जगन मोहन के खिलाफ चंद्रबाबू ने खुशी-खुशी मिस कर दिया 'लड्डू मोमेंट', ऐसी क्या मजबूरी?

रूपक प्रियदर्शी

चुनावों के बाद आंध्र प्रदेश का राजनीतिक भूगोल बदल गया. विपक्ष से सरकार में आ गए चंद्रबाबू नायडू. सरकार से विपक्ष में चले गए जगन मोहन रेड्डी. चंद्रबाबू नायडू ने बदलाव के इस दौर का जमकर इस्तेमाल किया. जगन मोहन रेड्डी और वाईएसआरसीपी को खत्म करने के लिए टूट पड़ी बाबू सरकार. केस, मुकदमे, गिरफ्तारी का सिलसिला नॉन स्टॉप चल रहा है.

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चंद्रबाबू नायडू मजबूरी में ऐसे फंसे तो साफ बच निकले जगन मोहन रेड्डी

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चंद्रबाबू नायडू के जबर्दस्त U-Turn से दंग हुए सब, अडानी से डील में फंसा पेंच

Chandrababu Naidu: चंद्रबाबू नायडू को एक और बड़ा बढ़िया मौका मिला था जगन मोहन रेड्डी को फांसने का. अमेरिका में साबित हुआ कि सोलर बिजली बेचने के लिए गौतम अदाणी की कंपनी ने आंध्र प्रदेश सरकार को घूस दी थी. ये कोई भाषणबाजी से निकला कोरा आरोप नहीं था. US Justice Department ने US Securities and Exchange Commission कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कहानी बताई अदाणी के घूस कांड की. जिस वक्त घूस कांड हुआ तब आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की सरकार और अदाणी ग्रीन कंपनी के बीच डील की थी. उसी डील के लिए 1750 करोड़ की घूस के लेन-देन के गंभीर आरोप लगे. 

2 महीने से चंद्रबाबू नायडू ने सस्पेंस बना रखा था. माना जा रहा था कि चंद्रबाबू नायडू जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ घूस कांड को ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करेंगे लेकिन उन्होंने सबको चौंकाते हुए ले लिया गजब का यूटर्न. करप्शन के बड़े आरोप में फंसते-फंसते साफ बच निकले जगन मोहन रेड्डी. थैंक्यू टू चंद्रबाबू नायडू. अदाणी से सोलर बिजली डील पर जगन मोहन रेड्डी को बख्शने के पीछे चंद्रबाबू नायडू ने अपनी राजनीतिक बिसात सजाई.

कहा कि अगर इस मुद्दे पर जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई करनी होती, तो मेरे लिए ये लड्डू मोमेंट था. लेकिन मैं बदले की राजनीति नहीं करता. यही टीडीपी और वाईएसआरसीपी के बीच का अंतर है. ये राज्य सरकार की विश्वसनीयता का सवाल है.

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अदानी ग्रीन से बिजली खरीदने की डील बरकरार

चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने अदाणी ग्रीन के साथ बिजली खरीदने वाली डील बरकरार रखने का फैसला किया है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू ने दलील ये दी कि इस मामले में जब तक ठोस सबूत नहीं मिल जाते और आरोपों की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. घूसकांड के सबूत पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए डील से पीछे नहीं हट सकते. अगर डील तोड़ेंगे तो भारी पेनाल्टी चुकानी होगी. चंद्रबाबू इंतजार करेंगे कि अमेरिका में चल रहे कोर्ट केस का आउटकम क्या निकलता है. 

अदानी को लेकर बोले- हम डील खत्म नहीं कर सकते

यही चंद्रबाबू नायडू थे जिन्होंने विधानसभा में खड़े होकर एलान किया था कि हमें डील जारी रखने के बारे में सोचना होगा. अब महीने भर बाद पलटते हुए चंद्रबाबू कह रहे हैं कि हमें और सबूत चाहिए होगा. ऐसे डील खत्म नहीं कर सकते. नवंबर में जब से घूस कांड का खुलासा हुआ तो भारत की राजनीति में संसद के अंदर और बाहर खूब हंगामा मचा है. राहुल गांधी के साथ पूरे विपक्ष ने अदाणी को लेकर मोदी सरकार पर नए सिरे से चढ़ाई कर दी.

नायडू ने माना कि हुआ है घूसकांड

जगन मोहन रेड्डी ये खूब समझ रहे होंगे कि अगर घूस कांड की आंच चंद्रबाबू नायडू पड़ने नहीं दे रहे हैं तो इसके पीछे उनसे कोई मोहब्बत नहीं है. फंस तो खूद चंद्रबाबू नायडू गए हैं. फंसने की कहानी ये है कि जगन मोहन रेड्डी पर शिकंजा कसने के लिए चंद्रबाबू नायडू को ये मानना होगा कि घूस कांड हुआ. मतलब अदाणी की कंपनी ने 1750 करोड़ की घूस जगन मोहन रेड्डी सरकार को दी. अमेरिका में चल रहे कोर्ट केस में ये बात आ चुकी है कि 2021 में गौतम अदाणी की उस समय के सीएम जगन मोहन रेड्डी से मुलाकात हुई थी. हालांकि ये कहीं नहीं आया कि घूस जगन मोहन रेड्डी को दी गई. ये भी कहीं नहीं आया कि अगर घूस दी गई तो आंध्र सरकार के किस अफसर को दी गई. बस इतना दावा किया गया कि 1750 करोड़ की घूस दी गई थी. किसी मनी ट्रेल यानी घूस के लेन-देन का कोई ट्रांजेक्शनल सबूत सबूत नहीं आया. 

नायडू के इस कदम से फंसेंगे बीजेपी और पीएम मोदी

चंद्रबाबू नायडू की मजबूरी ये है कि सिर्फ जगन मोहन रेड्डी को निपटाने के लिए घूस कांड पर एग्रेसिव नहीं हो सकते. वरना फंसेंगे अदाणी भी जो कि पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं. अब तक अदाणी पर गड़बड़ियों के जितने आरोप लगे उसमें सरकार ने अदाणी का बचाव किया. अगर चंद्रबाबू नायडू अपने लेवल पर घूस कांड की जांच या एक्शन की तरफ एक इंच भी बढ़ेंगे तो अदाणी के खिलाफ राहुल गांधी के आरोपों को मजबूती मिलेगी. इससे फंसेगी बीजेपी और फंसेंगे पीएम मोदी. चंद्रबाबू नायडू उस सरकार के साथ इतना बड़ा जोखिम नहीं ले सकते जो उन्हीं के समर्थन से चल रही है. चंद्रबाबू नायडू के हाथ में सरकार की चाबी है. इसी चाबी की बदौलत केंद्र सरकार से विकास के लिए खूब पैसे और प्रोजेक्ट मिल रहे हैं आंध्र प्रदेश को. 

भारत सरकार की कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ पावर पर्चेज एग्रीमेंट किया था. सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन से डील ये कि आंध्र सरकार ने 7000 मेगावाट सोलर बिजली खरीदी है. सोलर एनर्जी के लिए बिजली सप्लाई में भारत की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी कंपनी एज्योर शामिल है. अमेरिका में आरोप लगा कि गौतम अडानी समेत सात अन्य लोगों ने ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर के अधिकारियों को 2021 से लेकर 2022 के दौरान सोलर प्रोजेक्ट्स हासिल करने के लिए घूस दी थी. अदाणी ग्रुप आरोपों को नकार चुका है.

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