आंध्र प्रदेश: राहुल गांधी-चंद्रबाबू नायडू के बीच हॉटलाइन का काम कर रहे रेवंत रेड्डी? जगन मोहन रेड्डी ने फोड़ा बम
जगन मोहन ने दावा किया है कि राहुल गांधी के टच में हैं चंद्रबाबू नायडू. हॉटलाइन कॉल से ये टच बना हुआ है.
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पब्लिकली कोई नहीं जानता कि अब दो विपरीत छोर पर खड़े राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू के बीच कोई बात होती या नहीं. चंद्रबाबू नायडू से डायरेक्ट फाइट की पॉलिटिक्स कर रहे जगन मोहन रेड्डी ने बड़ा बम फोड़ा है. जगन मोहन ने दावा किया है कि राहुल गांधी के टच में हैं चंद्रबाबू नायडू. हॉटलाइन कॉल से ये टच बना हुआ है.
चूंकि जगन मोहन रेड्डी की चंद्रबाबू नायडू से नहीं बनती, इसलिए एक बार में यकीन किया नहीं जा सकता कि उनका दावा सच ही हो. अगर जगन मोहन के इस दावे में दम है भी तो अगला सवाल ये बनता है कि राहुल गांधी और चंद्रबाबू हॉटलाइन से टच में हैं तो WHAT FOR.
लोकसभा चुनाव हुए एक साल से ज्यादा हो गया. राहुल गांधी के अलावा किसी ने वोट चोरी को लेकर इतने प्रामाणिक तरीके से दावे नहीं किए. जगन भी चुनावों में धांधली की शिकायत करते रहे, लेकिन कोई सबूत नहीं दे पाए. अब राहुल गांधी ने महाराष्ट्र, बिहार के बाद कर्नाटक में वोट चोरी का तूफानी दावा किया तो जगन मोहन को याद आया कि आंध्र में भी चुनावों में धांधली हुई थी.
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वोटिंग और काउंटिंग के बीच 12.5 परसेंट वोटों का अंतर था. राहुल गांधी पर बरसते और चंद्रबाबू नायडू से खुफिया मिलीभगत के आरोपों के बाद भी जगन ने बिना मांगे ये तो मान लिया कि आंध्र में जिस वोट चोरी से वो हारे उसकी भी लड़ाई जरूरी है जो शायद राहुल गांधी लड़ सकते हैं.
जगन मोहन ने ये सवाल उठाया कि राहुल अगर वोट चोरी की बात कर रहे हैं तो आंध्र प्रदेश की बात क्यों नहीं कर रहे. जगन मोहन रेड्डी को शक हो रहा है कि राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू टच में हैं, इसलिए आंध्र प्रदेश में वोट चोरी का मुद्दा नहीं उठा रहे हैं. जगन मोहन रेड्डी ने आरोप लगाया कि तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के जरिए चंद्रबाबू नायडू राहुल गांधी के टच में हैं. आम तौर पर तेलुगू में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले रेड्डी ने ये खुलासा करने के लिए अंग्रेजी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
अब ये तो सबको पता है कि रेवंत रेड्डी चंद्रबाबू नायडू के पुराने शिष्य रहे हैं. टीडीपी से कांग्रेस में आने के बाद भी दोनों के बीच बढ़िया केमेस्ट्री चल रही है.आंध्र-तेलंगाना के बीच कई विवाद सुलझाने के रास्ते भी चंद्रबाबू-रेवंत रेड्डी की केमेस्ट्री से निकल रहे हैं.
जगन मोहन के इस दावे पर रिएक्शन करना राहुल की राजनीतिक मजबूरी नहीं हो सकती. हो सकता है कि चंद्रबाबू को आंध्र की जनता को जगन मोहन के दावे का सच बताना पड़े. रेवंत रेड्डी भी बता सकते हैं कि वो राहुल-नायडू के बीच हॉटलाइन का काम कर रहे हैं या नहीं. जगन मोहन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल की अपनी सीट पर हार का भी मुद्दा उठाया, लेकिन ये एंगल नहीं दिया कि दिल्ली के चुनाव को लेकर राहुल गांधी वोट चोरी का आरोप क्यों नहीं लगा रहे हैं.
वैसे जगन मोहन ने शायद ये बात नोटिस नहीं कि राज्य विभाजन के बाद से कांग्रेस आंध्र में एक भी चुनाव चुनाव नहीं जीती है. हर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का जीरो स्कोर मेनटेन है. आंध्र में कांग्रेस नए सिरे से खड़ी होने की कोशिश में है, लेकिन पार्टी का फिलहाल कहीं कोई स्टेक है नहीं. चुनावों में भी कांग्रेस कहीं किसी चुनाव में क्लोज फाइट में भी नहीं रही जिसके आधार पर राहुल वोट चोरी का डेटा दे सकें.
राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू पुराने दोस्त रहे हैं. बहुत पुरानी तस्वीरें नहीं हैं ये सब. राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू का अलायंस टेस्टेड भी है और ट्रस्टेड भी. 2019 में जब चंद्रबाबू नायडू के रिलेशन बीजेपी से बहुत खराब हुए थे तब उनको राहुल गांधी में भी भविष्य दिखा था. 2019 का चुनाव टीडीपी, कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. हालांकि वो चुनाव मोदी, बीजेपी को छोड़ बाकी सबके लिए डिजास्टर रहा. 2019 के एक्सपीरियंस के बाद चंद्रबाबू नायडू ने अकेला रहना मंजूर किया, लेकिन किसी और के साथ नहीं सटे. 5 साल बाद राजनीतिक नफा-नुकसान के बाद वापस बीजेपी के साथ होकर आंध्र जीत लिया.
आंध्र की राजनीति में जगन मोहन रेड्डी के लिए मुश्किल समय चल रहा है. विधानसभा, लोकसभा में एक साथ बड़े-बड़े झटके लगे. जनाधार सिमटा. पार्टी भी टूटी. जगन मोहन ने लंबे समय तक मोदी सरकार को बिन मांगें बिना शर्त समर्थन देते रहे. इसके बदले में ऐन चुनाव के समय बीजेपी ने चंद्रबाबू से अलायंस करके जगन मोहन की पूरी दुनिया हिला दी. जगन मोहन रेड्डी की मुश्किल ये है कि चंद्रबाबू के रहते बीजेपी से दोस्ती बढ़ा नहीं सकते. कांग्रेस से इतने चोट खाए कि उसकी ओर झांकने में भी संकोच होता है.
जगन मोहन रेड्डी पुराने कांग्रेसी रहे हैं. वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद जगन मोहन चाहते थे कि कांग्रेस हाईकमान सीएम बना दे. ऐसा हुआ नहीं. उल्टे जगन मोहन केस मुकदमे में फंसते-फंसते जेल पहुंच गए. जेल से निकलकर जगन ने नई पार्टी वाईएसआरसीपी बनाई. 5-7 साल की मेहनत करके चंद्रबाबू नायडू को 2019 में एक साथ डबल झटका दिया.
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