देश के शिक्षकों पर बड़ी आफत...! सुप्रीम कोर्ट ने कहा- TET पास करें या रिजाइन करें या रिटायर हो जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि देशभर के सरकारी स्कूलों में क्लास 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी टीचर्स को अब टीईटी (Teacher Eligibility Test) पास करना होगा. जो टीचर्स टेस्ट पास नहीं करेंगे, उन्हें रिजाइन करना होगा या रिटायर होना पड़ेगा.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

देश के सभी स्कूलों पर राइट टू एजुकेशन एक्ट लागू.

माइनॉरिटी स्कूल RTE एक्ट से बाहर.

सुप्रीम कोर्ट में माइनॉरिटी स्कूल का मामला लंबित.
5 सितंबर बस आने ही वाला है. टीचर्स के सम्मान में हर साल शिक्षक दिवस मनाया जाता है . इस जश्न से पहले देश के सरकारी टीचर्स पर गिरी है बड़ी आफत. देश के सरकारी स्कूलों में क्लास 1 से क्लास 8 के बच्चों को जो टीचर्स सालों से पढ़ा रहे हैं उन्हें अब नए सिरे से साबित करना होगा कि वो पढ़ाने के लायक हैं भी या नहीं.
पहले सरकार ने नियम बनाया था जिसे टीचर्स ने कोर्ट में चुनौती दी. अब सुप्रीम कोर्ट ने ही ऑर्डर दे दिया कि टीचर्स या तो टेस्ट पास करें या रिजाइन करें या रिटायर हो जाएं. बिना टेस्ट पास किए सरकारी टीचर्स की नौकरी नहीं चलने वाली. नौकरी पानी है या बचानी है तो पास करना ही होगा टेस्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने आसाधारण शक्तियों का किया इस्तेमाल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधा मतलब है क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के लिए जरूरी है क्वालिटी ऑफ टीचर्स. सुप्रीम कोर्ट ने इतने बड़े आदेश के लिए एक बार फिर अपनी आसाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया जो संविधान की आर्टिकल 142 से मिली है. पूर्ण न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट 142 की शक्ति का इस्तेमाल करता है.
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इससे पहले राज्यपाल वर्सेज सरकार विवाद में भी सुप्रीम कोर्ट 142 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश दिया था कि राज्यपाल या राष्ट्रपति को सरकार के बिल पर 3 महीने में फैसला करना होगा. हालांकि उस जजमेंट को लेकर इतना विवाद हुआ कि सुप्रीम कोर्ट को नई बेंच बनाकर प्रेसिडेंशियल रेफरेंस में पूछे गए सवालों के जवाब देने के लिए सुनवाई करनी पड़ रही है.
51 लाख शिक्षकों के लिए आदेश?
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों में क्लास 1 से क्लास 8 के टीचर्स की संख्या 51 लाख है. सबसे ज्यादा यूपी में 16 लाख 15 हजार, एमपी में 7 लाख 7, राजस्थान में 7 लाख 92 हजार टीचर्स हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 100 पेज के जजमेंट में माना कि सरकारी टीचर्स के लिए ये आदेश थोड़ा कठोर होगा कि जो टीईटी पास नहीं कर पाएंगे उन्हें हटाया जाएगा. कोर्ट ने ये भी माना कि ऐसा नहीं है कि जिन टीचर्स ने बिना टीईटी पास किए बच्चों को पढ़ाया वो आगे नहीं बढ़ पाए.
2010 में बना TET पास करने का नियम
2009 में जब राइट टू एजुकेशन बना था तब शिक्षा को अधिकार माना गया. उस कानून ये भी तय हुआ था कि पढ़ाने वाले टीचर्स की मिनिमम कितनी योग्यता होगी. 2010 में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने नियम बनाया कि कक्षा 1 से 8 तक टीचर बनने के लिए TET पास करना जरूरी होगा.
TET यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट नेशनल लेवल का एक एलिजिबिलिटी एक्जाम है जिससे ये तय होता है कि टीचर, सचमुच टीचर बनने के काबिल है या नहीं. दो अलग वक्त में NCTE ने सर्विंग टीचर्स के लिए 5 और 4 साल का एक्सटेंशन दिया. इसी के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में केस लगा. जून 2025 के ऑर्डर में मद्रास हाईकोर्ट ने रूलिंग दी कि जिन टीचर्स की नियुक्ति 29 जुलाई 2011 से पहले हुई उनके लिए TET पास करने की जरूरी नहीं. प्रमोशन चाहिए तो पास करना होगा. टीचर्स फिर भी नहीं माने.
सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो लगा झटका
सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो बहुत बड़ा झटका लग गया. तमिलनाडु और महाराष्ट्र के टीचर्स ने TET मस्ट किए जाने के खिलाफ 87 पक्षों ने अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने रूलिंग दी कि सर्विस में बने रहने और प्रमोशन दोनों के लिए टीचर्स को TET पास करना ही होगा.
कोर्ट ने दिया 3 ऑप्शन
पहला टेस्ट पास करें...ऐसा नहीं होने पर रिजाइन करें या रिटायर हो जाएं. जो टेस्ट पास नहीं कर पाएंगे, वो या तो नौकरी से रिजाइन कर सकते हैं या कंपलसरी रिटायरमेंट से टर्मिनल बेनिफिट्स हासिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ये भी क्लियर है कि सरकारी स्कूल में टीचर बनने के लिए भी टीईटी पास करना कंपलसरी हो गया है. इसके बिना न तो टीचर की नौकरी मिलेगी, न नौकरी रहेगी, न प्रमोशन मिलेगा. नियम तो 2010 से बना हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से नियम लागू कर दिया.
दो कैटेगरी में रियायत भी मिली
सुप्रीम कोर्ट ने दो कैटेगरी के टीचर्स को रियायत दी है. एक जिनका रिटायरमेंट 5 साल में होना है उनके लिए टेस्ट पास करना जरूरी नहीं. इस बीच अगर प्रमोशन का दावा बनता है तो फिर TET पास करना ही होगा. माइनॉरिटी स्कूलों के टीचर्स पर आदेश लागू नहीं होगा. उनके बारे में फैसला करने के लिए मामला बड़ी बेंच को जाएगा.
ऐसा इसलिए कि अभी ये क्लियर नहीं है कि आरटीई एक्ट माइनॉरिटी स्कूलों पर लागू होता है या नहीं. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. जब तक फैसला नहीं आता तब तक माइनॉरिटी स्कूलों के टीचर्स के लिए टीईटी पास करना जरूरी नहीं है. बेंच चीफ जस्टिस गवई से सिफारिश की है कि वो सात जजों की संवैधानिक बेंच बनाकर इसकी सुनवाई करेंगे. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मसीह ने माना कि आरटीई एक्ट से माइनॉरिटी स्कूलों को बाहर रखने का आदेश देने वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच से कुछ भूल हुई होगी.
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