Charchit Chehra: यूपी में आजम खान की तूती क्यों बोलती है? अखिलेश यादव भी जबरे फैन

राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी आजम खान 23 महीने बाद जेल से बाहर आ गए हैं. उन पर लगे 72 मुकदमों में उन्होंने जमानत हासिल की है. उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए, जिनमें जया प्रदा विवाद और अखिलेश यादव से रिश्ते शामिल हैं.

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समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर के दिग्गज राजनेता मोहम्मद आजम खान 23 महीने बाद जेल से रिहा हो गए हैं. 72 से ज्यादा मुकदमों में जमानत हासिल कर उन्होंने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं.

योगी आदित्यनाथ सरकार के दौरान दर्ज हुए इन मुकदमों में किताबें चुराने से लेकर संपत्ति और जन्म प्रमाणपत्र से जुड़े गंभीर आरोप शामिल थे. लेकिन आजम खान का सियासी अनुभव और जुझारूपन उन्हें फिर से चर्चा में ले आया है. आइए आज के चर्चित चेहरे में जानते हैं आजम खान के बारे में...

सियासत का वो दौर जब आजम थे ‘बादशाह’

आजम खान उत्तर प्रदेश की राजनीति का वो नाम हैं, जो कभी मुख्यमंत्री या सपा अध्यक्ष नहीं बने, लेकिन मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकारों में उनकी तूती बोलती थी. रामपुर में उनका रुतबा ऐसा था कि कहा जाता है कि उनकी भैंस खोजने के लिए भी पुलिस फोर्स लग जाती थी. 10 बार विधायक रहे आजम खान ने मुलायम सरकार में कैबिनेट मंत्री और अखिलेश सरकार में नंबर दो का दर्जा हासिल किया. उनकी वाकपटुता और तीखे बयानों ने उन्हें हमेशा चर्चा में रखा.उनके इसी अंदाज को काफी लोग पसंद करते हैं.

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2017 से शुरू हुआ बुरा दौर

2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद आजम खान के सियासी सितारे गर्दिश में चले गए. 2020 में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र और पत्नी तंजीन फातिमा पर संपत्ति से जुड़े मुकदमों ने पूरे परिवार को घेर लिया. एक के बाद एक 72 से ज्यादा केस दर्ज हुए, जिसे सपा ‘राजनीतिक साजिश’ करार देती रही. अखिलेश यादव ने तब भविष्यवाणी की थी कि एक दिन आजम खान इन झूठे मुकदमों से बाहर निकल आएंगे.

जेल में भी नहीं टूटी हिम्मत

2020 से जेल में बंद आजम खान की सियासी ताकत कम नहीं हुई. जेल में रहते हुए भी उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता. उनके बेटे अब्दुल्ला भी विधायक बने. हालांकि, 10 साल की सजा के कारण उनकी विधायकी रद्द हो गई थी, और सजा पर रोक नहीं लगी है. सजा पूरी होने के बाद भी वे 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. फिर भी, जेल से बाहर आने के बाद आजम खान की रिहाई ने सपा कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा है.

जया प्रदा और अमर सिंह से विवाद

आजम खान का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा. खासकर जया प्रदा के साथ उनका विवाद चर्चा में रहा. 2004 में आजम ने ही जया प्रदा को रामपुर से सपा का टिकट दिलवाया था, लेकिन अमर सिंह से खटास के बाद उनके रिश्ते बिगड़ गए. 2009 में जया प्रदा के खिलाफ आजम ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर विरोध किया, जिसके बाद उन्हें सपा से निष्कासित कर दिया गया. हालांकि, मुलायम सिंह ने बाद में उन्हें वापस बुला लिया. जया प्रदा ने आजम पर अश्लील तस्वीरें फैलाने का आरोप लगाया था, वहीं आजम उन्हें ‘नचनिया’ कहकर तंज कसते रहे.

कौन हैं आजम खान?

14 अगस्त 1948 को रामपुर में जन्मे आजम खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से पढ़ाई की. बीए, एमए और एलएलएम की डिग्री हासिल करने वाले आजम ने छात्रसंघ चुनाव जीतकर सियासत में कदम रखा. उनकी शादी डॉ. तंजीन फातिमा से हुई, जो पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर रही हैं. उनके दो बेटे अब्दुल्ला और अदीब हैं.

ऐसा है सियासी सफर

आजम खान ने 1977 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1985, 1989, 1991, 1993, 2002, 2007, 2012 और 2017 में लगातार जीत हासिल की. 1996 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाद वे राज्यसभा और 2019 में लोकसभा सांसद बने.

आजम खान का भविष्य क्या?

जेल से रिहाई के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आजम खान का सियासी भविष्य क्या होगा? सपा में उनकी वापसी को लेकर अखिलेश यादव ने साफ किया है कि सत्ता में आने पर आजम खान पर दर्ज सभी ‘झूठे’ मुकदमे वापस लिए जाएंगे. रामपुर में आजम का प्रभाव अब भी कायम है और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले उनकी रिहाई सपा के लिए नई ऊर्जा ला सकती है. 

देखें चर्चित चेहरा का वीडियो

 

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