सिंधिया के महल में 140 साल से लगे शाही झूमर की क्या है कहानी, जिसकी खूबसूरती देख दंग रह गए उपराष्ट्रपति
Jai Vilas Palace: जय विलास पैलेस के भव्य दरबार हॉल में लगे एशिया के सबसे बड़े झूमर ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव तक सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. सभी मेहमान झूमर को देखते ही रह गए. इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने झूमर की अनोखी कहानी सुनाई, जिसने मेहमानों को हैरान कर दिया.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

ज्योतिरादित्य सिंधिया के जय विलास पैलेस में उपराष्ट्रपति बने शाही मेहमान

पैलेस में लगे शाही झूमर की खूबसूरती निहारते रह गए वाइस प्रेसीडेंट और सीएम

जयविलास में लगे झूमर की मजबूती चेक करने के लिए हाथियों को लाया गया था
Gwalior Scindia Jai Vilas Palace: ग्वालियर के लिए बीता रविवार खास रहा, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव शाही मेहमान बने. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जय विलास पैलेस में सभी मेहमानों का स्वागत किया और उनके लिए एक भव्य 'रॉयल लंच' का आयोजन किया. लेकिन इस शाही लंच के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना दरबार हॉल का विशाल झूमर. जिसकी खूबसूरती देख उपराष्ट्रपति हैरान रह गए.
जय विलास पैलेस के भव्य दरबार हॉल में लगे एशिया के सबसे बड़े झूमर ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव तक सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. सभी मेहमान झूमर को देखते ही रह गए. इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने झूमर की अनोखी कहानी सुनाई, जिसने मेहमानों को हैरान कर दिया. सिंधिया ने बताया कि ये झूमर करीब 140 साल पुराने हैं और इनका वजन साढ़े तीन टन है. दरबार हॉल की छत पर ऐसे दो विशाल झूमर लटके हैं, जिनका कुल वजन सात टन है.

8 हाथियों से हुई छत की मजबूती की जांच
इस झूमर को लगाने से पहले छत की मजबूती की जांच करना जरूरी था. इसके लिए एक अनोखी प्रक्रिया अपनाई गई थी. छत की ताकत को परखने के लिए उस पर 8 हाथियों को चढ़ाया गया. यह प्रक्रिया लगभग 10 दिनों तक चली. जब यह सुनिश्चित हो गया कि छत झूमरों का भार सह सकती है, तभी इन झूमरों को दरबार हॉल की छत पर टांगा गया. इस किस्से को सुनकर उपराष्ट्रपति समेत सभी मेहमानों के चेहरे पर हैरानी और प्रशंसा दोनों झलक रही थीं.
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4000 करोड़ रुपए से अधिक का महल
जय विलास पैलेस ग्वालियर की शान और सिंधिया परिवार का गौरव है. यह महल केवल बाहर से आम पर्यटकों के लिए खुला है, लेकिन अंदर जाने की इजाजत सिर्फ सिंधिया परिवार के खास मेहमानों को मिलती है. यह वही महल है, जिसकी कीमत कुछ साल पहले 4,000 करोड़ रुपए आंकी गई थी. हालांकि अब इसकी कीमत कई गुना बढ़ चुकी है. 1874 में इस महल का निर्माण हुआ था और उस समय इसके निर्माण पर महज 1 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.

जय विलास पैलेस की शाही मेहमाननवाजी की अपनी एक अलग पहचान है. रॉयल लंच के दौरान मेहमानों को चांदी की ट्रेन के जरिए खाना परोसा गया. यह नजारा किसी भी मेहमान के लिए यादगार बन जाता है. डाइनिंग टेबल पर बैठकर शाही मेहमान सिंधिया परिवार की शानो-शौकत को महसूस करते हैं.
शाही झूमर की कहानी ने लूटी महफिल
जय विलास पैलेस का यह विशाल झूमर सिर्फ एक सजावट का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह इतिहास और शाही परंपरा की मिसाल है. 140 साल पुराने इन झूमरों की कहानी और उन्हें छत पर टांगने के लिए आठ हाथियों का इस्तेमाल सुनकर हर कोई हैरान रह गया. यह झूमर न सिर्फ महल की शान है, बल्कि ग्वालियर आने वाले हर मेहमान के लिए आकर्षण का केंद्र भी है.
ग्वालियर का जय विलास पैलेस भारतीय इतिहास और वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण है. इसका दरबार हॉल, विशाल झूमर और चांदी की ट्रेन जैसे अनोखे नजारे इसे और भी खास बनाते हैं.

उपराष्ट्रपति से लेकर राष्ट्रपति तक बन चुके हैं मेहमान
जय विलास पैलेस में समय-समय पर कई बड़ी हस्तियां मेहमान बन चुकी हैं. खासकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद महल में कई शाही डिनर और लंच आयोजित किए गए हैं. राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति और गृह मंत्री अमित शाह तक, कई बड़े नेता सिंधिया परिवार के मेहमान बन चुके हैं. रविवार को आयोजित इस शाही लंच में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति ने इस आयोजन को और खास बना दिया.