सोनिया गांधी ने संभाली कांग्रेस की कमान, मानसून सत्र में सरकार को घेरने के लिए इन 5 मुद्दों को हथियार बनाएगा विपक्ष!

विजय विद्रोही

Monsoon Session 2025: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और इस बार यह सत्र काफी हंगामेदार होने के आसार हैं. कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने सत्र के लिए रणनीति तैयार करने के लिए 15 जुलाई को एक अहम बैठक बुलाई थी.

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Monsoon Session 2025: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और इस बार यह सत्र काफी हंगामेदार होने के आसार हैं. कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने सत्र के लिए रणनीति तैयार करने के लिए 15 जुलाई को एक अहम बैठक बुलाई थी. इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और विपक्षी दल इस सत्र में मोदी सरकार को कई अहम मुद्दों पर घेरने की तैयारी में हैं.

विपक्ष की एकजुटता में सोनिया गांधी की भूमिका

सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के बीच बेहतर तालमेल की उम्मीद जताई जा रही है. माना जाता है कि सोनिया गांधी के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लालू प्रसाद यादव, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शरद पवार जैसे नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं. ये संबंध विपक्षी एकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. पहले विपक्षी दलों में फ्लोर मैनेजमेंट और मुद्दों पर एकरूपता की कमी देखी गई थी, लेकिन सोनिया गांधी के सक्रिय होने से इस बार एकजुट रणनीति की उम्मीद है.

मुख्य मुद्दे जो संसद में देखें जा सकते हैं.

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कांग्रेस और विपक्षी दल इस सत्र में कई बड़े मुद्दों को उठाने की तैयारी में हैं. इनमें शामिल हैं:

1. पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर: अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी. इसके जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. विपक्ष का आरोप है कि इस हमले में खुफिया तंत्र की बड़ी चूक हुई. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस चूक को स्वीकार किया है. इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना को नुकसान होने की बात सामने आई है, जिसके विवरण पर सरकार की चुप्पी सवाल उठा रही है. 

2. अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर और ट्रंप का दावा: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाया. भारत सरकार ने इस दावे को खारिज किया है, लेकिन विपक्ष इसे राष्ट्रीय सम्मान का मुद्दा बनाकर सरकार से जवाब मांग रहा है. ट्रंप के दावे और अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ भी चर्चा का विषय होंगे.

3. बिहार में वोटर लिस्ट विवाद: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष ने गंभीर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए लगभग दो करोड़ मतदाताओं, खासकर गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों को सूची से हटाने की कोशिश हो रही है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है.

4. महंगाई और बेरोजगारी: बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी भी विपक्ष के लिए बड़े मुद्दे हैं. ये मुद्दे जनता से सीधे जुड़े हैं और विपक्ष इन्हें संसद में जोर-शोर से उठाने की योजना बना रहा है.

5. न्यायिक विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के कथित सांप्रदायिक बयानों और जज यशवंत वर्मा के मामले में नोटों की बरामदगी को लेकर भी विपक्ष सरकार पर सवाल उठाएगा.

राहुल गांधी की भूमिका

लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी ने पहले भी कहा है कि वह केवल कांग्रेस के नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष के नेता हैं. उन्होंने अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी नेताओं के मुद्दों को संसद में उठाया है. हालांकि, सोनिया गांधी की तुलना में उनकी विपक्षी नेताओं के साथ सहजता कम रही है. सोनिया गांधी का अनुभव और रिश्ते इस बार विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

मोदी सरकार पर दबाव

विपक्ष का मानना है कि यह सत्र मोदी सरकार को घेरने का सुनहरा अवसर है. पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनता में भी कई सवाल हैं. विपक्ष का कहना है कि यह मामला 2019 के पुलवामा हमले से अलग है, जहां राष्ट्रवाद के नाम पर सवालों को दबा दिया गया था. इस बार सरकार के पास जवाब देने की चुनौती होगी, क्योंकि संसद में गलत बयानी नहीं की जा सकती.

क्या होगा मानसून सत्र का परिणाम?

मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की योजना बना रही है. इनमें परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाने वाले विधेयक भी शामिल हैं. विपक्ष की एकजुटता और सोनिया गांधी की रणनीति इस सत्र को और भी रोचक बना सकती है. देखना होगा कि सरकार इन सवालों का जवाब कैसे देती है और क्या विपक्ष अपनी रणनीति में सफल हो पाता है.

 

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