देवास से महेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट मिलने के बाद बीजेपी में घमासान, नेताओं ने आलाकमान को भेजे हजारों पत्र

प्रियंका भल्ला

महेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट काटने के लिए उनकी देवास लोकसभा क्षेत्र से करीब दो हजार पत्र बीजेपी आलाकमान को भेजे गए है. 

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Mahendra Singh Solanki: लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट जारी हो चुकी है. इस लिस्ट में मध्य प्रदेश की 24 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम भी शामिल है. हालांकि बीजेपी ने जब से अपनी पहली लिस्ट निकाली है तभी से ही उम्मीदवारों को लेकर कई जगहों पर विरोध के सुर भी सुनने को मिले है. कुछ ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश के देवास में भी देखने को मिल रहा है. मामला ये है कि, देवास से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार मौजूदा सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को ही बनाया है लेकिन सोलंकी को टिकट मिलने के बाद से ही पार्टी में उनके खिलाफ विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं. पार्टी का एक बड़ा धड़ा नाराज हो गया है और नाराज ऐसा हुआ है कि सोलंकी के खिलाफ आलाकमान को हजारों पत्र लिख दिया है. 

जानकारी के मुताबिक महेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट काटने के लिए उनकी देवास लोकसभा क्षेत्र से करीब दो हजार पत्र बीजेपी आलाकमान को भेजे गए है.  ये पत्र क्षेत्र के विधायक, जनप्रतिनिधि, सरपंच, पूर्व सरपंच, पंच, जनपद अध्यक्ष से लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने लिखे है. इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि, क्षेत्र की जनता मौजूदा सांसद से बेहद नाराज है. 

आखिर कौन हैं महेंद्र सिंह सोलंकी?

महेंद्र सिंह सोलंकी का जन्म 11 अप्रैल 1984 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. मध्यम परिवार होने की वजह से वो उतने साधन संपन्न नहीं थे. सोलंकी ने छोटी-छोटी फैक्ट्रियों और दुकानों पर नौकरी करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन की पढ़ाई की. फिर उन्होंने इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ से से एलएलबी की डिग्री हासिल की. उन्होंने साल 1999 से 2003 के बीच कई आंदोलनों में हिस्सा लिया जिसकी वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. साल 2001 में सोलंकी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लिया और 2003 में झाबुआ जिले में आयोजित हिंदू संगम में अपने पूर्ण समर्पण के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोलंकी कोर्ट में जज के तौर पर भी काम कर चुके हैं. सोलंकी की छवि हिंदूवादी नेता के रूप में जानी जाती है. 

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सोलंकी ने 2019 का लोकसभा चुनाव में न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद सिंह टिपानिया को करीब 3 लाख 72 हजार से ज्यादा वोट से हराया था. ऐसे में बीजेपी ने एकबार फिर से उन पर भरोसा जताया है. 

महेंद्र सिंह सोलंकी को फिर से टिकट मिलने के बाद देवास में बीजेपी दो गुटों में बंटी हुई है. एक गुट सोलंकी को दोबारा सांसद देखना चाहता है, तो वहीं दूसरा गुट उनकी रवानगी चाहता है. वैसे अब ये देखना दिलचस्प होगा कि, उनके खिलाफ लिखे गए हजारों पत्रों पर पार्टी आलाकमान क्या फैसला करता. 

 

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