सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने के मामले में CJI गवई की दरियादिली पर सवाल! इधर कइयों के खिलाफ FIR
सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई पर वकील राकेश किशोर ने जूता फेंकाने की कोशिश की. मामला सनातन धर्म से दलित अपमान तक पहुंचा. देशभर में पक्ष-विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया.

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई पर भरी अदालत में जूता चल गया. आरोपी वकील राकेश किशोर ने सनातन धर्म के अपमान के नाम पर चीफ जस्टिस पर जूता चलाया, लेकिन ये मामला पूरी तरह एक दलित चीफ जस्टिस के अपमान की तरफ मुड़ गया. संविधान से जु़ड़ गया.
देश में पहली बार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. सोशल मीडिया पर पक्ष-विपक्ष में जबरदस्त जंग जारी है, लेकिन चीफ जस्टिस गवई ऐसे बिहेव कर रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं. हालांकि उनकी मां कमलताई और बहन कीर्ति ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दी.
गवई ने दिखाई दरियादिली
सोमवार को जिस दिन जिस समय जूता फेंका गया उसी समय चीफ जस्टिस गवई ने बेहद दरियादिली दिखाई. कोर्ट में मौजूद दिल्ली पुलिस ने आरोपी वकील को हिरासत में ले लिया, लेकिन चीफ जस्टिस ने न केवल राकेश किशोर को रिहा कराया बल्कि वो जूता भी वापस दिलाया जिसे फेंका गया था.
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ओवैसी ने मामले को दिया हिंदू-मुसलमान वाला एंगल
आज तक सुप्रीम कोर्ट या उनकी ओर से राकेश किशोर के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं कराई गई. सोशल मीडिया पर ऐसे भी लोग हैं जो कह रहे हैं कि चीफ जस्टिस गवाई ने जूता उछालने वाले राकेश किशोर को माफ कर जातीय हिंसा करने वालों का हौसला बढ़ा दिया है. असदुद्दीन ओवैसी का सवाल है कि क्यों कोई एक्शन नहीं लिया गया. क्या इसीलिए कि आरोपी मुसलमान नहीं हैं.
जूता फेंकने वाले राकेश किशोर को पछतावा नहीं
जूता कांड के बाद सब बहुत कुछ बोल रहे थे. बस नहीं बोल रहे थे चीफ जस्टिस गवई. गुरुवार को कोर्ट में एक केस की सुनवाई करते हुए उन्होंने चुप्पी तोड़ी. कहा कि जो हुआ वो forgotten chapter है. यानी जो हुआ वो भुला दिया गया मामला है. उन्होंने वकील राकेश किशोर के खिलाफ किसी कार्रवाई का समर्थन नहीं किया.
तुषार मेहता माफी के पक्ष में नहीं
जिस समय उन्होंने ये बात कही, वहां जस्टिस उज्ज्वल भुइयां भी मौजूद थे. वो कहीं ज्यादा गुस्से में थे. उन्होंने कहा कि ये जोक नहीं है. सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसे कतई माफ नहीं किया जाना चाहिए. फिर भी गवई इस राय पर कायम रहे कि आरोपी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाए. राकेश किशोर अड़े हैं कि जो किया सही किया. जो हुआ वो परमात्मा ने कराया.
सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर कई राज्यों में एक्शन
जो कुछ हुआ वो सुप्रीम कोर्ट में हुआ, चीफ जस्टिस के साथ हुआ. वकील सुभाष चंद्रन केआर ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से मांग की है कि वो मुकदमा चलाने की इजाजत दें. सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं किया है. फिर भी केस, एफआईआर हो रही है. कर्नाटक में बैंगलोर पुलिस ने जीरो एफआईआर नियम के तहत वकील राकेश किशोर के खिलाफ केस दर्ज किया है. सोशल मीडिया पर किए जाने अनाप-शनाप पोस्ट को लेकर पंजाब, महाराष्ट्र में भी मामले दर्ज किए गए हैं.
राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द
वकीलों की संस्था सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल, बार एसोसिएशन ने राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इतना बड़ा कांड करने के बाद भी राकेश किशोर सेफ हैं और अपने घर पर बैठकर लगातार मीडिया इंटरव्यू देकर जूता चलाने को जस्टिफाई कर रहे हैं. कोई अफसोस नहीं जताया. जब मामला दलित चीफ जस्टिस के अपमान से जुड़ा तो राकेश किशोर ने खुद को भी दलित बताया, लेकिन इससे जुड़े कोई दस्तावेज दिखाने से साफ मना कर दिया. राकेश किशोर तो इस नैरेटिव को गलत साबित करने में जुटे हैं कि गवई दलित हैं ही नहीं. वो बौद्ध धर्म अपना चुके हैं.
चूंकि आरोपी वकील राकेश किशोर ने सनातन धर्म का नाम लेकर जूता फेंकने को सही ठहराया इसलिए दलित गवई के बचाव में निशाने पर आ गई है बीजेपी. कहा जा रहा है कि सत्ता में बैठे लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहा कि एक दलित चीफ जस्टिस कैसे बन गया. अरविंद केजरीवाल ने कहा धमकियां दलितों और पूरी न्यायपालिका को दबाने और डराने की साजिश है. खरगे बोले कि गवई पर हमला न्यायपालिका पर हमला है.
ये मामला खजुराहो से जुड़ा हुआ
ये सारा मामला जुड़ा मध्य प्रदेश के खजुराहो से जुड़े केस की सुनवाई को लेकर. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी थी कि खजुराहो में भगवान शिवजी की मूर्ति खंडित हो गई है. उसकी मरम्मत और रखरखाव की व्यवस्था के लिए चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच में याचिका लगी थी. चीफ जस्टिस की बेंच ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं की.
याचिका खारिज करते हुए उन्होंने याचिकाकर्ता से कड़ी बातें कह दीं. कहा कि याचिका प्रचार के लिए डाली गई है. अब तो आप स्वयं भगवान से ही प्रार्थना कीजिए. आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो अब उन्हीं से प्रार्थना कीजिए. कुल मिलाकर चीफ जस्टिस गवई ने याचिका नहीं सुनी बल्कि चार बातें सुनाकर याचिकाकर्ता को खाली हाथ भेज दिया.
तब से विवाद शुरू हुआ. हालांकि मामले पर चीफ जस्टिस ने बाद में जरूर कहा कि वो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उनकी टिप्पणी का उद्देश्य किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था. बावजूद इसके मामला जूता कांड तक पहुंच गया. राकेश किशोर और बहुत सारे लोगों ने गवई की बात को हिंदू विरोधी करार दिया.
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