उपराष्ट्रपति चुनाव में होगा असली खेल, जीत के लिए विपक्ष ने कौनसी रणनीति बनाई?

रूपक प्रियदर्शी

उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने एक तमिल कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया तो इतना हल्ला नहीं मचा. हल्ला तब मचना शुरू हुआ जब इंडिया गठबंधन एक नॉन पॉलिटिकल तेलुगू बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति चुनाव में उतार दिया.

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उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने एक तमिल कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया तो इतना हल्ला नहीं मचा. हल्ला तब मचना शुरू हुआ जब इंडिया गठबंधन एक नॉन पॉलिटिकल तेलुगू बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति चुनाव में उतार दिया. नंबर गेम में सीपी राधाकृष्णन का पलड़ा है. सुदर्शन रेड्डी के मैदान में आने से भारी प्रेशर में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की वो पार्टियां जो विपक्ष के खिलाफ राजनीति करती हैं. 

इस बात के बड़े आसार माने जा रहे हैं कि हो न हो तेलुगू-तमिल के सवाल पर आंध्र, तेलंगाना की पार्टियों में भारी उठापटक हो सकती है. तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी इस ऑपरेशन पर काम कर रहे हैं. जगन रेड्डी की पार्टी YSRCP से रूझान आने शुरू हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ YSRCP के सांसद एम रघुनाथ रेड्डी के मिलने की ये फोटो इंटरनेट पर भयंकर वायरल है. 

पिछले साल राज्यसभा चुनाव में जगन रेड्डी ने एम रघुनाथ रेड्डी को राज्यसभा चुनाव जिताकर संसद भेजा था. रघुनाथ रेड्डी जगन रेड्डी के कडप्पा जिले के हैं. सफल बिजनेसमैन बनने के बाद राजनीति में आए. सीधे YSRCP के टिकट पर संसद पहुंच गए. उनके भाई एम वेकंट मल्लिकार्जुन रेड्डी पुराने खिलाड़ी हैं. कांग्रेस, टीडीपी में रहने के बाद YSRCP में आए और 2019 में पार्टी का टिकट पाकर विधायक का चुनाव जीते. 

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उपराष्ट्रपति चुनाव की हलचल तेज होते ही रघुनाथ रेड्डी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के घर देखे गए. आंध्र के रघुनाथ रेड्डी ने कर्नाटक के खरगे से पुरानी दोस्ती बताई. कहा कि कर्टसी कॉल के लिए मुलाकात है. खरगे से तब से दोस्ती है जब वो कर्नाटक के गृह मंत्री हुआ करते थे. ये संभव है कि खरगे से रघुनाथ रेड्डी की पुरानी दोस्ती-यारी रही हो. पहले भी मिलते-जुलते रहे हों लेकिन अब जिस वक्त वो खरगे के घर पधारे वो अनुमान, अटकलें, अफवाहों के लिए बहुत है. 

सुप्रीम कोर्ट के जज रहे सुदर्शन रेड्डी तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले हैं. जब विभाजन नहीं हुआ तब आंध्र के होते थे. अब तेलंगाना के माने जाते हैं. फिर भी हैं तो तेलुगू. टक्कर हो रही है एक तमिल से. चंद्रबाबू नायडू, पवन कल्याण, जगन मोहन रेड्डी, केसीआर फंसे हुए हैं कि कैसे एक तेलुगू के खिलाफ जाकर तमिल उम्मीदवार को जिता दें. पार्टी लेवल पर तो टीडीपी, YSRCP का फैसला फाइनल है कि सीपीआर को ही वोट जाएगा लेकिन क्या तेलुगू पार्टियों के सांसद भी पार्टी का फैसला मानेंगे. 

