अयोध्या राम मंदिर: 6 दिसंबर 1992 और उसके बाद क्या-क्या हुआ?
यह मामला तब सबसे ज्यादा प्रकाश में आया जब फरवरी 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को पूजा करने के लिए विवादित स्थल को खोलने का आदेश दिया था.
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Babri Masjid: आज 6 दिसंबर है. आज ही के दिन साल 1992 में कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई थी. इसके बाद देश के कई राज्यों में हिंसा भड़की थी, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हुई. राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद लंबे समय तक दो समुदायों में रंजिश की वजह बना रहा. इसपर जमकर सियासत भी हुई. इलाहाबाद हाई कोर्ट से होते हुए अंततः यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सेटल हुआ. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कई सदी से चलते आ रहे इस मामले का निपटारा किया. फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया और फिलहाल उस जगह एक विशाल मंदिर बन रहा है. नए साल यानी 2024 में 22 जनवरी को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है. मंदिर को लेकर अब भी सियासत जब तब जारी ही है.
6 दिसंबर 1992 से कई सौ साल पहले शुरू होती है ये कहानी
माना ये जाता है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में बाबर के शासनकाल में किया गया था. दावा है की राम मंदिर को गिराकर यहां मस्जिद बनाई गई. हिन्दू समुदाय का ऐसा मानना है कि जिस स्थान पर मस्जिद बनाया गया था वह भगवान राम का जन्मस्थान है. इसके बारे में कोई तथ्यपरक जानकारी उपलब्ध नहीं है. ये मान्यताओं,आस्थाओं और भावनाओं का मसला था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया.

अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर सालों साल छिट-पुट घटनाएं होती रही. दिसंबर 1949 में यहां हिंदू आंदोलनकारियों ने रामलला की मूर्ति रख दी. आजाद भारत में तब से यह जगह विवादित मानी जाने लगी. यह मामला तब सबसे ज्यादा प्रकाश में आया जब फरवरी 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को पूजा करने के लिए विवादित स्थल को खोलने का आदेश दिया था.
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मंदिर के लिए आडवाणी के निकाली थी रथयात्रा
1984 में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में रामजन्मभूमि मुक्ति समिति का गठन किया गया. इस समिति का गठन भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त कराने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए किया गया था. इसी कड़ी में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने राममंदिर के लिए गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी जिसे बिहार में लालू यादव ने रोक दिया. लेकिन इसी रथ यात्रा की परिणिती थी की 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद का विध्वंश हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में दिया फैसला
राममंदिर केस को लेकर 28 सालों के लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. फैसले के तहत 2.77 एकड़ की विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली. वहीं SC ने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मामले में पूर्ण न्याय को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया.
पहले भूमि पूजन अब जीर्णोद्धार में शामिल होंगे पीएम मोदी
फैसला आने के बाद राममंदिर तेजी से बनाया गया. इसके पीछे की मुख्य वजह ये रही की केंद्र सरकार में काबिज बीजेपी के मैनिफेस्टो में राममंदिर का मुद्दा पहले से ही था. 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के निर्माण लिए भूमि पूजन कर नींव रखी थी. जिसे 2024 तक तैयार होने का अनुमान था. पिछले दिनों राममंदिर न्यास पीठ ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. न्यास पीठ ने पीएम को 22 जनवरी 2024 को होने वाले मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया है.

Ram Mandir Bhoomi Pujan by Narendra Modi