मनीष सिसोदिया के बिना फंस जाएगी पटपड़गंज सीट! AAP के अवध ओझा क्या कर पाएंगे कमाल?

शुभम गुप्ता

आम आदमी पार्टी के लिए पटपड़गंज सीट पर अवध ओझा को जीत दिलाना आसान नहीं होगा. सिसोदिया के जेल जाने और स्थानीय विकास कार्यों में रुकावट के कारण पार्टी के लिए नई चुनौतियां उभर सकती हैं.

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Delhi Elections 2025 Patparganj Seat: दिल्ली विधानसभा चुनावों में पटपड़गंज सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. चर्चा का मुख्य कारण है आम आदमी पार्टी (AAP) का अपने दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया की जगह नया चेहरा, अवध ओझा, को मैदान में उतारना. पटपड़गंज सीट से सिसोदिया ने तीन बार जीत दर्ज की है. आम आदमी पार्टी ने सिसोदिया को जंगपुरा सीट से उम्मीदवार बनाया है. अब उनके बिना पटपड़गंज सीट AAP के लिए कितनी चुनौतीपूर्ण होगी, यह देखना दिलचस्प होगा.  

पटपड़गंज सीट से कौन-कौन हैं आमने-सामने?  

पार्टी उम्मीदवार
AAP अवध ओझा
BJP रवि नेगी (संभावित)
Congress अनिल चौधरी

बीते तीन चुनावों में पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी की जीत का रिकॉर्ड शानदार रहा है.

- 2013: मनीष सिसोदिया ने 11,746 वोटों से जीत दर्ज की.  
- 2015: सिसोदिया ने 28,761 वोटों से जीतकर अपना दबदबा कायम रखा.  
- 2020: हालांकि, मार्जिन घटकर सिर्फ 3,207 वोटों पर आ गया.  

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पटपड़गंज सीट का चुनावी समीकरण  

पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में मिक्स्ड आबादी है, जहां आईपी एक्सटेंशन और मयूर विहार जैसे हाउसिंग सोसाइटीज के साथ-साथ अर्बन विलेज और झुग्गी बस्तियां भी शामिल हैं. जातिगत समीकरण में यहां 25% पूर्वांचली, 20% उत्तराखंडी, 12% ब्राह्मण, 8-10% गुर्जर और दलित, तथा 5-6% मुस्लिम वोटर हैं.  

अवध ओझा के पक्ष में जो फैक्टर काम कर सकते हैं:  
1. नया चेहरा होने से AAP विरोधी लहर कमजोर हो सकती है.  
2. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े होने का फायदा.  
3. पूर्वांचली वोटर्स में पकड़ मजबूत.  

हालांकि, उनके खिलाफ फैक्टर भी कम नहीं हैं:  
1. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर 29,000 वोटों से बढ़त बनाई थी.  
2. उत्तराखंडी वोटर्स की संख्या अधिक है, जो बीजेपी के रवि नेगी को समर्थन दे सकते हैं.  
3. निगम चुनावों में इस क्षेत्र की चार में से तीन सीटें बीजेपी ने जीती थीं.  

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क्या कहता है पटपड़गंज सीट का इतिहास?   

आम आदमी पार्टी के लिए पटपड़गंज सीट पर अवध ओझा को जीत दिलाना आसान नहीं होगा. सिसोदिया के जेल जाने और स्थानीय विकास कार्यों में रुकावट के कारण पार्टी के लिए नई चुनौतियां उभर सकती हैं. वहीं, बीजेपी इस बार अपनी बढ़त को बरकरार रखने की कोशिश करेगी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है.  

पटपड़गंज सीट पर इस बार का चुनाव परिणाम कई समीकरण बदल सकता है. यह लड़ाई सिर्फ जीत-हार की नहीं, बल्कि राजनीतिक पकड़ और भविष्य के संकेत तय करने वाली होगी.

रिपोर्ट- दिनेश यादव

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