'अब डॉग्स भी भेज रहे हैं दुआएं', अवारा कु्त्तों पर नया आदेश देने वाले जज विक्रमनाथ को आ रहे हैं मजेदार मैसेज

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रमनाथ को दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों पर दिए गए संवेदनशील आदेश के बाद लोगों और डॉग लवर्स के साथ-साथ खुद कुत्तों की तरफ से भी अनोखे और शुभकामनाओं से भरे मैसेज मिल रहे हैं.

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11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में डाला जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए.

इस आदेश का देशभर में विरोध किया गया. लोगों ने इस फैसले को "अमानवीय" और "अव्यवहारिक" बताया. जगह-जगह प्रदर्शन हुए और सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की मांग की गई.

इस विरोध प्रदर्शन के महज एक दिन बाद, 12 अगस्त को, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इस केस की सुनवाई के लिए तीन जजों की नई बेंच बनाई जिसकी अध्यक्षता की जस्टिस विक्रमनाथ ने. 22 अगस्त को आया नया आदेश, जिसमें पहले वाले आदेश को पलट दिया गया. 

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नए आदेश के तहत नए कहा गया कि सभी आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद वहीं छोड़ा जाए जहां से उन्हें पकड़ा गया था. इस आदेश में ये भी कहा गया कि केवल हिंसक और रेबीज से ग्रसित कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए. 

इस आदेश के बाद इस फैसले को देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रमनाथ को कई मैसेज आ रहे है. इस बात का खुलासा उन्होंने अपने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया. 

क्या आ रहा मैसेज 

दरअसल 30 अगस्त को केरल के तिरुवनंतपुरम में "ह्यूमन-वाईल्डलाइफ कॉन्फ्लिक्ट" पर एक कॉन्फ्रेंस की थी. इस दौरान जस्टिस विक्रमनाथ ने अपने अंदाज में कहा:

“अब तक मुझे सिर्फ लीगल कम्युनिटी जानती थी, लेकिन इन स्ट्रीट डॉग्स ने मुझे पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है। मैं उनका शुक्रगुजार हूं. अब मुझे ऐसे मैसेज भी आ रहे हैं कि सिर्फ डॉग लवर्स ही नहीं, खुद डॉग्स भी मुझे ब्लेसिंग्स भेज रहे हैं.”

इस बयान ने सोशल मीडिया पर मचाई हलचला 

जस्टिस के बयान ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल मचा दी है. कुछ लोग उनके इस फैसले की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग आलोचना.

क्यों हो रही आलोचना 

सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों को लेकर जो फैसले दिया है उसमें हिंसक कुत्तों की पहचान कैसे होगी, ये आदेश में स्पष्ट नहीं है. म्यूनिसिपल अथॉरिटीज की जवाबदेही तय करने के लिए कोई ठोस सिस्टम नहीं है.

कुछ एक्टिविस्ट्स से कोर्ट ने पर्सनल या ऑर्गनाइजेशनल फाइन मांगा, जो विवाद का विषय बना. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह अंतिम नहीं, बल्कि अंतरिम आदेश है. फाइनल फैसला आगे आने वाला है.

तो जज साहब को कैसा मिल रहा रिस्पॉन्स?

जस्टिस विक्रमनाथ के अनुसार उन्हें इस फैसले के बाद से दुनियाभर से मैसेज आ रहे हैं, इन मैसेज में एक मजेदार मैसेज है "जज साहब, अब आपके साथ इंसानों की ही नहीं, डॉग्स की भी दुआएं हैं!"

उनका कहना है कि स्ट्रे डॉग्स के मुद्दे पर जो फैसला आया है, उसने उन्हें सिर्फ जज के तौर पर नहीं, बल्कि एक "सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि" के तौर पर भी पहचान दिलाई है.

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