने बहुत कोशिश की कि ये मामला निपट जाए. वहां पर सभी इश्यूज को लेकर एक लिस्ट तैयार हुई, लेकिन उसका पालन नहीं हो पाया. ये बात सच है कि तमाम प्रयासों के बावजूद कमलनाथ सरकार नहीं बच पाई." दिग्विजय सिंह कि माने तो उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने जिन पर पूरा भरोसा था, उन लोगों ने धोखा दे दिया. दिग्विजय की माने तो ये पूरा मामला आइडियोलॉजिकल क्लैश नहीं था. बल्कि ये क्लैश ऑफ पर्सनालिटी हो गया था.
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क्या था पूरा मामला?
दरअसल, मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल के लंबे इंतजार के बाद बहुमत हासिल किया था और सत्ता में वापसी की थी. पार्टी ने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि, शुरुआत से ही कमलनाथ और सिंधिया के बीच मनमुटाव की खबरें आती रहीं. इसी बीच, 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए. सिंधिया के साथ कई विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी, जिससे कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
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