कौन हैं बोस्टन ब्राह्मण, क्या इनका पंडितों से है कोई रिश्ता? जानें ट्रंप के सलाहकार का बयान क्यों बना विवाद की वजह
ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो के 'ब्राह्मण' वाले बयान ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया. कई नेताओं ने ब्राह्मण शब्द पर अपनी अलग-अलग राय रखी है.
ADVERTISEMENT

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड और मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने देशभर में बहस छेड़ दी है. दरअसल टैरिफ विवाद के बाद नवारो ने एक इंटरव्यू में कहा कि "भारत में ब्राह्मण, देश की जनता की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं."
उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया और कई नेताओं ने अलग-अलग राय रखी. लेकिन इस पूरे बयानबाजी में एक सवाल बार-बार उठ रहा है, और वह ये है कि आखिर ये 'ब्राह्मण' शब्द नवारो ने किस संदर्भ में कहा?
सबसे पहले जानिए नवारों ने क्या कहा
फॉक्स न्यूज से इंटरनेशनल ट्रेड के संदर्भ में बात करते हुए ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा,
यह भी पढ़ें...
'भारत एक ऐसा देश है जिसे टैरिफ का महाराजा कहा जा सकता है. इस देश की टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा है. वह हमें बहुत सारा सामान निर्यात करता है. तो इससे किसे नुकसान होता है? अमेरिका के कामगार, टैक्सपेयर और यूक्रेन के लोगों को.'
नवारो आगे कहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी एक महान नेता हैं. मुझे इस बात को नहीं समझ पा रहा हूं कि जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो वे पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों घुल-मिल रहे हैं?
उन्होंने आगे कहा कि मैं भारत के लोगों से सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि वह समझें की यहां क्या हो रहा है. आपने ब्राह्मणों को भारत के लोगों की कीमत पर मुनाफा कमाते हुए देखा है और हम चाहते हैं कि यह बंद हो.
अमेरिका के 'ब्राह्मण' यानी बोस्टन ब्राह्मण
'ब्राह्मण' भारत में इस शब्द का मतलब एक जाति से जुड़ा होता है. लेकिन इसी शब्द का मतलब अमेरिका में बिल्कुल अलग है. अमेरिका में‘बोस्टन ब्राह्मण’ शब्द का इस्तेमाल खासकर बोस्टन शहर के अमीर, पढ़े-लिखे और रसूखदार परिवारों के लिए किया जाता था.
ये लोग ज्यादातर 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका के समाज और राजनीति पर भारी असर रखते थे. ये आमतौर पर अंग्रेज मूल के लोग थे जो अमेरिका में आकर बस गए थे और धीरे-धीरे वहां की इकोनॉमी और कल्चर में मजबूत पकड़ बना ली थी.
कहां से आया ‘बोस्टन ब्राह्मण’ शब्द?
इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार साल 1861 में लेखक ओलिवर वेंडेल होम्स ने किया था. उन्होंने अपनी एक किताब में बोस्टन के अमीर और कुलीन वर्ग को ‘न्यू इंग्लैंड के ब्राह्मण’ कहा था. लेखक अलिवरा के अनुसार ये लोग समाज में सबसे ऊंचे पायदान पर थे, बिलकुल वैसे ही जैसे भारत में ब्राह्मणों को पारंपरिक रूप से ऊंचा दर्जा दिया गया है.
इन ‘बोस्टन ब्राह्मणों’ की खासियत ये था कि ये आपस में ही शादी करते थे, अच्छे स्कूल-कॉलेज खुलवाते थे और कला-संस्कृति को बढ़ावा देते थे. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और बोस्टन लैटिन स्कूल संस्थानों की नींव भी इसी वर्ग के लोगों ने रखी थी.
नवारो के बयान का मतलब क्या था
अब अगर डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड और मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार पीटर नवारो के बयान की बात की जाए तो इसपर बहस इसलिए तेज हो गई क्योंकि उन्होंने 'ब्राह्मण' शब्द भारत के संदर्भ में कहा है, जिससे कई लोगों को लगा कि वो भारत की जाति व्यवस्था पर निशाना साध रहे हैं. हालांकि कुछ नेताओं, जैसे टीएमसी सांसद सागरिका घोष, का कहना है कि नवारो दरअसल ‘बोस्टन ब्राह्मण’ जैसे अमीरों और कुलीनों की बात कर रहे थे. यानि भारत के उन ताकतवर लोगों की, जो अपने फायदे के लिए बाकी जनता को नुकसान पहुंचाते हैं.
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का मानना है कि नवारो ने ये शब्द जानबूझकर भारत की जाति व्यवस्था को लेकर कहा और इसका इरादा सही नहीं था.
नवारो के बयान पर भारत में बहसबाजी
इस बयान ने जहां एक तरफ ट्रंप के सलाहकार ने सीधे भारत के लोगों को संदेश पहुंचाने की कोशिश की है. इस बयान के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर भारतीय लोगों के प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई कि वह भारत में जातिवाद को भड़काना चाहते हैं.
हमारे देश में ब्राह्मण जाति-व्यवस्था में सबसे पहले पायदान पर माना जाता रहा है, लेकिन ऐसा नहीं माना गया कि ब्राह्मण ही उद्योगपति या अरबपति और खरबपति होंगे. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने एक्स पर यह समझाने की कोशिश की कि ट्रंप के करीबी ने ब्राह्मणों पर जो ज्ञान दिया गया है, उसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है.
सांसद प्रियंका चतुर्वेदी को नवारों के इरादे पर संदेह
हालांकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक में टीएमसी सांसद की सहयोगी और शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें नवारों के इरादे पर संदेह है. प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर भारत के संदर्भ में ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल किया है.
उन्होंने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,
भारत के संदर्भ में अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से ब्राह्मण (मुझे पता है कि अमेरिकी संदर्भ में बोस्टन ब्राह्मण कुलीन के लिए उपयोग होता है) शब्द का इस्तेमाल अचानक नहीं हुआ है, यह जानबूझकर किया गया. इसलिए इसे समझाने की कोशिश न करें. '
'बोस्टन ब्राह्मण' असल में अमेरिका के पुराने समय के अमीर और पढ़े-लिखे लोगों को कहा जाता था, न कि भारत की जाति व्यवस्था से जुड़ा कोई शब्द. हालांकि पीटर नवारो का बयान जिस संदर्भ में आया, उसने भारत में जातिगत बहस को फिर से हवा दे दी है. चाहे उनका इरादा जो भी रहा हो, लेकिन इतना तय है कि अब इस पर राजनीति गर्म है और सोशल मीडिया पर चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही.
ये भी पढ़ें: BSNL का धमाकेदार प्लान, सिर्फ 151 रुपये में 25 OTT और 450+ लाइव चैनल्स का मजा