अभी कुछ क्लियर नहीं है कि रघुनाथ रेड्डी का खरगे के मिलने के पीछे कोई राजनीति है या नहीं. रघुनाथ रेड्डी का पांच साल का राज्यसभा कार्यकाल बचा है. 2030 में 6 साल का कार्यकाल पूरा होगा. जिस आंध्र प्रदेश से आते हैं वहां कांग्रेस जीरो है. किसी को कुछ देने के लिए हैं नहीं. रघुनाथ रेड्डी कांग्रेस में ही क्यों अपना फ्यूचर देखेंगे. खरगे के घर रघुनाथ रेड्डी के मिलने की फोटो ऑफिशियली खींची गई और सोशल मीडिया पर डाली गई ये बताने के लिए रेड्डी साहब मिलकर गए. क्या कोई खिचड़ी है जो तेलुगू वर्सेज तमिल चुनाव को लेकर पक रही है?

संसद के दोनों सदनों में आंध्र प्रदेश के 25 और तेलंगाना के 17 सांसद हैं यानी कुल मिलाकर हुए 42. संसद की वेबसाइट से पता चला कि दोनों राज्यों से रेड्डी सरनेम वाले लोकसभा में 9 और राज्यसभा में 6 सांसद हैं. YSRCP के ही राज्यसभा में चार रेड्डी सांसद हैं. बीआरएस के दो सांसद रेड्डी हैं. YSRCP , कांग्रेस, बीजेपी 2-2 और टीडीपी के 3 सांसद हैं. मतलब ऑल पार्टी रेड्डी सांसदों की संख्या वन थर्ड है. अगर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन रेड्डी और तेलुगू सेंटीमेंट पर खेल गया तो असंभव नहीं तमिल के नाम पर तेलुगू पार्टियों में सेंध लगाना. 9 सितंबर को चुनाव वाले ही दिन ही पता चलेगा कि कौन किसके साथ गया. 

आंध्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं. 2024 के दोनों चुनावों में जगन रेड्डी की जीत, टीडीपी-बीजेपी-जेएसपी अलायंस की जीत हुई. तब से YSRCP को ताबड़तोड़ झटके लग रहे हैं. एक सांसद मिथुन रेड्डी को ईडी गिरफ्तार कर ले गई. राज्यसभा के मोपीदेवी वेंकटरमन्ना और वी मस्तान राव ने पाला बदलकर टीडीपी और बीजेपी ज्वाइन कर ली. जगन के बेहद करीबी राइट हैंड विजयसाई personal reasons देकर अचानक संसद से इस्तीफा देकर राजनीति से अलग हो गए. 2024 के चुनावों के बाद चार सांसद जा चुके हैं. YSRCP के पास लोकसभा में 4 सांसद हैं. राज्यसभा में 11 से घटकर 7 सांसद रह गए हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के पास 11 वोट हैं.

आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी का जलवा टीडीपी-बीजेपी अलायंस से टूट चुका है. जगन रेड्डी 10 साल तक बिना एनडीए में रहे बीजेपी के पिछलग्गू बने रहे. अब बीजेपी के खेल ही जगन की राजनीति, पार्टी तार-तार हो गई. फिर भी राजनाथ सिंह का फोन आते ही जगन मोहन रेड्डी ने तमिल सीपी राधाकृष्णन के समर्थन का एलान कर दिया. जब जगन ने सीपीआर के समर्थन का एलान किया था तब तक सुदर्शन रेड्डी प्रकट नहीं हुए थे. सुदर्शन रेड्डी के आने के बाद भी जगन रेड्डी तेलुगू सेंटीमेंट के खिलाफ तमिल उम्मीदवार के समर्थन पर अड़े हैं लेकिन पार्टी के अंदर खलबली मची है. 

ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस हाईकमान को सुदर्शन रेड्डी का आइइिया तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने ही था. रेवंत ने कास्ट सेंसेस के लिए सुदर्शन रेड्डी को काम किया था. रेवंत रेड्डी ने ही बीड़ा उठाया है तेलुगू अस्मिता के सवाल पर आंध्र और तेलंगाना की पार्टियों के हृदय परिवर्तन के लिए. लीडरशिप लेवल पर तो चंद्रबाबू, जगन रेड्डी सेकंड थॉट के लिए तैयार नहीं हैं. केसीआर ने पत्ते नहीं खोले हैं. पत्ता रेड्डी के नाम पर कल क्या हो जाए. 
 

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